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Best प्रत्यक्ष Shayari, Status, Quotes, Stories

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Mukesh Poonia

#beautifulhouse #सफलता #मन की #शांति है, जो यह जानने में आत्म~संतुष्टि का #प्रत्यक्ष परिणाम है कि आपने #सर्वश्रेष्ठ बनने का प्रयास किया, जिसके आप #सक्षम हैं। ~#जॉन #वुडन #विचार

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Rakesh frnds4ever

#Teachersday उन सभी #उत्कृष्ट #आत्माओं को मेरा सादर #प्रणाम जिन्होंने मुझे #प्रत्यक्ष #अप्रत्यक्ष रूप से कुछ सिखाया है मैं सदैव उनका #अभिवादन करता हूं एवम् सदैव उनके #चरणों में #नतमस्तक हूं,,.... #जानकारी #rakeshfrnds4ever

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amar gupta

प्रेम प्रत्यक्ष होता है
और वेदना,
प्रेम के परोक्ष।
 प्रेम

#प्रेम #वेदना #प्रत्यक्ष #yqbaba #YQdidi #bestyqhindiquotes #हिन्दी

Shruti Gupta

प्रेम प्रत्यक्ष होता है
और वेदना,
प्रेम के परोक्ष।
 प्रेम

#प्रेम #वेदना #प्रत्यक्ष #yqbaba #YQdidi #bestyqhindiquotes #हिन्दी

Lata Sharma सखी

मुज्जसिम हूँ मैं, ये बात जान ले तू मेरे सनम, 
इश्क़ में अपनों से ही पर्दा नहीं किया करते। 

©सखी #प्रत्यक्ष #इश्क़

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8 ।।श्री हरिः।। 4 – कर्म 'कुछ कर्मों के करने से पुण्य होता है, और कुछ के न करने से। कुछ कर्मों के करने से पाप होता है और कुछ के न करने से।' धर्मराज अपने अनुचरों को समझा रहे थे। 'कर्म संस्कार का रूप धारण करके फलोत्पादन करते हैं। संस्कार होता है आसक्ति से और आसक्ति क्रिया एवं क्रियात्याग, दोनों में होती है। यदि आसक्ति न हो तो संस्कार न बनेंगे। अनासक्त भाव से किया हुआ कर्म या कर्मत्याग, न पुण्य का कारण होता है और न पाप का।' बड़ी विकट समस्या थी। कर्म के निर्ण

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 8

।।श्री हरिः।।
4 – कर्म

'कुछ कर्मों के करने से पुण्य होता है, और कुछ के न करने से। कुछ कर्मों के करने से पाप होता है और कुछ के न करने से।' धर्मराज अपने अनुचरों को समझा रहे थे। 'कर्म संस्कार का रूप धारण करके फलोत्पादन करते हैं। संस्कार होता है आसक्ति से और आसक्ति क्रिया एवं क्रियात्याग, दोनों में होती है। यदि आसक्ति न हो तो संस्कार न बनेंगे। अनासक्त भाव से किया हुआ कर्म या कर्मत्याग, न पुण्य का कारण होता है और न पाप का।'

बड़ी विकट समस्या थी। कर्म के निर्ण

priyanka

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कुष्मांडा माता स्तुती

त्वं प्रत्यक्ष कुष्मांडा माता
परम सुखदायिनी l
त्वं जगदंबा, अंधकार निःपातीनी
स्वयंम् प्रकशिनी ll१ll

त्वं प्रत्यक्ष आदिशक्ती
अष्टभुजा धारी l
कोटी सूर्य प्रभा
जगद जननी शाकंभरी ll२ll

त्वं लावण्य सुंदर
सूर्य मंडल स्थित, मृगेंद्र विराजिनी l
कमलाक्षी, शृंगार प्रिया
त्वं चरा चर निवासिनी ll३ll

ईषत् हास्य
त्वं ब्रम्हांड निर्माती l
सकल सिद्धिंची सम्राग्नी
त्वं स्वास्थ्य समृध्दी प्रदाती ll४ll

अस्त्र शस्त्र धारिणी
चित्त शुद्ध करती l
प्रसन्न मूर्ती जगन्माता
इष्टफल दात्री, मनोकामना पूर्ण करती ll५ll

✍️ प्रियंका सोनवणे

आयुष पंचोली

क्या हमारे सारे सवालों के जवाब हमारे खुद के अस्तित्व मे खुद ही के भीतर कहीं छुपे हैं। और अगर ऐसा हैं तो उनका जवाब प्राप्त कैसे किया जायें? हाँ यह बिल्कुल सत्य हैं, की हमारे सारे सवालों के जवाब, सभी समस्याओं का हल कहीं ना कहीं, हमारे ही अस्तित्व की उन गहराईयौं मे छूपा हैं, जहां हम पहुच नही सकते या यूँ कहें पहुचना नही चाहते। क्योकी हमारे जीवन मे अर्थात् आपके जन्म लेने के बाद से,कितनी ही घटनाए ऐसी घटित होती हैं, जो हमारे मन और मस्तिष्क पर बहुत गहरी छाप छोड़ती हैं। उनमे से कुछ घटनायें हम भुला देते #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual

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क्या हमारे सारे सवालों के जवाब हमारे खुद के अस्तित्व मे खुद ही के भीतर कहीं छुपे हैं। और अगर ऐसा हैं तो उनका जवाब प्राप्त कैसे किया जायें?
आयुष पंचोली 
©ayush_tanharaahi

#kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual क्या हमारे सारे सवालों के जवाब हमारे खुद के अस्तित्व मे खुद ही के भीतर कहीं छुपे हैं। और अगर ऐसा हैं तो उनका जवाब प्राप्त कैसे किया जायें?

