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Nojoto Hindi (नोजोटो हिंदी)
राष्ट्र के गौरव पिंगली वैंकैया को श्रद्धांजलि दें- #PingaliVenkayya भारत को उसकी पहचान, उसका तिरंगा देने वाले पिंगली वेंकैया का आज जन्मदिन ह
Rishika Srivastava "Rishnit"
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सरोजिनी नायडू ने अपना सारा जीवन देश के लिए समर्पित किया था।आपने उनके संघर्षों से क्या सीखा? #Trend #Specialday #Deathanniversary #QandA #Sar
Ditikraj.arvind
जनता का खेल है "जनता" ही जाने.. कोई आम खेल नहीं,, यह "लोकतंत्र" है,, बाबा.. जो समझता है ,,लोकतंत्र की राजनीति को वहीं उस "दिल्ली" पर बैठने का हकदार है!... ©Ditikraj"दुष्यंत"...! जनता का खेल है जनता ही जाने.. कोई आम खेल नहीं,, यह लोकतंत्र है,, बाबा.. जो समझता है ,,लोकतंत्र की राजनीति को वहीं उस दिल्ली पर बैठने का हकद
साहस
औरतें थी सब,ठीक से किताबें देखिए। कल्पना चावल , सरोजिनी नायडू, अहिल्याबाई होलकर इत्यादि ।। भारत में बहुत सी महिलाएं ऐसी हुई है जिन्होंने अपने बल, युद्ध, कोसल आदि से अपने नाम
RAKESH SINGH (Drishti Coaching Nandganj)
जन्मदिवस पर विशेष दृष्टि कोचिंग क्लासेज नन्दगंज गाजीपुर पिंगली वेंकैया: जिनकी वजह से भारत को मिला तिरंगा... भारतीय झंडे को डिजाइन करने वाले पिंगली वेंकैया ने रेलवे में भी नौकरी की थी. आज उनका जन्
Kiran Bala
#Pehlealfaaz आखिर क्यों? एक दिन थी मैं सोई हुई, सपनों में खोई हुई सहसा एक परी आई,मुझे देख वह मुस्काई किरण तू क्यों है उदास? मुझे बता सारी बात तेरी समस्या सु्लझाऊँगी,जो पूछेगी बतलाऊँगी एक बात बताओ परी रानी,क्यों लड़ रहे हैं भाई-भाई ? क्या भुला चुके हैं वो ! हमने कैसे थी आजादी पाई ? क्यों भुला दिया बापू नेहरु को ?क्यों भुला दी गईं लक्ष्मी बाई ? क्या भूल चुके हम संदेश नायडू का, मिलके रहो तुम भाई-भाई बता तू ही क्यों हमने माँ इंदिरा की हत्या की बता सकती हो अब तक देश में, कितनी खून की नदियाँ बहीं? बता सकती हो कितनी साजिशें, देशद्रोहियों ने मिल शत्रु से की कुछ टकों के लालच में फंस ,देश के प्रति गद्दारी की इन सब प्रश्नों के उत्तर, दे सकती हो तो दे दो अब नहीं तो वापिस चली जाओ,अपने देश की धरती पर मेरी पहली कविता,जब मैं कक्षा सातवीं में पढ़ती थी. उस समय देश में आतंकवाद उग्र रूप धारण कर चुका था बस इसी व्यथा ने इस कविता को जन्म दिया. आ
Amit Tiwari
Dr Upama Singh
रचना नंबर – 1 “भारतीय साहित्य में स्त्रीयों का योगदान” निबंध– अनुशीर्षक में भारत में विभिन्न भाषा साहित्य के क्षेत्र में जिस तरह पुरुषों ने प्राचीन काल से ही उत्कृष्ट योगदान दिया है ठीक स्त्रीयों की भूमिका भी बराबर क