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Parasram Arora
Unsplash बींच राह मे पहाड़ रुकावत बने तों उसे काट कर राह को समत्ल बनाना कोई जुर्म नहीं हैँ ये ख्याल कितना सख्त था क्योंकि उस पहाड़ को काटना आसान भी नहीं था गहरी नींद के नशे ने गुम हैँ इस बसती के लोग जबकि एक अजनबी पहरेदार.की तरह भटक रहा था ©Parasram Arora # समत्ल राह
# समत्ल राह
read moreNilam Agarwalla
Unsplash मन तो पापी मतवाला है, नहीं किसी की सुनता है। क्षणभर के सुख की खातिर जो,गलत राह पर चलता है। समझाए से नहीं समझता, पछताता फिर जीवन भर आंसू बहते रहते दृग से, पल-पल आहें भरता है।। स्वरचित -निलम अग्रवाला, खड़गपुर ©Nilam Agarwalla #“मन”
#“मन”
read moreShashi Bhushan Mishra
राह सँभलकर चलने वाले, मौसम देख बदलने वाले, कहाँ गए घुंघराले बादल, छत को देख मचलने वाले, हुए कारवाँ में सब शामिल, बीच राह में छलने वाले, बचके चलना राह मुसाफ़िर, आसपास हैं जलने वाले, अभी चमकते आसमान में, सूरज इनके ढ़लने वाले, पिंजरे में ज्यों क़ैद परिन्दा, लालच देख फिसलने वाले, एकदिन मिट जायेंगे 'गुंजन', आदत नहीं बदलने वाले, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra #राह संभलकर चलने वाले#
#राह संभलकर चलने वाले#
read moreAvinash Jha
White मन है, चाहता है आसमानों को छूना, सितारों की राहों में खुद को ढूँढ़ना। जंगलों की खामोशी में छिपा, एक गीत सुनना, या नदी की लहरों संग बह जाना। मन है, जो सपनों की कश्ती में बैठ, दूर कहीं चला जाता है। कभी बूँदों की चुप्पी समझता है, कभी आँधियों से सवाल करता है। मन है, जो छोटे-छोटे सुखों में खुशियों का संसार बुनता है। कभी अकेलेपन में साथी बनता, तो कभी भीड़ में खुद को खोता है। मन है, जो बंद दरवाज़ों को खोलता है, आस की किरणें समेटता है। हर धड़कन में एक कहानी रचता, हर ख्वाब में जीवन रचता। मन, न थमता है, न रुकता है। यह तो बस उड़ान भरता है, आसमानों से परे अपनी ही दुनिया बसाता है। ©Avinash Jha #मन
Radhe Radhe
राह कितनी भी मुश्किल हो पर हमें चलना भी आता है क्योंकि हमे गिर कर संभलना भी आता है इरादे के पक्के है हम किस्मत बदलना भी आता है थोड़ी दम तो भरने दो हमें उछलना भी आता है।। जय श्री राधे कृष्णा ©Radhe Radhe राह
राह
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
White मेरे मन की किताब में तुम ही तुम मगर "तुम" तो नही..! पन्ने-पन्ने जिक्र है तुम्हारे रूप रंग स्वभाव का.. भाव का.. जिसके हो सार तुम भार तुम मगर "तुम" तो नही..! ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #मन
नवनीत ठाकुर
"पहाड़ों में जीना है कुछ खास, जहाँ मैदानों में जलती है आग, यहाँ बसी है जन्नत का एहसास। बर्फ़ की सफेदी में छुपा है खुदा का कमाल, नीले आसमान में जैसे खुदा का ख्वाब हो बेमिसाल। देवदार की खुशबू, हवा में ताजगी का पैगाम, हर कदम पर महसूस हो जैसे वादियों का सलाम। दूधिया झरने, जैसे रूह में समाई हो ताजगी का जादू, हर नजर में बसी हो सुकून की छांव का ख्वाब, धरती पर हो स्वर्ग का राज। सेब की मिठास, अखरोट-बादाम का स्वाद, खुमानी का रंग, चिलगोज़े की महक, यही है पहाड़ों की सौगात। सड़कों पर बर्फ़ की चादर, खामोशी का किनारा, ये देवों की भूमि, जहाँ जन्नत की रौशनी बसी है, एक आशीर्वाद का इशारा। गर्म इलाकों से कहीं बेहतर ये ठंडे स्थान, यहाँ हर मौसम में बसी है शांति और ठंडी शान। नसीब नहीं हर किसी को ये सुकून की चाह, यह सफर है खास, जिसे मिलती ये राह। ©नवनीत ठाकुर #पहाड़ों की राह
#पहाड़ों की राह
read moreAdv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात)
कद न अंगुष्ट सा मन बैरी दुष्ट सा नैनों से नीर ले पैरों को पीर दे चर्म चर्म चीर के.. आप में संतुष्ट सा अंग अंग रुष्ट सा... मन बैरी दुष्ट सा... करता मनमानी है आफत में प्राणी है.. इसकी ना मानी तो काया को हानी है रोग लगे कुष्ट सा.. मन बैरी दुष्ट सा.. अवलम्बित देह का स्वारथ के नेह का प्रेरक प्रमेह का सत्य में संदेह सा छिन छिन में पुष्ट सा.. मन बैरी दुष्ट सा.. संगी एकांत का प्यासा देहांत का मृत्यु तक छोड़े ना.. दामन भी तोड़े ना.. उददंड अतुष्ट सा... मन बैरी दुष्ट सा.. ©अज्ञात #मन
DANVEER SINGH DUNIYA
White पागल गलत लिखूं तो डांटना जरूर अगर रुठ जाऊं तो मनाना जरूर गलत फहमी में कभी आना मत राह भूल जाऊं तो राह दिखाना जरूर ©DANVEER SINGH DUNIYA #love_shayari राह
#love_shayari राह
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