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Raam Sevariya
जाने कितनी रातें जाग के, तुझको संभाला होगा कितने ही दुख-दर्द, सहे होंगे, तब जाके तुम्हें पाला होगा वो माता पिता की ही देन है, जो इतना आसान बनाया वरना कितने ही ऐसे होंगे, जिन्हें जीवन ने निकाला होगा ©Raam Sevariya #Likho जाने कितनी रातें जाग के, तुझको संभाला होगा कितने ही दुख-दर्द, सहे होंगे, तब जाके तुम्हें पाला होगा वो माता पिता की ही देन है, जो इतना
#Likho जाने कितनी रातें जाग के, तुझको संभाला होगा कितने ही दुख-दर्द, सहे होंगे, तब जाके तुम्हें पाला होगा वो माता पिता की ही देन है, जो इतना
read moreInternet Jockey
White कोई चुप रहके निभा रहा है कोई ज़ोर से चिल्ला के बता रहा है प्रेम प्रदर्शन का नहीं, दर्शन का विषय है जनाब जो है सबसे मधुर एहसास उसी को व्यवसाय बनाया जा रहा है ©Internet Jockey #good_night कोई चुप रहके निभा रहा है कोई ज़ोर से चिल्ला के बता रहा है प्रेम प्रदर्शन का नहीं, दर्शन का विषय है जनाब जो है सबसे मधुर एहसास उस
#good_night कोई चुप रहके निभा रहा है कोई ज़ोर से चिल्ला के बता रहा है प्रेम प्रदर्शन का नहीं, दर्शन का विषय है जनाब जो है सबसे मधुर एहसास उस
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
White एक अधूरा सफ़र एक सफ़र अधूरा रहा, ख्वाहिशों का साथ छूट गया। मंज़िल मेरी रूठ गई, मैं खुद से ही तो रूठ गया। दरिया में कश्ती डूब गई, पतवार मेरी टूट गई। मैं खुद से ही तो रूठ गया, मैं खुद से ही तो टूट गया। ख़्वाब सजाए आँखों ने, एक पल में सब टूट गया। सफ़र पर निकला जब, खुद ही रास्ता भटक गया। रुका मैं अभिलाषा में, मुश्किल दौर से गुज़र गया। माया के भंवर में फँसकर, भरी ज्येष्ठा में सर्द सा सिहर गया। एक महल बनाया रेत सा, जो पल भर में ढह गया। ख़्वाबों की दीवारें टूटीं, और दिल भी कहीं बह गया। साथ किसी का छूट गया, दर्द सा दिल में बैठ गया। मैं खुद से ही तो रूठ गया, मैं खुद से ही तो टूट गया। दिल मासूम फिर से टूट गया, मंज़िल मेरी फिर छूट गई। महबूब मुझसे रूठ गया, मैं खुद से ही तो टूट गया। मैं खुद से ही तो रूठ गया। ©theABHAYSINGH_BIPIN #sad_qoute एक अधूरा सफ़र एक सफ़र अधूरा रहा, ख्वाहिशों का साथ छूट गया। मंज़िल मेरी रूठ गई, मैं खुद से ही तो रूठ गया।
#sad_qoute एक अधूरा सफ़र एक सफ़र अधूरा रहा, ख्वाहिशों का साथ छूट गया। मंज़िल मेरी रूठ गई, मैं खुद से ही तो रूठ गया।
read morevksrivastav
a-person-standing-on-a-beach-at-sunset यूं तो भगवान ने सादा ही बनाया है मुझे हां मगर कोई अगर चाहे तो रंग सकता है यूं तो हम ख़ुद के भी हो पाए नही हां मगर चाहे कोई तो मेरा बन सकता है ©Vk srivastav यूं तो भगवान ने सादा ही बनाया #Shayari #Love #Quotes #SAD #Trending #viral #vksrivastav
Shailendra Anand
