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अनिल कसेर "उजाला"
मौसम बदल रहा है सम्हल के चल, दिल से दिल मिल रहा है सम्हल के चल। तूफां तो बहुत आयेंगे जिंदगी में तेरे, वक़्त भी निकल रहा है सम्हल के चल। ©अनिल कसेर "उजाला" सम्हल के चल
सम्हल के चल
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी अब खुद गुमराह है संसद एक दशक से विपक्ष का भार सह नही पाती है खुद एक समस्या बन गयी ज्वलन्त मुद्दों से भटकाकर चीरहरण जन जन का करती है पाशे शकुनि जैसे सत्ताधीशो के दाँव पर फिर भारत को लगाया जा रहा है शय्या पर लोकतंत्र लेटा हठी दुर्योजन सब नैतिकता खोता है गिरा कर स्तर संसद का हर मुद्दा दरकिनार करता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #Budget23 शय्या पर लोकतंत्र लेटा
#Budget23 शय्या पर लोकतंत्र लेटा
read moreGhanshyam Ratre
शीत लहरें कोहरे का ठंडा का महिना है । गरम वाले सुती ऊनी वस्त्र लगते सुहाने हैं।। बहुत ठंडा लगता है ठंड से शरीर कांपते हैं। ठंडा में गर्मागर्म खाने के चीजें अच्छे लगते हैं।। ©Ghanshyam Ratre ठंडा के महिने
ठंडा के महिने
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी योजनाओं की धुंध से ओझल जनमानस उनकी नीतियां जीवन कपकपाती है सर्द और सुन्न हो गये मन मस्तिष्क ओले राशन पानी पर गिराकर महंगाई का कहर रसोई पर बरसाती है मानक सफ़लता के सरकारों के पास है गफलत में हम, दम तोड़े जाते है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #sadak मानक सफलता के सरकारों के पास है
#sadak मानक सफलता के सरकारों के पास है
read moreअदनासा-
#भारत #देश #लोकतंत्र #संविधान #ईवीएम #बैलेटपेपर #RadheGovinda #Instagram #Facebook #अदनासा नये अच्छे विचार आज शुभ विचार 'अच्छे विचार' अनम
read moreAnuj Ray
White सुप्रीम कोर्ट के कानून और संविधान की बात मानकर चलने वाले कुछ लोग स्वयं को हिंदू प्रमाण करते हैं जिनको अपना सही दिए नहीं पता नहीं होता बड़ी-बड़ी सभा में बहुत तेज तकरार बहस भी करते हैं। मेरा एक प्रश्न है सुप्रीम कोर्ट कहता है एक विवाहित महिला विवाह के बाद छह मित्रों के साथ संपर्क बनाकर के शान से अपने परिवार में रह सकती है कितने हिंदू सनातनी इस बात से सहमत है। ©Anuj Ray # समाज के ठेकेदार"
# समाज के ठेकेदार"
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी रेवड़ियों में लोकतंत्र फ़ँसा है व्यवस्था सब कराहती है रोजगार व्यापार सब ठप्प महँगाई सुरसा जैसी बढ़ती जाती है चुनाव जीतना ही कामयाबी लोकतंत्र की पाप सियासतों के सब छिपाती है पौधे सब मुरझा रही,युवा बनकर भविष्य अपना तय नही कर पा रही है दखल राजनीतिक चहुँ और बढ़ गया आमजनों का जीवन दुष्वार हो रहा है ©Praveen Jain "पल्लव" #Likho रेवड़ियों में लोकतंत्र फ़ँसा है
#Likho रेवड़ियों में लोकतंत्र फ़ँसा है
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