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Sarbjit sangrurvi
बेसमझ, शरारती जान बुझ कर, सिखों का मज़ाक उड़ाते। ख़ुश होते हैं ऐसी बातें कर, उन्हें बहुत सताते, तड़पाते हैं। मुर्ख, अनजान इतिहास से, ताली पे ताली ठोकते हैं। कुछ लोग मिल जाते साथ इनके, ना इनको कभी रोकते, कोसते हैं। ©Sarbjit sangrurvi बेसमझ, शरारती जान बुझ कर, सिखों का मज़ाक उड़ाते। ख़ुश होते हैं ऐसी बातें कर, उन्हें बहुत सताते, तड़पाते हैं। मुर्ख, अनजान इतिहास से, ताली प
शुभी
हिंदुस्तान को बस हिंदुस्तान रहने दिया जाए (check caption) हम इंसान भी गज़ब ढाते हैं. खुद बंटे मज़हबों में, धरती को सूबों में बांट डाला. इतने से भी तृप्ति ना मिली, तो जानवरों का कर बंटवारा, गाय को हि
RadhakrishnPriya Deepika
फूलों सी मैं खिलती हुई "फूलों सी" एक कली से, बनी एक "खूबसूरत" सा "फूल" हूँ। डाली पर छोटी सी कली से लेकर.., मैं बनती एक खिला हुआ फूल हूँ..! ये जानते हुए भी की डाली से टूटने पर.. मैं मुरझा सी जाऊंगी फिर भी, मैं डाली से तोड़ी जाती हूँ..! कभी मंदिरों में रखी भगवान की प्रतिमा के चरणों मे रखी जाती हूँ, तो कभी भगवान की प्रतिमा पर माला बन पहनाई जाती हूँ। कभी गुरुद्वारे में रखे "गुरुग्रंथ" पर सजाई जाती हूँ , तो कभी दरगाह में रखे कुरान पर सजती हूँ। कभी चर्च में बन कर गुलदस्ता खिलती हूँ, तो कभी मैं महापुरुषों के चरणों मे अर्पण की जाती हूँ। कभी किसी की डोली निकले पर फेंकी जाती हूँ, तो कभी किसी की अर्थी उठने पर बरसाई जाती हूँ। कभी तिरंगे के सम्मान में बंधी जाती हूँ, तो कभी नेता-अभिनेता पर वर्षाई जाती हूँ। कभी किसी के बालों में गजरा बन मैं खिलती हूँ, तो कभी "रोज-डे" पर प्रेम का प्रतीक मानी जाती हूँ। ना मैं हिन्दू का प्रतीक हूँ, ना ही मैं मुस्लिम का प्रतीक हूँ, ना ही सिखों का प्रतीक हूँ, ना ही मैं ईसाई का प्रतीक हूँ। मैं तो "फूलों सी" बनी एक फूल हूँ.., सहस्त्र काटे होने पर भी मैं खिलती हूँ..! कभी मंदिर, कभी गुरुद्वारे, कभी दरगाह तो कभी चर्च में, एक समान ही मैं अर्पण व समर्पण की जाती हूँ। मेरी कोई जाति नही मैं तो सबमे एक समान मानी जाती हूँ, नहीं रखती मैं किसी मे भी भेदभाव.., मैं तो हर जगह सिर्फ अपनी सुगंध महकाती हूँ। मैं खिलती हुई "फूलों सी" कली से, बनी एक "खूबसूरत" सा फूल हूँ। ©राधाकृष्णप्रिय Deepika🌠 मैं खिलती हुई "फूलों सी" एक कली से, बनी एक "खूबसूरत" सा "फूल
Madhaba Swain
जिंदगी में अकेले चलना सीख लीजिए, क्यूंकि आज जो आपके साथ है, क्या पता वो कल आपके साथ हो ना हो।। बात कड़वी है पर सच है।। ©Madhaba Swain अकेले जीना सिखों
KK क्षत्राणी
जिस ने भी दर्द को सहना सीख लिया फिर उस दर्द ने हमे छोड़ दिया एक दर्द बार बार वही दर्द कभी नहीं दे सकता ©KK क्षत्राणी सिखों.. समझो.. छोड़ो #Galaxy
Teju
रात चाहे कितनिभि गेहरी हो सुबहों की उमीद नही छीनती दूप चाहें कितनिभि तेज हो छाँव में आने से तो नही रोखती मंजिल चाहे कितनिभि टेडी मेढी हो सफलता की सिढी को नही तोड़ती तो फिर हम कयो डरते है जिंदगी को खुदपे ओर खुदको किस्मत के भरोसे क्यो छोड़ आते है ....... खुद पे भरोसा करना सिखों..