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Stories related to जिनकी मां नहीं होती

Kalpana Srivastava

#मां

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कुछ मां यशोदा जैसी होती है 
जो दूसरे के संतान को भी अपने गले 
से लगाए रहती है।
और कुछ मां कैकई की तरह 
अपने बच्चों में ही फर्क करती है।

©Kalpana Srivastava #मां

नवनीत ठाकुर

#मां

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मां की ममता का कोई हिसाब नहीं होता,
उसका हर आँसू भी बेवजह नहीं होता।

दुआएं उसकी साये की तरह होती हैं,
मां के कदमों तले ही तो जन्नत होती है।

©नवनीत ठाकुर #मां

Anuradha T Gautam 6280

#मां_को_मां_की_जरूरत मां क्या होती है एक मां ही समझ सकती है जाकर मां से पूछो जिनकी मां नहीं होती अरे हमारे सामने तो मां होती है पर उसकी कद

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RAMLALIT NIRALA

मां को कभी दुखी नहीं करना चाहिए

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White दिन गुजर गये रात गुजर गये गुजरगये सब बाते। ख्याल रखना तुम अपना मां बाप नहीं समझायेगे जीवन भर बाते। मां ईस दुनिया में एक  ऐसा शब्द है जो दुनिया के सारे दौलत एक तरफ मां एक तरफ फिर भी दुनिया के दौलत कम पड जायेगी फिर भी लोग एक दूसरे के चक्र में उस दौलत को भुल जा रहै हैं आज कल मै देखा हूँ कि एक मा सारा दुख दर्द सह कर बेटा और बेटी को पालती है बीना उम्मीद के बस एक उमीद के सहारे एक दिन मेरे बुढापे का सहारा बनेगा मेरा बेटा पर कहते हुये मूझे दुख ही नहीं रोना पड रहा है  ओही बेटा बीबी के साथ और मा को किनारे कर देरहा है सोचो कितना दूख से  ओ मा अपनी जीवन को बिताती है बाकी बाद मे लिखुगा यार आशु नहीं रूक रहा है मेरा

©RAMLALIT NIRALA  मां को कभी दुखी नहीं करना चाहिए

Raju Saini

#sad_quotes #Rajusaini #sainishayri #rajushayri जिनकी #बातों में #वजन होता है वो #महफिलों में चिल्लाया नहीं करते।

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White जिनकी बातों में वजन होता है 
वो महफिलों में चिल्लाया नहीं करते।

©Raju Saini #sad_quotes #Rajusaini #sainishayri #rajushayri 
जिनकी #बातों में #वजन होता है वो #महफिलों में चिल्लाया नहीं करते।

नवनीत ठाकुर

#मां

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White माँ के आँचल में बसी है जन्नत की खुशबू,
उसके प्यार में हर दर्द की दवा बाकी है।
लोरी की धुन से सजे हैं बचपन के नगमें,
उसकी ममता का हर रंग-ओ-हवा बाकी है।

उसके आशीर्वाद से रोशन है ये दुनिया,
हर कठिन राह में उसका साया बाकी है।
माँ की दुआओं में वो असर है छुपा,
जो हर ठोकर पे हमें संभाल लेता बाकी है।

माँ के आँचल की ठंडी छाँव है रहमत,
जिसमें सुकून-ओ-अमन का जहाँ बाकी है।
उसकी ममता में बसी है खुदा की रहमत,
माँ का हर एहसास बेमिसाल बाकी है।


जब भी गिरते हैं, उठाने को वो तैयार रहती है,
उसकी ममता का हर पल हमें सहारा बाकी है।
उसकी आँखों में दुआओं का एक समंदर है,
हर लम्हा उसके प्यार का दरिया बाकी है।

उसकी मुस्कान में छुपा है सुकून का जहाँ,
उसकी बातों में जन्नत का सफ़र बाकी है।
दूर रहकर भी उसके साये का एहसास मिलता है,
माँ की ममता का वो अमर रिश्ता बाकी है।

