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Stories related to जाने कहा

Diya

#Sad_Status #किसी का अक़्स जो पल भर रहा आँखों में। फिर ना जाने #कहां गुम हो #गया #यादों में। मैं ढूंढती फिरती हूं आवारा सी अपनी ही स्मृ

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White  किसी का अक़्स जो पल भर रहा आँखों 
में।
फिर ना जाने कहां गुम हो गया यादों में।
मैं ढूंढती फिरती हूं आवारा सी अपनी ही 
स्मृति पटल में।
मुझे याद आ जाए वो अक़्स जो पल भर
रहा आँखों में।
जिस अक़्स को देखा था मैंने अपने ख्वाबों 
में।

©Diya #Sad_Status 
 #किसी का अक़्स जो पल भर रहा आँखों 
में।
फिर ना जाने #कहां गुम हो #गया #यादों में।
मैं ढूंढती फिरती हूं आवारा सी अपनी ही 
#स्मृ

F M POETRY

#उसने एक झूठ कहा..

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White हमने सौ सच कहा लेकिन हमारी बात नहीं बनी..

और वो एक झूठ बोला हमारे सौ सच फ़ीके पड़ गये..



यूसुफ़ आर खान..

©F M POETRY #उसने एक झूठ कहा..

Ashutosh Mishra

Anjali Singhal

"साँसों में बढ़ती बेक़रारी की वजह ना पूछ! तेरे इश्क़ में पड़ गया दिल और हम दिल को रहे जाने कहाँ ढूँढ!!" #AnjaliSinghal love #ishq shayar

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White "साँसों में बढ़ती बेक़रारी की वजह ना पूछ!
 तेरे इश्क़ में पड़ गया दिल और हम दिल को रहे जाने कहाँ ढूँढ!!"

©Anjali Singhal "साँसों में बढ़ती बेक़रारी की वजह ना पूछ!
 तेरे इश्क़ में पड़ गया दिल और हम दिल को रहे जाने कहाँ ढूँढ!!"

#AnjaliSinghal #love #ishq #shayar

unique writer

हमारे दिल ने हमें कहा

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Veermani Yadav

पटना कहा है #patna

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Radha Chandel

#, जाने क्यू

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset क्यू हर बार दर्द मुझे चुनता हैं।
या क्यू हर बार मैं दर्द को चुनती हू।।

क्यू हर बार मैं सपने सजाती हू।
क्यू हर बार तुझे अपना बनाती हू।।

तू हर बार दिल तोड़ जाता है।
सूनी में राहों में तन्हा छोड़ जाता है।।

मैं फिर से तुझसे दिल लगाती हू।
तू फिर से दिल तोड़ जाता हैं।।

या तो नासमझ है तू या तेरा दिल पत्थर का हैं।
मेरी बेबसी को तू वक्त गुजारने का जरिया बनाता है।।

©Radha Chandel #, जाने क्यू

Shashi Bhushan Mishra

#सही-सही दो टूक कहा#

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सही-सही  दो  टूक कहा,
दर्दे  दिल  को  हूक कहा,

जली दूध से जुबां हमारी,
पियो छाछ भी फूंक कहा,

ज़ुल्म देखकर भी चुप बैठे,
अभिभावक को मूक कहा,

कोयल की मीठी बोली पर,
पीड़ा  को  भी  कूक कहा,

सीख नहीं पाए अतीत से,
ग़लती  को भी  चूक कहा,

इन्सां  की  बदहाली देखी,
बक्से   को   संदूक  कहा,

'गुंजन' हुई मुहब्बत अंधी,
गदहे  को   माशूक़  कहा,
-शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
     प्रयागराज उ०प्र०

©Shashi Bhushan Mishra #सही-सही दो टूक कहा#

theABHAYSINGH_BIPIN

किस कदर बेखबर है वो मुझसे, एक साया है मगर साथ कब से। ढूंढने की कोशिश में उलझा हूँ, जाने कहाँ खो गई है वो हमसे। अरसा हुआ, उसके चेहरे पर मुस

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किस कदर बेखबर है वो मुझसे,
एक साया है मगर साथ कब से।

ढूंढने की कोशिश में उलझा हूँ,
जाने कहाँ खो गई है वो हमसे।

अरसा हुआ, उसके चेहरे पर मुस्कान,
खिला नहीं कोई गुलाब भी कब से।

सवालों का पिटारा है मेरे दिल में,
पर पूछने की इजाजत नहीं उससे।

नज़रों से सवाल कर जाती है,
अब नज़र मिलती नहीं मेरी उससे।

देखकर मेरे बगल से गुजर जाती है,
सोचता हूँ, सजा दूँ बालों में गजरे।

कैसी बेताबी है, उसे क्या ख़बर,
देख ले इश्क़, जो मिल जाए नज़रे।

किस कदर सब्र का चोला पहना,
इसी हाल में जी रहा 'अभय' कब से।

©theABHAYSINGH_BIPIN किस कदर बेखबर है वो मुझसे,
एक साया है मगर साथ कब से।

ढूंढने की कोशिश में उलझा हूँ,
जाने कहाँ खो गई है वो हमसे।

अरसा हुआ, उसके चेहरे पर मुस

सिर्फ तुम

उसने कहा था सिर्फ तुम

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