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Stories related to poetry on life in urdu

Gopal Dabhi

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©Gopal Dabhi #lovelife       sad urdu poetry poetry on love urdu poetry hindi poetry on life

Rupesh Rahi

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White ग़म ख़ुशी का योग बनकर
साल यूँ गुज़रे निरंतर

जनवरी उम्मीद है इक
है सबक़ कोई दिसम्बर

©Rupesh Rahi  #new_year_Shayri  poetry poetry in hindi urdu poetry hindi poetry on life poetry quotes

Poetrywithakanksha9

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White .                      #बेटियाँ               
   

बेटियाँ चावल उछाल
बिना पलटे,
महावर लगे कदमों से विदा हो जाती हैं ।

छोड़ जाती है बुक शेल्फ में,
कवर पर अपना नाम लिखी किताबें ।
दीवार पर टंगी खूबसूरत आइल पेंटिंग के 
एक कोने पर लिखा अपना नाम ।
खामोशी से नर्म एहसासों की निशानियां,
छोड़ जाती है ......
बेटियाँ विदा हो जाती हैं ।

रसोई में नए फैशन की क्राकरी खरीद,
अपने पसंद की सलीके से बैठक सजा,
अलमारियों में आउट डेटेड ड्रेस छोड़,
तमाम नयी खरीदादारी सूटकेस में ले,
मन आँगन की तुलसी में दबा जाती हैं ...
बेटियाँ विदा हो जाती हैं।

सूने सूने कमरों में उनका स्पर्श,
पूजा घर की रंगोली में उंगलियों की महक,
बिरहन दीवारों पर बचपन की निशानियाँ,
घर आँगन पनीली आँखों में भर,
महावर लगे पैरों से दहलीज़ लांघ जाती है...

बेटियाँ चावल उछाल विदा हो जाती हैं ।

एल्बम में अपनी मुस्कुराती तस्वीरें ,
कुछ धूल लगे मैडल और कप ,
आँगन में गेंदे की क्यारियाँ उसकी निशानी,
गुड़ियों को पहनाकर एक साड़ी पुरानी,
उदास खिलौने आले में औंधे मुँह लुढ़के,
घर भर में वीरानी घोल जाती हैं ....

बेटियाँ चावल उछाल विदा हो जाती हैं।

टी वी पर शादी की सी डी देखते देखते,
पापा हट जाते जब जब विदाई आती है।
सारा बचपन अपने तकिये के अंदर दबा,
जिम्मेदारी की चुनर ओढ़ चली जाती हैं ।
बेटियाँ चावल उछाल बिना पलटे विदा हो जाती 
हैं ।

(#बेटियों_को_समर्पित)

©Poetrywithakanksha9 #moon_day  poetry lovers hindi poetry on life poetry deep poetry in urdu poetry quotes

Gulsheera Banu

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Muhammad Ilyas Rathor

naveenlupoetry

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White सपने सारे सपने हैं
कहने को बस अपने हैं 
है दूजा कौन जो फिकर करे 
परिवारों की 
बीच भंवर में फ़सी पड़ी है किसे है चिंता 
पतवारों की 
उन्हें चाहिए आजादी 
चाहे मर्यादा मरघट में जाए 
अपने जीस्त से मतलब है 
चाहे रिश्तो में खटपट आए 
यही है दुनिया यही कहानी सबकी है 
चली आ रही है युगों युगों से
न तब की है न अब की है 
कौन करे मेल- मिलाप 
कौन हलक से हमदर्दी बाँटे 
जब लगा है खून दांतो में एकलापन का 
कौन अपने - पराये का दूरी काटे


रहो रुखसत रहो खफ़ा 
बस ऊपर वाले का खयाल रहे 
है नहीं क्यूँ  सब के संग मेरा मन 
बस यही अंतर्मन में सवाल रहे

©naveenlupoetry #Sad_Status  hindi poetry on life poetry lovers hindi poetry poetry in hindi deep poetry in urdu

Bharat Bhushan pathak

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White जीवन ये नदिया बहती-सी धारा।
ढूँढे यहाँ पे सभी किनारा।

©Bharat Bhushan pathak #sad_quotes  sad urdu poetry poetry on love urdu poetry sad urdu poetry poetry in hindi

