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*अनामिका*
मन के बहकावे में ना आ, मन राह भुलाए भ्रम में डाले। तू इस मन का दास ना बन, इस मन को अपना दास बना ले।। ©*अनामिका* #मन
Deepali Singh
White ऊपर ये धुंधली छटा .. और नीचे वो अकेली राह .., बीच इनके लगता है जैसे .. बच गया कुछ खाली सा..! ©Deepali Singh #राह #छटा #quotes
राह छटा quotes
read moreSAAHIL KUMAR
White यादें बहुत है बस याद करने का मन नहीं करता, कुछ यादों को भूलने का वक्त नहीं मिलता दरवाजे जो कभी दिल की चाहतों के थे अब उन दरवाजों को खोलने का मन नहीं करता की रहे कुछ दरवाजे बंद तो ही बेहतर है लम्हों में भी गुजर जाने दो बीती बातों को अब उनके लिए खुद को चुप रहने देना अच्छा नहीं लगता ©SAAHIL KUMAR मन
मन
read moreParasram Arora
White जिसको .आज तक मै अपनी मंज़िल समझ कर राहो पर बिना रुके चलता रहा वहा पहुंचने पर पता लगा वो मेरी मंज़िल नही राह का रोड़ा था और मंज़िल मेरी अभी भी दूर है उतनी जितना मै अब तक चल कर यहां आया था ©Parasram Arora #Thinking राह का रोड़ा
#Thinking राह का रोड़ा
read moreRajnish Shrivastava
प्रकृति की इन वादियों में मन बहकने सा लगता है आंखो में इन नजारों को कैद करने को दिल तरसता है इच्छा तो होती है कि यही कहीं चुपचाप रह लिया जाए लेकिन फिर वतन की याद में दिल तड़पने लगता है । ©Rajnish Shrivastava #मन
Satish Kumar Meena
Travel quotes in Hindi अपने पीछे छोड़ चुके पदचिन्हों को देखना छोड़ दो, किसी और को भी तो इस राह गुजरने दो। ©Satish Kumar Meena राह
राह
read morevish
फ़र्ज की राह में चल पड़े जिम्मेदारियों का बोझ उठा कर जिंद़गी जीना भुल गये ख्वाहिशों की चीता जलाकर ©vish # फ़र्ज की राह
# फ़र्ज की राह
read moreParasram Arora
Unsplash बींच राह मे पहाड़ रुकावत बने तों उसे काट कर राह को समत्ल बनाना कोई जुर्म नहीं हैँ ये ख्याल कितना सख्त था क्योंकि उस पहाड़ को काटना आसान भी नहीं था गहरी नींद के नशे ने गुम हैँ इस बसती के लोग जबकि एक अजनबी पहरेदार.की तरह भटक रहा था ©Parasram Arora # समत्ल राह
# समत्ल राह
read moreNilam Agarwalla
Unsplash मन तो पापी मतवाला है, नहीं किसी की सुनता है। क्षणभर के सुख की खातिर जो,गलत राह पर चलता है। समझाए से नहीं समझता, पछताता फिर जीवन भर आंसू बहते रहते दृग से, पल-पल आहें भरता है।। स्वरचित -निलम अग्रवाला, खड़गपुर ©Nilam Agarwalla #“मन”
#“मन”
read moreShashi Bhushan Mishra
राह सँभलकर चलने वाले, मौसम देख बदलने वाले, कहाँ गए घुंघराले बादल, छत को देख मचलने वाले, हुए कारवाँ में सब शामिल, बीच राह में छलने वाले, बचके चलना राह मुसाफ़िर, आसपास हैं जलने वाले, अभी चमकते आसमान में, सूरज इनके ढ़लने वाले, पिंजरे में ज्यों क़ैद परिन्दा, लालच देख फिसलने वाले, एकदिन मिट जायेंगे 'गुंजन', आदत नहीं बदलने वाले, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra #राह संभलकर चलने वाले#
#राह संभलकर चलने वाले#
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