रचना दिनांक 14 जनवरी 2025 वार मंगलवार समय सुबह ग्यारह बजे ्भावचित्र ् ्निज विचार ् ्शीर्षक ् छाया चित्र में जल ही जीवन में समुद्र में जलसृष्टि में , अलग पहचान और सोच का आयना नज़रिया सहज महज़ भण्डार है,, जहां चाह वहां राह दिखाने वाले मंगलमय रत्नों से खनिज पदार्थ से सजाया गया है।। ्् समन्दर में बहते हुए जल में प्रवाहित होने वाले तरंग में लहरों , में समुद्री नमक और तेल चित्रावलली ललितकलाचित्रणशैलीकलासाहित्य से, मनोररम सौंदर्य और जींव जगत के सुक्ष्म से सुक्ष्म पादप प्रजातियां पाई जाती है । जो जीवाणु और अनेक देशों में समुद्री तट पर स्थित पनडुब्बी और जहाज में पर्यटक में , मानसिक सम्प्रेषण शांति वार्ता से अन्य देशों में सामंजस्य स्थापित कर नव स्वपन कीओर ले जा रहे, मकर संक्रांति पर्व हर्षोल्लास पूर्वक विचार कर मनाया जा रहा है।। हिन्दूस्तान में आदिकाल भक्तिकाल में मानसिक हलचल अंतर्गत आई अभिव्यक्ति अनुवाद जनसंख्या में वृद्धि और कमी विषय नहीं है,, विषय विश्व में आप और हम के बीच हिन्दूस्तान की संस्कृति सभ्यता और इतिहास चाहे, स्वामी विवेकानंद जी शिकागो में 13। 1वर्ष पुर्व अपने उद्बोधन में अपनी संस्कृति और सभ्यता इतिहास विद्वता से सारे विश्व में अपना दर्शन और प्रेम का आयना नज़रिया सहज महज़ प्रेम को अभिव्यक्त करने वाले शुन्य पर आधारित ईश्वर सत्य की आवृत्ति प्रवृत्ति निरन्तर प्रगति में देश सर्वोपरि है।। माना कि हिन्दूस्तान में कई राजा,सम़ाट सतयुग से कलयुग तक देवता और असुर के मध्य संग़ाम हुआ है ्तब धर्म और अधर्म पाप और पुण्य के बीच सतयुग त्रेता द्वापर युग परिवर्तन में सहस्त्रों वर्षों तक अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक समुदाय का विवरण शास्त्र पुराण कथा साहित्य कथन सच्चाई में उपलब्ध है।।्् रहा सवाल कलयुग में कल कारखानों में ,श्रम और रोजगार में सर्वहारा वर्ग में दलित आदिवासी जीवन में वन जंगल पहाड़ धरती जल जीवन में विचरण करने वाले लोगों में अशिक्षा अंधश्रद्धा मंहगाई खात जात है जैसी मुल समस्या पर ध्यान देना चाहिए।। ््नाकि आम आदमी में मानसिक रूप से जीवन व्यतीत करते हैं आनेवाली पीढ़ी को राह दिखाने वाले खुशियों का आयना नज़रिया बदला जा सकता है,, यही सही मौका मिला है आपकी पोस्ट पढ़ने के बाद लिखने का बाकि आप समझदार है।। ,, ना हिन्दू बनेगा ना मुसलमान बनेगा, इन्सान की औलाद है इंसान बनेगा,।। देश में संविधान है तो देश आगे बढ़ेगा,, विवाद है तर्क वितर्क तथ्य तर्क तथ्यों पर आधारित अदालत में न्याय पाओ मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने पहले इन्सान बनाया है।। यही यथार्थ सत्य है इन्सान से प्रेम करने वाले अच्छे ख्यालात रहे,, यही सही और सटीक उत्तर भारत प्रजातांत्रिक देश में अवाम में खुशहाली और उसके परिणाम में सत्य कोण पूर्व मुख में सुर्य विराजमान हैं।। ््कवि शैलेंद्र आनंद ©Shailendra Anand मकर संक्रांति पर आपके विचार सच में भक्ति भाव से पुजा अर्चना कर देख रहा है ईश्वर ने पहले इन्सान बनाया गया है कवि शैलेंद्र आनंद
मकर संक्रांति पर आपके विचार सच में भक्ति भाव से पुजा अर्चना कर देख रहा है ईश्वर ने पहले इन्सान बनाया गया है कवि शैलेंद्र आनंद
read moreJAGAT HITKARNI 274