हाँ यह बिल्कुल सत्य हैं, की हमारे सारे सवालों के जवाब, सभी समस्याओं का हल कहीं ना कहीं, हमारे ही अस्तित्व की उन गहराईयौं मे छूपा हैं, जहां हम  पहुच नही सकते या यूँ कहें पहुचना नही चाहते। क्योकी हमारे जीवन मे अर्थात् आपके जन्म लेने के बाद से,कितनी ही घटनाए ऐसी घटित होती हैं, जो हमारे मन और मस्तिष्क पर बहुत गहरी छाप छोड़ती हैं। उनमे से कुछ घटनायें हम भुला देते

आयुष पंचोली

ब्रम्ह क्या हैं, क्या ब्रम्ह का मतलब ब्रह्मा से हैं या ब्रम्ह ब्राह्मण को सम्बोधित करता हैं। और अगर ऐसा नही हैं, तो फिर ब्रम्ह का अर्थ क्या हैं....? ब्रम्ह जैसा की उस नाम से ही स्पष्ट हो जाता हैं, ब्रम्ह अर्थात् रचियता। और इसी से एक चीज और निकल कर आती हैं, ब्रह्माण्ड अर्थात् "ब्रम्ह का अंड" यानी वो पिंड जिससे जीवन की, विकास की, अस्तित्व की और सृष्टि की शुरुवात हुई। तो फ़िर असल मे ब्रम्ह हैं कौन, यही प्रश्न सबके मन मे उठता हैं। सृष्टि के रचियता ब्रम्हा हैं, तो बहुत से लोग उन्हे ही ब्रम्ह जानते है #kuchaisehi #ayushpancholi #hindimerijaan #ayuspiritual

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✍बृम्ह क्या हैं....! ब्रम्ह क्या हैं, क्या ब्रम्ह का मतलब ब्रह्मा से हैं या ब्रम्ह ब्राह्मण को सम्बोधित करता हैं। और अगर ऐसा नही हैं, तो फिर ब्रम्ह का अर्थ क्या हैं....?

ब्रम्ह जैसा की उस नाम से ही स्पष्ट हो जाता हैं, ब्रम्ह अर्थात् रचियता। और इसी से एक चीज और निकल कर आती हैं, ब्रह्माण्ड अर्थात् "ब्रम्ह का अंड" यानी वो पिंड जिससे जीवन की, विकास की, अस्तित्व की और सृष्टि की शुरुवात हुई। तो फ़िर असल मे ब्रम्ह हैं कौन, यही प्रश्न सबके मन मे उठता हैं। सृष्टि के रचियता ब्रम्हा हैं, तो बहुत से लोग उन्हे ही ब्रम्ह जानते है

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12 ।।श्री हरिः।। 1 - जिन्हें दोष नहीं दीखते 'आप निर्दोष हैं। आराध्य का आदेश पालन करने के अतिरिक्त आपके पास ओर कोई मार्ग नहीं था।' आचार्य शुक्र आ गये थे आज तलातल में। पृथ्वी के नीचे सात लोक हैं - अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल , रसातल और पाताल। इनमें तीसरा लोक सूतल भगवान् वामन ने बलि को दे रखा है। उसके नीचे अधोलोंको का मध्य लोक तलातल मायावियों के परमाचार्य परम शैव असुर-विश्वकर्मा दानवेन्द्र मय का निवास है। सुतल में बलि की प्रतिकूलता का प्रयत्न करने वाले असुर

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 12

।।श्री हरिः।।
1 - जिन्हें दोष नहीं दीखते

'आप निर्दोष हैं। आराध्य का आदेश पालन करने के अतिरिक्त आपके पास ओर कोई मार्ग नहीं था।' आचार्य शुक्र आ गये थे आज तलातल में। पृथ्वी के नीचे सात लोक हैं - अतल, वितल, सुतल, तलातल, महातल , रसातल और पाताल। इनमें तीसरा लोक सूतल भगवान् वामन ने बलि को दे रखा है। उसके नीचे अधोलोंको का मध्य लोक तलातल मायावियों के परमाचार्य परम शैव असुर-विश्वकर्मा दानवेन्द्र मय का निवास है। सुतल में बलि की प्रतिकूलता का प्रयत्न करने वाले असुर
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