Find the Latest Status about नकटे नाक उडविते from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, नकटे नाक उडविते.
ਸੀਰਿਯਸ jatt
Ak.writer_2.0
White मोहतरमा रोते हुए बहुत प्यारी लग रही थी, अचानक से उनकी नाक से गुब्बारा निकल कर फूट गया, और मेरा दिल वही टूट गया। 😛 ©Ak.writer_2.0 मोहतरमा रोते हुए बहुत प्यारी लग रही थी अचानक से उनकी नाक से गुब्बारा निकल कर फूट गया मेरा दिल वही टूट गया। #shayaari #lovethoughts #lovequo
Neelam Modanwal
एक स्त्री घर से निकलते हुए भी नहीं निकलती वह जब भी घर से निकलती है अपने साथ घर की पूरी खतौनी लेकर निकलती है अचानक उसे याद आता है गैस का जलना दरवाज़े का खुला रहना नल का टपकना और दूध का दहकना एक-एक कर वह पूछती है प्रेस तो बंद कर दिया था न! आँगन का दरवाज़ा तो लगा दिया था न! किचेन का सीधा वाला नल बंद करना तो नहीं भूली! अरे! हाँ! वो सब्ज़ी वह मँहगी हरी पत्तियों वाली सब्ज़ी जो अभी कल ही तो लाई थी सटटी से प्लास्टिक से निकाल दिया था न! हाँ, हाँ अरे सब तो ठीक है आपको ध्यान है आलमारी लाक करना तो नहीं भूली अभी कल की ही तो बात है महीनों को बचाए पैसे से नाक की कील ख़रीदी थी । इस तरह वह बार-बार याद करती और परेशान होती है कि दूध वाले को मना करना भूल गई कि बरतन वाली से कहना भूल गई कि उसे कल नहीं आना था कि पड़ोसिन को बता ही देना था कि कभी कभी मेरे घर को भी झाँक लिया करतीं । इस तरह एक स्त्री निकलती है घर से जैसे निकलना ही उसका होना है घर में.... 💯💯✍️✍️❣️❣️ ©Neelam Modanwal एक स्त्री घर से निकलते हुए भी नहीं निकलती वह जब भी घर से निकलती है अपने साथ घर की पूरी खतौनी लेकर निकलती है अचानक उसे याद आता है गैस का जलन
healthdoj
healthdoj
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल बन सँवर कर निकलते रात में क्यों हैं । वो खुशी से उछलते रात में क्यों हैं ।।१ चाँद ही अब अगर रोशन जहाँ करता । तो चराग ये जलते रात में क्यों हैं ।।२ इश्क़ मेरा नहीं तो और क्या उनमें इस तरह वो महकते रात में क्यों हैं ।।३ था यकीं गर उन्हें मुझपर न आयेंगे । तो बताएं सँवरते रात में क्यों है ।।४ इश्क़ जिनको हुआ है हुस्न वालो से । दीद को वो तरशते रात में क्यों है ।५ प्यार अपना जताते जो भरी महफ़िल । बीवियों से बिगड़ते रात में क्यों हैं ।।६ आदमी वो बड़े भोले नज़र आते । सिर जमीं पे रगड़ते रात में क्यों हैं ।।७ जब खता ही नहीं उसने किया अब तक । नाक फिर वो रगड़ते रात में क्यों हैं ।।८ देख जिनको मचलते थे प्रखर अब तक । अब उन्हीं से उलझते रात में क्यों हैं ।।९ ०५/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल बन सँवर कर निकलते रात में क्यों हैं । वो खुशी से उछलते रात में क्यों हैं ।।१
Sevenger
shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
किसने तोड़ा है ये*नशेमन मेरा, खूब रोता है ये मन मेरा//१ उसको मुझसे तनाव अब भी है, उसको भाता नहींये*पैहरन मेरा//२ गर्द रंजिश की बढ़ गई इतनी, सह नहीं पाता,ये कफन मेरा//३ तेरी तल्खी भी गजब नाक ही है, मेरा अंदाज है,ये फन मेरा//४ बेसबब जुर्म सह नहीं सकती, बड़ा बेबाक है,ये सुखन मेरा//५ फूंक के अंजुमन"शमा" का तुमने, ना लूभाता हैअब,ये चमन मेंरा//६ #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #PhisaltaSamay किसने तोड़ा है ये*नशेमन मेरा,खूब रोता है ये मन मेरा//१*घोंसला उसको मुझसे तनाव अब भी है,उसको भाता नहीं ये*पैहरन मेरा//२ *पहना
~VanyA V@idehi ~
उनकी आँखे बड़ी बेहया ठहरी , उनका लहज़ा भी बेलौस सा रहता है ; उन पर छाया रहता है अमीरी का सुरूर , उनकी शानो शौकत सब दिखावटी है ! उनसे मोहब्बत की उम्मीद ना रखना , ना ही उनसे करना वफ़ा की चाहत ; यूँ कि...उनकी सुतवां नाक कुछ ज़्यादा ही गुरुर बतियाती है ! ऐ दिल... चल अब थोड़ा सुस्ता ले , अपने खुले हुए ओसारे पर पैर फैला ले ; यूँ कि, उनके सीलन भरे आँगन धूप कभी कभी हीआती है ! ©V Vanya #सुतवां नाक
Ajay Kumar Dwivedi
शीर्षक - नाक सुप्नखा की कटती है। मद में रहती है चूर सदा, पर पुरूषों को भरमाती है। सीता माँ सी नारी को, एक चूड़ैल आँख दिखाती हैं।। खुद को सती सावित्री कहती, और माया भी खूब रचाती है। पतिव्रता एक नारी पर वह, लांक्षन भी खूब लगाती है।। रूप सुप्नखा कभी-कभी, रानी का धर लेती है। राम की दुल्हन बनने का, मन में बिचार कर लेती है।। मगर भूल जाती है अक्सर, श्री राम नहीं ललचाते हैं। नारी के सौंदर्य के सम्मुख, लक्ष्मण ना शीश झुकाते हैं।। माना कि परीक्षा सीता को, पग-पग पर देनी पड़ती है। पर नाक सदा से भारत में, बस सुप्नखा की कटती है।। अजय कुमार द्विवेदी ''अजय'' ©Ajay Kumar Dwivedi शीर्षक - नाक सुप्नखा की कटती है।