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malay_28
White मेरे सपने वही हैं पर मेरे सपनों में तुम ना हो पराये हो गये अपने मेरे अपनों में तुम ना हो. ©malay_28 #तुम ना हो
Sudhir Rahi
White ऐ खुदा तेरे सिवा कोई नहीं है मेरा यहां। मेरी सुबह भी तूं। मेरी शाम भी तू। कोई अल्लाहा कहता है तूझे। कोई राम कहता है तूझे।मेरा अल्लाहा भी तू। मेरा राम भी तू। मतलबी निगाहों से देखते है लोग मतलबी जमाना है।कर भी कुछ नहीं रहे। बस एक दूसरे को नीचा दिखाना है। दौलत से भरी पड़ी है दुनियां ओर आखिरी लक्ष्य भी दौलत कमाना है। आखिर इन्हें कैसे समझाया जायें सब मोह-माया यही रह जाना है हरिद्वारी ©Sudhir Rahi ना समझ दुनियां
अमित कुमार
White प्यार नहीं होता तो ये जहान क्या होता ये जमीं और ये आसमान क्या होता। इंसान क्या खुदा तक हैवान बन जाते तब अमन और शांति का निशान क्या होता।। ©Amit प्यार ना होता
Razzj D
White ना जाने कब सब कुछ खत्म हो जाए ना जाने कब हम इन हवाओ में मिल जाए ... ©Razzj D #SunSet ना जाने
Arora PR
White नहीं रही मेरी "ना * कहने की वो पुरानी आदत और "हाँ " कहने पर मुझे किसी न रोका है न टोका है कभी फिर भी ये "हाँ " " ना "कहने की गुथी कभी सुलझी नहीं कभी ©Arora PR "हां " "ना "
Raju Kumar
तू चाहता हैँ किसी को पता ना लगे, मे बीमार रहु और मुझे दवा ना लगे, बहत दिल दुखा के तुमतक पंहुचा हु, दुआ करो की मुझे कोई बदुआ ना लगे, तेरे बाद तेरे जैसा ढूढ़ता हु, जो बेवफाई करे और बेवफा ना लगे ©Raju Kumar बेवफा ना लगे
Rishika Srivastava "Rishnit"
शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग " ................................ मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अंग रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे...! थोड़ा सा ग़ुलाल मैं लगाऊं, थोड़ा तुम लगाना.. लपक-झपक ग़ुलाल के रंगों से, रंगे दोनों संग रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..! ना जाने कहाँ होंगे अगले बरस, एक दूसरे को देखने को नजरें जाएगी तरस.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..! आगे की चिंता की शिकन ना आने दे हमारे दरमियान, तू और इस रंग-बिरंगे रंगों संग जिंदगी में भरे हर रंग रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..! बरस-बरस भीगेंगे आँचल, भिगोए जलते तन-मन रे.. आओ सखी, बुझा दे प्रेम से हर पीड़ा की चुभन रे.. आओ सखी, खेले फ़ाग एक-दूसरे के संग रे.. करे अंबर लाल पिचकारी के संग रे..!! ©Rishika Srivastava "Rishnit" शीर्षक:- "आओ सखी ,खेले फ़ाग " ................................ मार-मार पिचकारी रगों की फुहार से उड़ा के अबीर के रंग, भीगें हर अ
Monika Gera jindagi. A poetess, writer, lyricist, singer,motivational speaker,Handwriting expert for three languages as to training + language teacher ( three languages).
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