दीक्षा गुणवंत

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हां मैं ठीक हूं।
शायद रातें लंबी हो गई हैं,
तो ज्यादा देर जाग लिया करती हूं।
कुछ करने को खास है नहीं,
तो कुछ अनसुलझी बातें खुद में सुलझा लिया करती हूं।।


हां मैं ठीक हूं।
सर्द हवाओं का मौसम है आजकल,
ये ठंडी हवाएं थोड़ा चुभती है सांस लेने में।
कुछ देर घबरा कर,
आंख बंद कर आहें भर लिया करती हूं।।


हां मैं ठीक हूं।
दिन तो कट जाता है लोगों के बीच में आराम से,
शाम को काम के बीच खुद को व्यस्त कर लेती हूं।
किसी को खास कहने को यूं तो कुछ है नहीं,
पर कभी खुद को खुद से सारे आम कर देती हूं।।


हां मैं ठीक हूं।
चेहरे पर मुस्कान, आंखों में उम्मीद,
सच है या झूठ कुछ कह नहीं सकते।
सब पूछ लेते है कैसी हो? सब ठीक तो है ना?
मुस्कुरा कर, सर हिला कर, मैं ठीक हूं कह दिया करती हूं।।


हां मैं ठीक हूं।
हां बाकी ये सब छोड़ो, मैं तो ठीक ही हूं।।

-लफज-ए-आशना "पहाड़ी"













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©दीक्षा गुणवंत #Texture  deep poetry in urdu hindi poetry poetry hindi poetry on life sad urdu poetry

दीक्षा गुणवंत

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मैं उसको इस कदर आंख भर के देखूं,
वो जाए दूर फिर भी आह भर के देखूं।
एक इंसान ने यूं ही इस कदर पा लिया उसे,
मैं उसे खुद के किस ख्वाब में देखूं?

चंद लम्हे बिताए उसके साथ में,
पर सपने हजार मैं देखूं।
साथ में होकर भी रास्ते अलग से हैं हमारे,
खुद अकेले चलकर उसे किसी और के साथ मैं देखूं।।

कुछ कह कर भी किसी के एहसास-ए-मोहब्बत से 
वाकिफ होने से महरूम है ये दुनिया।
यूं तो बिन कहे, बिन सुने समझ लेते हैं एक दूजे को,
उसकी आंखों में खुद के लिए प्यार बेशुमार मैं देखूं।।

यूं बिखरी जुल्फें, यूं बदहवास सी हालत, यूं आंखों के दरमियां घेरे काले काले,
उसे पसंद हूं मैं इन खामियों के साथ।
वो कहे मेहताब का नूर मुझे,
उसकी नजरों से आईने में खुद का दीदार हजार बार मैं देखूं।।

वो मेला, वो झूले, वो रास्ता तेरे साथ में,
याद है वो आखरी दिन मेरा हाथ तेरे हाथ में।
वो बिंदी, वो लाली, फिर भी कुछ कमी सी थी श्रृंगार में,
वो तेरी पसंद के झुमके पहन खुद को बार-बार मैं देखूं।।

मोहज़्ज़ब(सभ्य) मोहब्बत और ये बेइंतेहा चाहत हमारे दरमियां,
एक पायल उसने अपने हाथों से पहनाई जो मुझे।
कुछ इस तरह छुआ मेरे पैरों से मेरे दिल को,
उस लम्हे को तन्हाई में हजार बार मैं देखूं।।


बेबसी का आलम कुछ इस कदर है मेरे आशना,
वो साथ होकर भी साथ नहीं है मेरे।
मेरा होकर भी मेरा ना हो सका वो,
उसे पाया भी नहीं, फिर भी खो देने का आज़ार(दर्द) मैं देखूं।।

-लफ़्ज़-ए-आशना "पहाड़ी"









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Ritu Nisha

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कहने के लिए ख़ुद को मेरा कहते हो। 
जानती हूँ कितनी लड़कीओं में रहते हो। 

कहीं न कहीं आ टकराती है सब मुझसे, 
तुम जिन जिन की आँखों में बहते हो। 

मुझे बेवफ़ा ओ बदउनवान कहने वाले, 
मैं क्या झेल रही हूँ जो तुम सब सहते हो। 

मेरी जानिब से चाहते हो तमाम उम्र मेरी, 
ख़ुद आए रोज़ किसी आँचल में ढहते हो।

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