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चाँदनी
White जाने कौन सा रोग मेरे कविताओं को लगा है शब्दों का एक कतरा जिस्म पर गिरते ही कविताएँ अपने एक अंग को खा जाती है मै एक कोने मे बैठ कर खूब रोती हूँ और मेरे कविता के बहते नासूर से फिर एक जिस्म तैयार होता है हर बार हृदय काग़ज के आर पार बैठा राहगीरो से दूर अपने जख्म की तूरपाई मे कागज के सिलवटों को नोच देता है दर्द नासूर का नही, जिस्म का नही काग़ज का होता मौत तीनों को कैद करता है रूह अकेला चित्कारता है कविताएँ जहर या औषधि ही नही बनती बाकी तीन खण्डों का मूलभूत अधिकार जीवन - मरण तक स्थापित कर चुकी होती है ©चाँदनी #रोग
Satish Kumar Meena
Jab Insaan Pyar Mein Hota Hai जब इंसान प्रेम में होता है, अपनों को भूल जाता है। अंधा जीवन जीने वाला,, प्रज्जवलित हो जाता है। सोच रहा होता है कि मुझे, नवजीवन प्राप्त हुआ है। अपने तो कभी अपने ना थे, अब अपना कोई हुआ है। मायावी दुनिया में फिर से, मायाजाल में खो जाता है। जब इंसान प्रेम में होता है, अपनों को भूल जाता है।। ©Satish Kumar Meena प्रेम
प्रेम
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White प्रेम वो नहीं जो एक ग़लती पर साथ छोड़ दे.. प्रेम तो वो है जो सौ गलतियों को भी सुधार कर ज़िन्दगी भर साथ दे.. ©हिमांशु Kulshreshtha प्रेम...
प्रेम...
read moreअनिल कसेर "उजाला"
मुझे भी अपना बना ले कोई, आँखों मे अपने बसा ले कोई। खटकता रहा हूँ ज़माने को मगर, चाहता हूँ मुझे गले लगा ले कोई। ©अनिल कसेर "उजाला" प्रेम
प्रेम
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