Find the Latest Status about बचपन की कृष्ण की कहानी from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, बचपन की कृष्ण की कहानी.
बेजुबान शायर shivkumar
कृष्ण के संग राधा की वो बात प्रेम की गहराई बताती है, राधा की वाणी की मिठास, कृष्ण की सच्चाई दिखलाती है.... कृष्ण की मोहिनी सूरत राधा के दिल में बसी है, मोहन के प्रेम में राधिका रंगी हैं. राधा-कृष्ण की प्रेम लीला में छिपा है उनके अनेकन प्यार और समर्पण... है “ कृष्ण की मधुर वाणी में राधा की अनंत भक्ति की मिठास छिपी है, जो सुनने वाले के उस हृदय को मोह लेती है । ” 🎵💞 ©बेजुबान शायर shivkumar कृष्ण के संग राधा की वो बात प्रेम की गहराई बताती है, राधा की वाणी की मिठास, कृष्ण की सच्चाई दिखलाती है.... कृष्ण की मोहिनी सूरत राधा के दिल
कृष्ण के संग राधा की वो बात प्रेम की गहराई बताती है, राधा की वाणी की मिठास, कृष्ण की सच्चाई दिखलाती है.... कृष्ण की मोहिनी सूरत राधा के दिल
read moreMayuri Bhosale
❣️.......शायरी दिल की कहानी .......❣️ हर दिल मे छूपी है एक कहानी💌 पहले हमे लगती है ओ अपनी सहेली 👭 पर दिल के गहराई के समंदर तक जाकर 🌊🌊 देख लो ओ बन जाती है एक नई पहेली.....!!❓ ©Mayuri Bhosale दिल की कहानी की
दिल की कहानी की
read moreAnuj Ray
White 25 शब्दों की प्रेम कहानी" विवाह उपरांत प्रेम पवित्र सांस्कृतिक संस्कार, पाणी ग्रहण की पवित्रता सामाजिक मर्यादा आचार विचार, यही से होती है शुरू ,प्रकृत जिंदगानी,पिया की प्रेम कहानी। ©Anuj Ray # 25 शब्दों की प्रेम कहानी"
# 25 शब्दों की प्रेम कहानी"
read moreDr.Meet (मीत)
White वो बचपन कितना अच्छा था प्यार हमारा सच्चा था धोखा दगाकुछ ना जाने क्यों कि तब में बच्चा था ©डॉ.वाय.एस.राठौड़ (.मीत.) wo बचपन
wo बचपन
read moreRakesh Songara
बचपन की यादें किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,, वो खेल-खिलौने कागज़ के,मिट्टी के बर्तन, बेवजह क्यूँ याद आ गए,,, वो बेपरवाह बदमाशियां,अठखेलियां, शरारतें सारी,, टूटी फूटी,रंगबिरंगी चूड़ियां प्यारी,, माटी के घरौंदे में घर-घर का खेला,, वो तीज़ त्योहार, गणगौर का मैला,,, वो कुल्फ़ी की चुस्कियों से जुबां की लाली,, मदारी के डमरू पे बजती वो ताली,, अनोखे वो दिन वो बातें पुरानी पता नहीं क्यों याद आ गए,,, किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,,,,,, सावन के झूलों में घण्टों लटकना,, वो बारिश की बूंदों में छम-छम रपटना,,, फ़टे कपड़ों में भी खुशियां समेटे, वो रेहड़ी से केलों के गुच्छे झपटना,, था जिंदादिल अब से वो बचपन का मौसम, अब तो हर सांस पे लगता है राशन,, चोट खाके भी हँसने के किस्से पता नही क्यों याद आ गए,,, किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,,,,,,,,,, राकेश सोनगरा, सरदारशहर ©Rakesh Songara #बचपन