• हजार हजार शुक्र उस जोतीस्वरुप नीरंजन नीराकारका है किं जिसने जमीन व आसमानको बनाया और तमाम सृष्टीको पैदाकीया परंन्तु उस की कारीगरीका भेद किसी पर जाहीर नहीहुआ कि क्या भेदहै फिर मेंरी जबानसे इश्वर परमात्माकी तारीफ अदा नहीहोसक्ती और दूसरा मजमुन बतौर समुद्र केहै सो कलमसे लिखा जाताह कि जो२करतब मैने इन सौदागर महाजनान-के देखे वोह अजब तरहके नजर आये जिससे मुझ गरीब साध अनुपदासको तमांम जहांनके हिंन्दु मुसलमान और साध संत और पण्डित फकीर और मुल्कों मुल्कोंके राजा महाराजा और सातों आठों और सब-विलायतोंके बादशाह और दीगर अंग्रेज वगैराकी खिदमतमें हाथ जोङकर अरज;करना लाजिम आया कि जिसको जादूचाला और राक्षस विधा और काफिर विधा और इन्द्रजाल कहतेहैं वोह एक किसमका पापहै कि जिस्तरहसे रावणने चलायाथा और मेह और मौतको कबजेमें करलीथी पापके सबबसे याने होम करा२के बुद्धी भी भ्रष्ट करदीथी इन्द्रजालके पापसे और काल वगैरा, पङा२करके लक्षमी अपने काबूमें करके लंकामें लेगयाथा और उसीतरहसे- हिरनाकश राजानेभी चलायाथा और उसीतरहसे कंन्स राजानेभी चलायाथा और उसीतरहसे कारुन बादशाहनेभी चलायाथा और रावण हिरनाकश कंस कारुन वगैराकी तरहसे बल राजाके बादसे इन सौदागर महाजनाननेभी-राक्षस विधाका पाप चलायाहै सोइन बनियोंनेभी मेहको और मोतको सहारे करलीहै और बुद्धी भ्रष्ट करदीहै ..... • सोइस.बातका.इन्साफकीया चाहीये क्युंकि इन्साफके-करनेसे,खुद,मालुम,होजावेगा- ... ( २२९ ) साध अनुपदास- लीखी- कीताब - [ जगतहीतकारनी ] ( २७४ ) पढ़ें छावणी ऐरनपुरा, शिवगंज - ३०७०२७ (राज.) संपर्क :- 02976-273024 , 8905653801 www.jagathitkarnioriginal.org ©JAGAT HITKARNI 274 • हजार हजार शुक्र उस जोतीस्वरुप नीरंजन नीराकारका है किं जिसने जमीन व आसमानको बनाया और तमाम सृष्टीको पैदाकीया परंन्तु उस की कारीगरीका भेद कि
• हजार हजार शुक्र उस जोतीस्वरुप नीरंजन नीराकारका है किं जिसने जमीन व आसमानको बनाया और तमाम सृष्टीको पैदाकीया परंन्तु उस की कारीगरीका भेद कि
read morePraveen Jain "पल्लव"
पल्लव की डायरी खुशियों का बदला ढंग लतो को बदलाव का नाम दिया जा रहा है शोहरत दौलत का बढ़ता नशा ब्रांड बिगड़ेलौ को बनाया जा रहा है हावी हो चुकी पश्चात संस्कृति ड्रग्स शराब मांसाहार से नैतिक मूल्यों का ग्राफ गिराया जा रहा है पव क्लब और पार्टियां बनी शान युवाओ की सामाजिक पारिवारिक व्यवस्था को तोड़ा जा रहा है आजादी का देके नाम रागरागिनी में युवा युवती को फंसाया जा रहा है मिर्गमरीचिका जैसी हो गयी जिंदगी ना देखा जा रहा है,ना निगला जा रहा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" ब्रांड बिगड़ेलौ को बनाया जा रहा है #nojotohindi
ब्रांड बिगड़ेलौ को बनाया जा रहा है #nojotohindi
read moreबेजुबान शायर shivkumar