©नवनीत ठाकुर #मां

Vinod Mishra

"ज़रूरी नहीं है कि जो चीजें दिखती नहीं हैं होती नहीं हैं." #विनोद #मिश्र #मोटिवेशन ✍️

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kunti sharma

#मां बाप

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को आजकल के बच्चे अपनी जरूरतें पूरी करने का जरिया समझते हैं यह सबके लिए लागू नहीं होता पर कुछ तो ऐसे होते ही है

©kunti sharma #मां बाप

शुभम मिश्र बेलौरा

#good_night मां

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White ये इश्क,चांद तारे ,ये बहुत ही शब्द अच्छे हैं,
बहुत रोता हूं ,आंसू पोछता हूं फिर घुटन होती।
हुए हफ्ते मैं उसके फोन तक को न उठा पाया,
जो अपने आंसुओ को आंचलों में ही छिपा लेती।
कभी वो डाटती है और कभी तकरार करती है,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

गिरा हूं सीढ़ियों से और बहुत ही चांद तारों से,
ये चलते बादलों ने भी मुझे टक्कर ही मारा था।
सभी देते थे मेरी गलतियां, इल्ज़ाम मुझ पर ही,
न आगे और न पीछे दिख रहा कोई सहारा था।
वो तब भी यूं ज़माने से रोती है, रार करती है,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

ज़माने में खिलाते सब निवाले पेट भरके पर,
लगाये आस बैठे हैं मैं उसके बाद कुछ दूंगा।
ज़बर्दस्ती मुझे यूं डांट करके थालियां भरती,
कभी पूंछीं नहीं मुझसे, कितनीं रोटियां लूंगा।
मेरे ख़ातिर वो अपनी हर शौक इन्कार करती है,
अकेेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

बतायी एक ख्वाहिश बस, दुनिया में ज़माने में
किसी मज़लूम के खातिर सदा सच्चा रहूं मैं।
कभी जब लौट करके मैं अपने गांव में आऊं ,
तो अपनी मां के खातिर सदा बच्चा रहूं मैं।
इसी ख्वाहिश का, वो अब भी इज़हार करती ,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

©Shubham Mishra #good_night मां

शुभम मिश्र बेलौरा

#sunset_time मां

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White  ये इश्क,चांद तारे ,ये बहुत ही शब्द अच्छे हैं,
बहुत रोता हूं ,आंसू पोछता हूं फिर घुटन होती।
हुए हफ्ते मैं उसके फोन तक को न उठा पाया,
जो अपने आंसुओ को आंचलों में ही छिपा लेती।
कभी वो डाटती है और कभी तकरार करती है,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

गिरा हूं सीढ़ियों से और बहुत ही चांद तारों से,
ये चलते बादलों ने भी मुझे टक्कर ही मारा था।
सभी देते थे मेरी गलतियां, इल्ज़ाम मुझ पर ही,
न आगे और न पीछे दिख रहा कोई सहारा था।
वो तब भी इस ज़माने से रोती है, रार करती है,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

हैं दुनिया में खिलाते सब, निवाले पेट भरके पर,
लगाये आस बैठे हैं, मैं उसके बाद कुछ दूंगा।
ज़बर्दस्ती मुझे यूं डांट करके थालियां भरती,
कभी पूंछीं नहीं मुझसे मैं कितनीं रोटियां लूंगा।
मेरे ख़ातिर वो अपनी हर शौक इन्कार करती है,
अकेेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

बतायी एक ख्वाहिश बस, दुनिया में ज़माने में,
किसी मज़लूम के ख़ातिर सदा सच्चा रहूं मैं।
कभी जब लौट करके मैं अपने गांव में आऊं ,
तो अपनी मां के ख़ातिर सदा बच्चा रहूं मैं।
इसी ख्वाहिश का, वो अब भी इज़हार करती ,
अकेली मां है जो मुझसे केवल प्यार करती है।

©Shubham Mishra #sunset_time मां
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