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Shivkumar
White मेरी अम्मा कभी नहीं जताती भी कुछ , मेरा दुःख सह जाती अम्मा। हमें खिलाती बड़े प्यार से , खुद भूखे सो जाती अम्मा। एक एक पाई रही जोड़ती, मुझ पर थी लुटाती अम्मा। दुनिया भर के दुख सहती, और मुझे बचाती अम्मा। खुशियाँ सारी मेरे लिए ही, जाने कहाँ से लाती अम्मा। भोली-भाली व प्यारी प्यारी, सबसे थी सुन्दर मेरी अम्मा। धरती सी थी सहने की क्षमता, थी त्याग की मूरत मेरी अम्मा। सारा प्यार लुटाती थी मुझपर, सब कष्टों से थी बचाती अम्मा। ईश्वर तो है मन्दिर की शोभा, घर मन्दिर की है मेरी अम्मा। सब कोई पूजे हैं देवी-देवता, मैं तो हूँ पूजती अपनी अम्मा। ©Shivkumar #mothers_day #motherlove #Mother #mother❤️ #mother_Love मेरी अम्मा कभी नहीं जताती भी कुछ , मेरा दुःख सह जाती अम्मा।
हिमांशु Kulshreshtha
White मैने वक्त को कहा रुक जा उन लम्हों में जो कभी मेरे थे चल वापिस उन घड़ियों में जिन्हें फिर जीना चाहता हूं एक और जिंदगी... कुछ भूल सुधारनी है बिगड़ी बातें संवारनी है वक्त ने कहा.. एक चक्र है वक़्त कभी रुक नहीं पाता पर जो चाहो तुम तो, बस यादें दे सकता हूं वक्त बदल गया लोग बदल गए बस जो नहीं बदला तो वो है यादें....!! ©हिमांशु Kulshreshtha मैंने कहा...
Razzj D
ना जाने कहाँ खो गया मैं, ना जाने किस मोङ पे आ रूका मैं, ना चाहत हैं कुछ करने की ना हिम्मत हैं खुद को बदलने की... ©Razzj D #Hope ना जाने कहाँ खो गया मैं... #New #Shayari #poem #Feel #Nojoto #Life
Pradeep Kumar
पल पल बदलते है लोग रंग यहां, और होली पर कहते है, मुझे रंगो से अलर्जी है। ©Pradeep Kumar क्यों सही कहा ना।
Rishika Srivastava "Rishnit"
शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग " ................................ मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अंग रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे...! थोड़ा सा ग़ुलाल मैं लगाऊं, थोड़ा तुम लगाना.. लपक-झपक ग़ुलाल के रंगों से, रंगे दोनों संग रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..! ना जाने कहाँ होंगे अगले बरस, एक दूसरे को देखने को नजरें जाएगी तरस.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..! आगे की चिंता की शिकन ना आने दे हमारे दरमियान, तू और इस रंग-बिरंगे रंगों संग जिंदगी में भरे हर रंग रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..! बरस-बरस भीगेंगे आँचल, भिगोए जलते तन-मन रे.. आओ सखी, बुझा दे प्रेम से हर पीड़ा की चुभन रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!! ©Rishika Srivastava "Rishnit" शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग " ................................ मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अ
( prahlad Singh )( feeling writer)
Blue Moon ll कभी रुके तो रुकसत इस वादे से लेंगे की मां ने जो कहा था, सही कहा था ll ©( prahlad Singh )( feeling writer) सही कहा था#bluemoon
Arun Mahra
रब भी ना जाने कैसे रिश्ता बना देते है कब कहां कैसे किस्से मिला देते है जिसको कभी जानते तक भी नहीं हैं उसी इंसान को हमारे जीने का रिश्ता बना देते हैं ©Arun Mahra रब ने जाने कहां किस्से मिला देते हैं पर वक्त आते आते ही रिश्ता के साथ जोड़ी मिला देते हैं
Rajesh Khanna
मैंने कहा ठीक है पर उसने नहीं माना बार बार आती रही मेरी रातों को मैंने माना किया पर वो आती रही ©Rajesh Khanna मैंने कहा
Sangeeta Kalbhor
पर ना जाने.. मैं लिखा करती थी मुझे अब ना जाने कहाँ गुम हो गई हूँ निकलना चाहती हूँ भवंड़र से पर ना जाने कहाँ खोई हुई हूँ रुठ गई है कलम मुझसे दवा कोई कराओ ना दिल नही मानता आसानी से आकर कोई मनाओ ना जिद कर बैठा है मन करके मन्नते मैं हार गई हूँ निकलना चाहती हूँ भवंड़र से पर ना जाने कहाँ खोई हुई हूँ जानती हूँ ये ठिक नही है हो जो रहा है मुझसे कौन मेरा यहाँ अपना है जो बताऊं सब उससे आता नही कोई थामने पुकार कर मैं थम गई हूँ... निकलना चाहती हूँ भवंड़र से पर ना जाने कहाँ खोई हुई हूँ..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #Preying पर ना जाने.. मैं लिखा करती थी मुझे अब ना जाने कहाँ गुम हो गई हूँ निकलना चाहती हूँ भवंड़र से पर ना जाने कहाँ खोई हुई हूँ रुठ गई है