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New शायरी बचपन Quotes, Status, Photo, Video

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Tripurari Pandey

बचपन मतलब बेफिकर

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आधुनिक कवयित्री

बचपन की यादें......

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love you zindagi

ZIndagi sms quotes in hindi शौक़_ए_जिंदगी की कहानी नहीं रही 
 बचपन बस गुजरा ही है कि जवानी ढल रही..!

 @Dear zindagi✍️

©love you zindagi #जिंदगी #बचपन #लाइफ #जवानी

Sumit Kumar

बचपन की यादें..

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Amit Tiwari

Unsplash जवानी में कमाई के कई आयाम गढ़ डाले ....
फलसफे न जाने कितने हर शाम पढ़ डाले ...

शिद्दत से इंतजार है कि फिर से दिन वही आए..
हम सब्जी से बचायें चार पैसे और घर आए..

खनक उन चार पैसों की दोबारा मिल नहीं पाई..
खुद के लाखों रुपयों में वो खनक ही नहीं आई..

©Amit Tiwari #Book #बचपन 
#बचपन_के_वो_दिन

Dr. Bhagwan Sahay Meena

बचपन लव शायरियां

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Monu Saini

बचपन# समझदार

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न समझदार हूं  और न ही बनना चाहता हूं 
टेंशन से लबालब जिंदगी छोड़ ऐ मेरे मालिक में तो बचपन में ही जीना चाहता हूं।

©Monu Saini बचपन#  समझदार

Dil_ki.dastaan :- संग्राम मौर्य

White बच्चे थे तब अच्छे थे,
सारे दिल के सच्चे थे।

पापा के हम राजदुलारे,
मम्मी के आँखों के तारे।

चंदा मामा प्यारे थे लगते, 
सूरज से हम जल्दी जगते। 

खेले कूदे मैदानों में जाकर 
धूल मिट्टी से कूद फांदकर 

बचपन का सपना टूट गया जब 
बड़े हो गए अब छूट गया सब

हर ग़म हर पल खुश हमको रहना, 
फिर से बच्चों जैसा जीवन जीना।

©Dil_ki.dastaan #बचपन #बालदिवस #kids #children

Dr.Meet (मीत)

wo बचपन

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White वो बचपन कितना अच्छा था 
प्यार हमारा सच्चा था 
धोखा दगाकुछ ना जाने 
क्यों कि तब में बच्चा था

©डॉ.वाय.एस.राठौड़ (.मीत.) wo बचपन

Rakesh Songara

#बचपन

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बचपन की यादें  किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,
वो खेल-खिलौने कागज़ के,मिट्टी के बर्तन,
बेवजह क्यूँ याद आ गए,,,
वो बेपरवाह बदमाशियां,अठखेलियां, शरारतें सारी,,
‌टूटी फूटी,रंगबिरंगी चूड़ियां प्यारी,,
‌माटी के घरौंदे में घर-घर का खेला,,
‌वो तीज़ त्योहार, गणगौर का मैला,,,
‌वो कुल्फ़ी की चुस्कियों से जुबां की लाली,,
‌मदारी के डमरू पे बजती वो ताली,,
‌अनोखे वो दिन वो बातें पुरानी पता नहीं
‌ क्यों याद आ गए,,,
‌किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,,,,,,
‌सावन के झूलों में घण्टों लटकना,,
‌वो बारिश की बूंदों में छम-छम रपटना,,,
‌फ़टे कपड़ों में भी खुशियां समेटे,
‌वो रेहड़ी से केलों के गुच्छे झपटना,,
‌था जिंदादिल अब से वो बचपन का मौसम,
‌अब तो  हर सांस पे लगता है राशन,,
‌चोट खाके भी हँसने के किस्से पता नही क्यों याद आ गए,,,
‌किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,,,,,,,,,,
             राकेश सोनगरा, सरदारशहर

©Rakesh Songara #बचपन
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