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Suraj Sharma
ओम भक्त "मोहन" (कलम मेवाड़ री)
Divyanshu Pathak
सत्य के लिए लड़ना पड़ता है ! पल्ला झाड़ने से यह छुप जाता है। और देर से सामने आता है। जिसकी क़ीमत पूरी पीढ़ी को चुकानी पड़ती है। ...😊💐💐💐 बुराई इसलिए नहीं बढ़ गई कि बुरे लोग बहुत हो गए बल्कि बुराई इसीलिए प्रबल हुई क्योंकि अच्छे लोगों ने आँख मूंदना सुरु कर लिया !💐💐💐💐💐 😊☕🍧🌷🍉🍨👨 फ़ोटो चित्तौड़गढ़ राजस्थान के विजयस्तम्भ का है। : "रानी पद्मिनी" (सन 1301 - 1303 )ने अलाउद्दीन ख़िलजी से अपनी मान मर्यादा बचाने के लिए यहीं अपनी
शब्दिता
शब्दिता
भगत सिंह बने पुरुष तो नारी बने झांसी की रानी पद्मिनी का जौहर बहुत हुआ अब रण में आए हाड़ी रानी महाराणा की रणचण्डी बन तू बन महामाया कल्याणी। जननी जाया बहुत बनी अब बन अब तू क्षत्राणी ©Priyanshi Bhatt नारी बने योद्धा #westandwithisro भगत सिंह बने पुरुष तो नारी बने झांसी की रानी पद्मिनी का जौहर बहुत हुआ अब रण में आए हाड़ी रानी महाराणा की
Divyanshu Pathak
प्यार कभी कम नहीं करना कोई सितम कर लेना ! मरजाएँगे आशिक़ वरना इतना करम कर लेना ! :💕😔🍫🐒 मेरी सुबह और मेरी शाम आती है लेकर आपका नाम :💕👨 आपके ही क़दमो में सनम गुजरेगी मेरी उम्र तमाम हमको जुदा मत करना चाहे सर को क़लम कर देना !
Divyanshu Pathak
पक्षधर हो चुके अधर्म और अनीति के जो पैरों तले उनके ज़मीन हिला देता मैं चलो आज अन्याय और अधर्म के ख़िलाफ़ अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते है। मैंने दो पंक्ति आपको सौंप दी हैं अब आप की बारी .... ..आओ कॉलेब्रेशन करें
Divyanshu Pathak
आपकी कसम यदि आज आप सोती नहीं नीबुओं सा शस्त्रु दल को निचोड़ देता मैं चलो आज अन्याय और अधर्म के ख़िलाफ़ अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करते है। मैंने दो पंक्ति आपको सौंप दी हैं अब आप की बारी .... ..आओ कॉलेब्रेशन करें
एक इबादत
कही हमसफ़र तो कही जीवनसाथी कही गुलाब तो कही अपनी लाडली कही बदमाश ,तो कही पागल लिखता हूँ प्रेम का अपने मैं नाम लिखता हूँ करके खुद को पूर्णतः उसका मैं स्वयं को अब आबाद लिखता हूँ निभाना हो तो निभाना उम्र भर प्यार को मेरे सारी ख्वाहि़श,सारे अरमां ,चाहत तेरी दिल में बेसुमार रखता हूँ झांक कर देखना कभी दिल में मेरे लग कर गले महसूस करना धड़कनों को सिर्फ़ तुम,सिर्फ तुम,बस तुम हर जगह कोई और नही बस सिर्फ कवि तुम मिलोगे मेरी जिंदगी हो तुम,मेरी दुनिया हो तुम और तेरे कदमों में ही खुद को निसार लिखता हूँ! मैं मराठा ,प्यार मेरा राजपूताना है पहचान खो चुका क्षत्रिय मैं,तुम अमर ,आबाद क्षत्राणी एक प्यार किया तुमसे बेइंतेहा सोचा एक अमर प्रीत कहान