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Dayal "दीप, Goswami..
कुछ शब्दों की समझ का फेर था,जी का जंजाल बन गया जिंदगी में बहुत कुछ हासिल किया कैसे कंगाल बन गया खोजा शकून गली गली ,ना जाने कैसे बवाल मच गया, जिंदगी की तलाश में, जिंदगी का ही ये सवाल बन गया।******************* अपने ही शब्दों की खातिर हम ने खुद को रोक लिया जिंदगी के एक अध्याय को हमने यहीं खत्म, किया अधूरी ख्वाइश,जिंदगी की अधूरी कहानी बनकर रह गई लफ्ज़ खामोश ,शब्द खामोश, यहीं अब जिंदगी बन गई। ,,दीप,, , #शब्दार्थ का फेर@@
Rani Ashish Thakur
सहन शक्ति की भी अपनी एक सीमा होती है,, रबर की तरह,, रबर को आवश्यकता से अधिक खिचने पर टूट जाता है,, उसी प्रकार से सहन शक्ति भी कुछ समय पश्चात टूट जाती हैं।। इसलिए स्वयं में झाँकना सिखिए।। स्वरचित (रानी आशिष ठाकुर ) ©Rani Ashish Thakur शब्दार्थ।।।
somnath gawade
भांडणातले 'शब्द' जरी माझे असले; तरी त्या शब्दांना 'अर्थ' तुला हवे तसे होते. #शब्दार्थ
Bishnu kumar Jha
Ek villain
अपनी अव्वल दर्जे के अंग्रेजी के लिए मशहूर कांग्रेसी नेता शशि थरूर को हाल ही में अंग्रेजी का एक बुनियादी सबक सिखाना पड़ा यह सबक भी उन केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने सिखाया जो अपनी चुटकुले तुकबंदी के लिए जाने जाते हैं हुआ यूं कि संसद में बजट पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के जवाब के दौरान आठवले वित्त मंत्री की बातों को इतने ध्यान से सुन रहे थे कि उनका मुंह खुला हुआ था थरूर ने उन तस्वीर को ट्वीट कर दिया और कैप्शन में लिखा कि लगभग 2 घंटे की चर्चा में ऑटो वाले की आचरण भी था हाव-भाव वाली तस्वीर ट्विटर पर यह टिप्पणी करने में थरूर ने बजट और रिप्लाई की स्पेलिंग गलत लिख दी फिर क्या था आठवले ने तुरंत थरूर ने ट्वीट के जवाब में गलत चीन करते हुए कहा कि बेवजह के दावों और बयान में लोग गलती कर ही जाते हैं वह थरूर ने भी माना और कहा कि गलत टाइपिंग भूरी अंग्रेजी से बड़ा पाप है जो भी हो ऑटोवाले इंटरनेट मीडिया पर उसका मिजाज लूटने में कामयाब रहे ©Ek villain #थरूर को सिखाया अंग्रेजी का सबक #kissday
Asheesh indian
न किसी के लिए शेष, न किसी के लिए विशेष इस मोह भरी दुनिया में बनकर रहो आशीष ©Asheesh indian शब्दार्थ, आशीष :-(यानी जैसे को तैसा) #Foggy
Nasamajh
वो सख़ी है तो किसी रोज़ बुला कर ले जाएं और मुझे वस्ल के आदाब सिखा कर ले जाएं !! मेरे अंदर किसी अफ़सोस की तारीकी हैं इस अँधेरे में कोई आग जला कर लें जाएं !! यें मेरी रूह में निंद की थकन कैसी हैं वो समंदर की तरह आए बहा कर ले जाएं !! हिज्र में जिस्म के इसरार कहाँ खुलते हैं अब वहींं सहर करें प्यार से आ कर लें जाएं !! ख़ाक आँखों में है वो ख़्वाब कहाँ मिलता है जो मुझे क़ैद-ए-मनाज़िर से रिहा कर लें जाए ।। शब्दार्थ :- तारिकी - अंधेरा इसरार - आग्रह , हठ सहर - सुबह