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( prahlad Singh )( feeling writer)
हां आगाज़ बेहतर है, बदतर नहीं खुशियों का यूं मेरे पास आना ,अच्छा है बुरा नहीं हां मैं बुरा हूं, पर दिल का नहीं, दिल से चाहा है मन से नहीं मन की ख्वाहिश है आसमा सी ,विस्तृत नहीं हां मैं अच्छा हूं ,बुरा नहीं मैं जैसा हूं वैसा ही सही ,किसी से श्रेष्ठ नहीं ,पर बेहतर ही सही हां मैं काला ही सही, पर मन से नहीं अच्छे तो सभी हैं यहां पर ,दिल के कैसे हैं जानता नहीं दिल तो सभी के हैं, भाव कहां मानते नहीं मानते तो सब को है ,पर समझते किसी को भी नहीं जो समझते नहीं उसे जताते नहीं दोस्त तो कई है हमारे, दोस्ती वाला भाव तो है ही नहीं भाव तो प्यारे हैं पर, प्यारे दोस्त नहीं प्यारी तो वह हर मुस्कान है ,हर मुस्कान में प्यारी खुशी नहीं खुशी तो है पर ,खिलखिलाती हंसी नही प्यार तो सभी करते हैं पर, मां जैसा प्यार तो है ही नहीं प्यार तो अच्छा है ,पर मां जैसा नहीं मां जैसा कोई नहीं
Rajesh rajak
पतझड़ तो याद नहीं,कई बसंत देखे हैं। राम रहीम,आशाराम जैसे संत देखे हैं, मां से बड़ा कोई संत नहीं,कोई नबाब नहीं, सिकंदर, पोरस जैसों के अंत देखे हैं। मां की बादशाहत की दुनिया कायल है, मां सीता को तकलीफ़ हुई, राम के हाथों हजारों रावण के अंत देखे हैं।। मां जैसा कोई नहीं।
केदारनाथ बरनवाल
जुड़े हुए दिल तो सभी तोड़ देते हैं, पर जो तोड़े हुए दिल को जोड़ दे, वह आप जैसा कोई नहीं। मुस्कुराते हुए को तो सभी रुला देते हैं, जो रोते हुए चेहरे पे मुस्कान ला दे, वह आप जैसा कोई नहीं। पैसे वालों की तो सभी इज्जत करते हैं, जो गरीबों को सम्मान दिला दें, वह आप जैसा कोई नहीं। रास्ते में पड़े पत्थर को तो सभी ठोकर मारते हैं, जो उस पत्थर को रास्ते से हटा दें, वह आप जैसा कोई नहीं। बेसहारों को तो सभी दूतकारते हैं, पर जो बेसहारों का सहारा बन जाए, वह आप जैसा कोई नही। आप जैसा कोई नहीं
Rajesh rajak
आंखो पर एनक,कुछ रहस्य छुपा चेहरे की झुर्रियों में, लगता है कुछ सिल रही है, शायद कुछ यादें जुड़ी हैं,तब तो मुस्कराहट खिल रही है, मैंने कहा मां,, मैं इतना तो कमा लेता हूं, अलग कर दो पुराने कपड़े को मैं नया ला देता हूं, मां से कोई उत्तर न पाकर,बैठ गया पास में जाकर, मां तुमको बिल्कुल फुरसत नहीं रहती, मैं कुछ पूछता हूं तो कुछनहीं कहती, कभी अनाज,कभी बर्तन,कभी दादा दादी के किस्से, कभी बाबू जी की बातें,अनगिनत काम हैं मां तेरे हिस्से, आज भी फुरसत कहां,मेरी पतलून सिल रही है जो फटी है, सोचता हूं,मां जैसा कोई नहीं अखिल ब्रम्हांड में, एक मां ही तो है जो कई हिस्सों में बटी है, ©Rajesh rajak मां जैसा कोई नहीं,
MR VIVEK KUMAR PANDEY
Writer Mr Vivek Kumar pandey "कीमत नहीं है हीरो का हम पर किसका बोल मेरे पापा जैसा कोई नहीं इनके अलावा कोई नहीं और".। #मेरेपापा जैसा कोई नहीं