//सुकुन आँचल का// एक बार नही आपको मैं सौ बार लिखूंगा मांँ तुझे ही अपने जीवन का वो सार लिखूंगा बाबू बाबू कह कर जब मुझें यु पालना में झुलाती है स्वर्ग के अप्सरा भी यु मंद मंद कर वो मुस्कुराती है मां की गोद में आकर भगवान भी यु बच्चे बन जाते हैं मां की ममता का सुख ईश्वर भी खूब मजा उठाते हैं ईश्वर ने खुद को बनाया है एक ख्याल उनके मन में आया है अपने जैसा ही हर किसी को खुद को पहुंचाया है जिसका नाम माँ बतलाया है समंदर से गहरी ममता का होती है उठते तूफान को शांत वो करती है न छोटा न बड़ा इस भेदभाव में मांँ कहाँ पड़ती है मीठे सपनो को अपने बच्चे के लिए मांँ संजोती है वक्त बदल जाए हालात बदल जाए पर मांँ की ममता को कोई न बदल पाए है आज तक उसकी आवाज में ऐसा जादू होता है की किसी के मुर्झाया चेहरा भी यु खिल जाता है जब मांँ की आवाज कानों में आती है सारी दुनिया से लड़ने की हिम्मत दे जाती है घर से निकल कर सर को झुका देते है मांँ का आशीर्वाद लेकर बिगड़े काम भी बना देते हैं बचपन में हो या हो बड़े आज भी मांँ के उस आंँचल में पड़े रहते है मुझे तो सुकून आँचल का मिलता है मांँ तेरी उस गोद में आ कर धनंजय शुक्ला✍ ©बेजुबान शायर shivkumar //सुकुन आँचल का// एक बार नही आपको मैं सौ बार लिखूंगा मांँ तुझे ही अपने जीवन का वो सार लिखूंगा बाबू बाबू कह कर जब मुझें यु पालना में झुलाती
//सुकुन आँचल का// एक बार नही आपको मैं सौ बार लिखूंगा मांँ तुझे ही अपने जीवन का वो सार लिखूंगा बाबू बाबू कह कर जब मुझें यु पालना में झुलाती
read more#Mr.India
White ख़्वाहिशें तो बेपनाह हैं, मगर ख़ुद को तरसाना अभी बाक़ी है, सफ़र पर निकले हैं, लेकिन मंज़िल तक पहुंचना अभी बाक़ी है। उम्मीदें पलती हैं, फिर पल में बिखर जाती हैं, ठोकर लगती है तो ज़िंदगी रुककर ख़ुद सँभल जाती है। हर मोड़ पर आफ़तें हैं, हर रास्ता अजनबी है, सिरफ़रोशी का जज़्बा है, यही हमारी तलब है। तूफ़ानों में चलने का इरादा हमने बांधा है, जहाँ सहर नहीं, वहीं एक चिराग़ हमने जलाया है। हवा के रुख़ से डरकर हम क़दम पीछे नहीं करते, सूरज की तपिश में भी साया ढूंढ लिया करते। मंज़िल नहीं तो क्या हुआ, सफ़र का मज़ा लिया जाएगा, हर गिरते पत्थर को राह का नक़्शा बनाया जाएगा। ©#Mr.India ख़्वाहिशें तो बेपनाह हैं, मगर ख़ुद को तरसाना अभी बाक़ी है, सफ़र पर निकले हैं, लेकिन मंज़िल तक पहुंचना अभी बाक़ी है। उम्मीदें पलती हैं, फिर प
ख़्वाहिशें तो बेपनाह हैं, मगर ख़ुद को तरसाना अभी बाक़ी है, सफ़र पर निकले हैं, लेकिन मंज़िल तक पहुंचना अभी बाक़ी है। उम्मीदें पलती हैं, फिर प
read moreSumitGaurav2005
जिन्हें देखते ही यह कहने का मन करता है इन्हें रब ने क्यों बनाया?? इतना कपट इनके मन में भरा होता है कि ऐसे लोगों से मिलकर बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता है! वहीं दूसरी ओर कुछ तो ऐसे भी होते हैं जिन्हें देख कर ही मन प्रफुल्लित हो जाता है, बहुत शांति मिलती है। उनसे मिलने का मन बार-बार करता है। ✍🏻सुमित मानधना 'गौरव'😎 ©SumitGaurav2005 जिन्हें देखते ही यह कहने का मन करता है इन्हें रब ने क्यों बनाया?? इतना कपट इनके मन में भरा होता है कि ऐसे लोगों से मिलकर बिल्कुल भी अच्छा नह
जिन्हें देखते ही यह कहने का मन करता है इन्हें रब ने क्यों बनाया?? इतना कपट इनके मन में भरा होता है कि ऐसे लोगों से मिलकर बिल्कुल भी अच्छा नह
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