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Indian Kanoon In Hindi
White सिविल या दीवानी मामले पर कानून :- * सिविल या दीवानी मामलों में शिकायतकर्ता का उद्देश्य दूसरे व्यक्ति से अपना दावा हासिल करना होता है । * फैसला सुनाने के बाद अदालत अंत में आज्ञप्ति या डिक्री जारी करती है, जिसमें अदालत के आदेश तथा संबद्ध पक्षों की पूर्ति या रिलीफ का ब्यौरा होता है । * अर्जीदावा या आवेदन में सभी दावे शामिल किए जाने चाहिए, क्योंकि एक ही उद्देश्य से संबंधित ऐसे नए दावों की पूर्ति के लिए व्यक्ति दूसरी बार आवेदन नहीं कर सकता है । जिनके बारे में पहले आवेदन के समय दावा नहीं किया गया हो। * मामले से संबंधित पक्षों को सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित रहना चाहिए । ऐसा नहीं होने पर अदालत मामले को रद्द कर सकती है या डिक्री भी दे सकती है । अगर अनुपस्थिति के वाजिब कारण होंगे तो दोबारा सुनवाई भी हो सकती है। * मामले से संबंधित पक्ष कोई समझौता कर सकते हैं और अदालत से इसके लिए डिक्री जारी करने का अनुरोध कर सकते हैं । * पेश किए गये तथ्यों के आधार पर दोनों पक्ष की सुनवाई होती है , जिस पर अदालत फैसला सुनाती है । ©Indian Kanoon In Hindi सिविल या दीवानी मामले पर कानून :-
सिविल या दीवानी मामले पर कानून :-
read moreSHAILESH TIWARI
White हुस्न क्या है बुलबुला है मुझे तेरी रूह से प्यार है ये कागज़ के ग्रीटिंग कार्ड तो सब देते है मेरे हाथों मे मेरा दिल आज है ... तोड़ना , सहेजना चाहत है, अब तेरी अब दिल जो लग गया लग गया , सो लग गया ©SHAILESH TIWARI # हुस्न क्या है
# हुस्न क्या है
read moreRuhi
White जरुरी है क्या हर सफ़र पे चलना। सिर्फ़ एक रास्ता काफ़ी नही क्या।। कभी कभी बेमौसम बरसात भी होता है। हर मौसम का रंगीन होना ज़रूरी है क्या।। कभी दूरियों में भी प्यार दिखाया करो। हर बार मिल कर बताना ज़रूरी है क्या।। कभी आंखों में आंसू होना भी सही है। हर दिन मुस्कुराता जाए ये जरुरी है क्या।। कुछ ख्वाबों का अधूरा रहना भी सही है। हर सपनों का पूरा होना ज़रूरी है क्या।। फरिश्ता बन कर हज़ार ख़्वाब दिखाकर। झूठे वादे करना ज़रूरी है क्या।। रिश्तेदारी तो सब जानते हैं। ये बताओ सबको अपना कहना जरुरी है क्या।। बरसों पहले जो आइना टूटा था। आज वापस जुड़ने लगे तो मुश्किल है क्या।। तुमने तो मोहब्बत का अंजाम देखा है। ये बताओ दोबारा इश्क़ करना सही है क्या।। ©Ruhi ज़रूरी है क्या ?? #Thinking
ज़रूरी है क्या ?? #Thinking
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White सिविल या दीवानी मामले पर कानून :- * सिविल या दीवानी मामलों में शिकायतकर्ता का उद्देश्य दूसरे व्यक्ति से अपना दावा हासिल करना होता है । * फैसला सुनाने के बाद अदालत अंत में आज्ञप्ति या डिक्री जारी करती है, जिसमें अदालत के आदेश तथा संबद्ध पक्षों की पूर्ति या रिलीफ का ब्यौरा होता है । * अर्जीदावा या आवेदन में सभी दावे शामिल किए जाने चाहिए, क्योंकि एक ही उद्देश्य से संबंधित ऐसे नए दावों की पूर्ति के लिए व्यक्ति दूसरी बार आवेदन नहीं कर सकता है । जिनके बारे में पहले आवेदन के समय दावा नहीं किया गया हो। * मामले से संबंधित पक्षों को सुनवाई के दौरान अदालत में उपस्थित रहना चाहिए । ऐसा नहीं होने पर अदालत मामले को रद्द कर सकती है या डिक्री भी दे सकती है । अगर अनुपस्थिति के वाजिब कारण होंगे तो दोबारा सुनवाई भी हो सकती है। * मामले से संबंधित पक्ष कोई समझौता कर सकते हैं और अदालत से इसके लिए डिक्री जारी करने का अनुरोध कर सकते हैं । * पेश किए गये तथ्यों के आधार पर दोनों पक्ष की सुनवाई होती है , जिस पर अदालत फैसला सुनाती है । ©Indian Kanoon In Hindi सिविल या दीवानी मामले पर कानून :-
सिविल या दीवानी मामले पर कानून :-
read moreशुभम द्विवेदी
जीना क्या है? कल किसी दार्शनिक की भांति एक मित्र ने जिज्ञासा जाहिर की मैं असमंजस में पड़ गया क्या जवाब दूँ सहसा मेरे अंतर्मन से जवाब आया कि नफरतों की बाज़ार में मोहब्बत की दुकान हो कोई निर्धन या धनवान हो पूरे सभी के अरमान हों बूढा या जवान हो राजा या प्रजा हो सबका का अपना झोपडी या मकाँ हो। साक्षर हो या निरक्षर विरोधी हो या पक्षधर बराबर सम्मान हो ख़ुद पे न गुमान हो। अंत में मैंने कहा यही तो जिंदगी है अहा!अहा!अहा! वह बोला वाह!!! ©शुभम द्विवेदी #rayofhopeजीना क्या है
#rayofhopeजीना क्या है
read moreहिमांशु Kulshreshtha
नहीं जानता क्या रिश्ता है मेरी रूह से तुम्हारी रूह का जो भी है ये, मगर खूब है ये अधूरा सा रिश्ता हमारा तन के रिश्ते, ना थे पहचान कभी मेरे इश्क की…. रूहों के मिलन से से होगा नायाब ये अधूरा सा रिश्ता हमारा ©हिमांशु Kulshreshtha क्या रिश्ता है..
क्या रिश्ता है..
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