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Sam Agnihotri
Hindi shayari quotes Waqt aur halat se itna majbur hota gaya hoon sayad isiliye tujhse dur hota gaya hoon Toh kya agar tu saath nahi teri di gayai har ehsaas se mohabbat karta gaya hoon Tujhe toh khabar bhi na hui hum tujhe jeete chale aaye sayad isilye teri galiyo se dur chalta gaya hoon main zindagi ki raasto mein tere saath chodne se sab kuch harta gaya hoon main sayad isiliye aaj in andhero mein khota gaya hoon main Jee wothte hum tere samajh jane se ki kya hai iss dil mein par sachaiyo se tere muh ferne se har pal marta gaya hoon main........ #NojotoQuote Hum aur Hamare sansar #me and my world
Hum aur Hamare sansar #me and my world
read moreB.L Parihar
*हम उस जमाने के बच्चे थे* पांचवी तक घर से तख्ती लेकर स्कूल गए थे... स्लेट को जीभ से चाटकर अक्षर मिटाने की हमारी स्थाई आदत थी, कक्षा के तनाव में भाटा पेन्सिल खाकर ही हमनें तनाव मिटाया था। स्कूल में टाट-पट्टी की अनुपलब्धता में घर से खाद या बोरी का कट्टा बैठने के लिए बगल में दबा कर भी साथ ले जाते थे। कक्षा छः में पहली दफा हमने अंग्रेजी का कायदा पढ़ा और पहली बार एबीसीडी देखी। स्मॉल लेटर में बढ़िया एफ बनाना हमें बारहवीं तक भी न आया था। करसीव राइटिंग भी कॉलेज मे जाकर ही सीख पाए। उस जमाने के हम बच्चों की अपनी एक अलहदा दुनिया थी, कपड़े के थेले में किताब और कापियां जमाने का विन्यास हमारा अधिकतम रचनात्मक कौशल था। तख्ती पोतने की तन्मयता हमारी एक किस्म की साधना ही थी। हर साल जब नई कक्षा के बस्ते बंधते (नई काॅपी-किताबें मिलती) तब उन पर जिल्द चढ़ाना हमारे जीवन का स्थाई उत्सव था। सफेद शर्ट और खाकी पेंट में जब हम माध्यमिक कक्षा पहूँचे तो पहली दफा खुद के कुछ बड़े होने का अहसास तो हुआ लेकिन पेंट पहन कर हम शर्मा रहे थे, मन कर रहा था कि वापस निकर पहन लें। पांच छ: किलोमीटर दूर साईकिल से रोज़ सुबह कतार बना कर चलना और साईकिल की रेस लगाना हमारे जीवन की अधिकतम प्रतिस्पर्धा थी। हर तीसरे दिन पम्प को बड़ी युक्ति से दोनों टांगो के मध्य फंसाकर साईकिल में हवा भरते मगर फिर भी खुद की पेंट को हम काली होने से बचा न पाते थे। स्कूल में पिटते, कान पकड़ कर मुर्गा बनते, मगर हमारा ईगो हमें कभी परेशान न करता.. हम उस जमाने के बच्चें शायद तब तक जानते नही थे कि *ईगो* होता क्या है? क्लास की पिटाई का रंज अगले घंटे तक काफूर हो गया होता,और हम अपनी पूरी खिलदण्डता से हंसते पाए जाते। रोज़ सुबह प्रार्थना के समय पीटी के दौरान एक हाथ फांसला लेना होता, मगर फिर भी धक्का मुक्की में अड़ते भिड़ते सावधान विश्राम करते रहते। हम उस जमाने के बच्चे सपने देखने का सलीका नही सीख पाते, अपने माँ बाप को ये कभी नही बता पाते कि हम उन्हें कितना प्यार करते हैं, क्योंकि "आई लव यू माॅम-डेडी" नहीं आता था. हम उस जमाने से निकले बच्चे गिरते सम्भलते लड़ते-भिड़ते दुनिया का हिस्सा बने है। कुछ मंजिल पा गए हैं, कुछ यूं ही खो गए हैं। पढ़ाई, फिर नौकरी के सिलसिले में लाख शहर में रहे लेकिन जमीनी हकीकत जीवनपर्यन्त हमारा पीछा करती रहती रही है। अपने कपड़ों को सिलवट से बचाए रखना और रिश्तों को अनौपचारिकता से बचाए रखना हमें आज भी नहीं आता है। अपने अपने हिस्से का निर्वासन झेलते हम बुनते है कुछ आधे अधूरे से ख़्वाब और फिर जिद की हद तक उन्हें पूरा करने का जुटा लाते है आत्मविश्वास। कितने भी बड़े क्यूँ ना हो जायें हम आज भी दोहरा चरित्र नही जी पाते हैं, जैसे बाहर दिखते हैं, वैसे ही अन्दर से होते हैं। *"हम थोड़े अलग नहीं, पूरे अलग होते हैं. "* *कह नहीं सकते हम बुरे थे या अच्छे थे,* *"क्योंकि हम उस जमाने के बच्चे थे."* आदर #Hum bache the
#Hum bache the
read morekunduji
Chand shike ke kankar ko hum sansar samjha karte the, Wo bachpan tha jab hum kagz ki kasti se uddan bhara karte the, Jawani me bachapan ke kisse yad kia karte the, Na samaj hi sahi hum kabhi bache hua karte the... #kunduji Hum bache hua karte the, #lafzoki_khani
Hum bache hua karte the, #lafzoki_khani #kunduji
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