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Shagufta khan
किसी को हिदायत देने से पहले एक बार अपने गिरेबान में जरूर झांक ले.. क्या पता उस हिदायत की जरूरत आपको को ही हो । हिदायत
Ankita Pratap
अगर पता होता इश्क़ की सज़ा तो मोहब्बत करने की किसी को हिदायत ही ना देते कि वाफा करने वालों को ही मजबूरियों का सामना करना पड़ता हैं तो कभी मोहब्बत होने ही ना देते अगर पता होता की लोग इसमें बदलते बहुत है ऊपर से मुस्कुरा कर गम सीने में छुपाते बहुत हैं तो हां हम कभी मोहब्बत होने ही ना देते कि मोहब्बत के नाम पे यहां कुछ लोग जिस्म ढूंढ़ते हैं अगर पता होता की मोहब्बत ऐसी भी होती हैं तो हम किसी को मोहब्बत की हिदायत ही न देते। @AK #हिदायत
Neophyte
एक शख्स जब मुझपर इतनी इनायत करे तो क्यू ना हम भी उससे मोहब्बत करे माना की नामंजूर है जमाने को हमारा रिश्ता एक दफा क्यू ना हम जमाने से बगावत करे दुनिया से मिले जख्मों को उसे दिखाए वही मरहम करे, वही रियायत करे सुना है बच्चे बहुत पसंद है उसे क्यू ना हम बच्चो की तरह शरारत करे वो बनाए मेरे मकान को हमारा घर अपनी मौजूदगी से वो ऐसी सजावट करे रास्ता भटक जाऊं मैं गर कही मंजिल का वो हाथ पकड़कर मेरा हिदायत करे ©Neophyte हिदायत!
Hidayat Ali Khan
नफरत को मोहब्बत से मनाने का हुनर हमें आता है। दुश्मन को भी लख्ते जिगर बनाने का हुनर हमें आता है। मोहब्बत के फसाने तू हमें ना सुना ऐ बेजाने दिल। नफरत को भी मोहब्बत से गले लगाना हमें आता है। मैंने मुर्दों को यहां जिंदों की तरह चलते हुए देखा है। मैंने रिश्तों को यहाँ पल पल में बदलते हुए देखा है। जिस गुलशन को शहीदों ने सींचा था अपने खून से। मैंने आज उसी हिंदुस्तान को यहां जलते हुए देखा है। ©Hidayat Ali Khan हिदायत #freebird
Hidayat Ali Khan
बेअदब अदब से अदब चाहते हैं सितमगर कसम से गजब चाहते हैं जिन्हें मालूम नहीं अदब का अलिफ भी वो अदब से बेअदब होने का सबब चाहते हैं ©Hidayat Ali Khan हिदायत #freebird
Hidayat Ali Khan
बेअदब से अदब हम कहां मांगते हैं बेअक्लों से सबक हम कहां मांगते हैं जिसका निगेहबान है खुद खुदा हिदायत वो किसी के दर से कुछ कहां मागते हैं ©Hidayat Ali Khan हिदायत #freebird
Hidayat Ali Khan
इस बार होली नहीं मना पाउंगा मैं किसी से कैसे आंखें मिला पाउंगा मैं होली के रंग में मुझे खुन नजर आता है रिश्ते मिटाने का जूनून नजर आता है कैसे किसी पर भरोसा कर पाउंगा मैं इस बार होली नहीं मना पा पाउंगा मैं कैसे किसी से आंखें मिला पाउंगा मैं हर चेहरा अब अनजाना सा लगता है कल तक जो अपना था बेगाना सा लगता है। बेगानों में अपनों को कैसे ढूंढ पाउंगा मैं इस बार होली ना खेल पाउंगा मैं कैसे किसी से आंखें मिला पाउंगा मैं गुलाल वाली बांहें मुझे डराने सी लगी हैं मासूमों कि सिसकियां मुझे सताने सी लगी है कैसे सहमी सी आँखों को भूला पाउंगा मैं इस बार होली ना खेल पाउंगा मैं कैसे किसी से आंखें मिला पाउंगा मैं ©Hidayat Ali Khan हिदायत #freebird
Hidayat Ali Khan
खेल कुदकर जहां हुए थे हम जवान यही धरती थी यही था आसमान सुनो सुनाता हूं मैं इक दास्तान धूप जहां की सुहानी सी लगती थी फिजा जहां रूहानी सी लगती थी जिसको महसूस करते जमाने हो गये आज वहां हम बेगाने हो गये जिन गलियों में हमने गुजारा था बचपन वो जवानी अल्हड़पन व लड़कपन वो गलियारे आज अनजाने हो गये आज वहां हम बेगाने हो गये कहते हैं वो अब ये वतन तुम्हारा नहीं हमारी वतन परस्ती उन्हें अब गंवारा नहीं जिस तिरंगे के थे हम दिवाने हुए आज यहां हम बेगाने हुए जन्म लिया जिस धरा के आंचल में उड़ानें भरी जिस फिजां के बादल में कहते है वो गुजरे तराने हुए आज यहां हम बेगाने हुए। कैसे करें साबित कि ये वतन हमारा है बताएं कैसे कि ये हमें जान से प्यारा है। फैसले उनके अब मनमाने हुए आज यहां हम बेगाने हुए ©Hidayat Ali Khan हिदायत #freebird
Hidayat Ali Khan
नफरत को मोहब्बत से मनाने का हुनर हमें आता है। दुश्मन को भी लख्ते जिगर बनाने का हुनर हमें आता है। मोहब्बत के फसाने तू हमें ना सुना ऐ बेजाने दिल। नफरत को भी मोहब्बत से गले लगाना हमें आता है। ©Hidayat Ali Khan हिदायत #freebird
Hidayat Ali Khan
नफरत को मोहब्बत से मनाने का हुनर हमें आता है। दुश्मन को भी लख्ते जिगर बनाने का हुनर हमें आता है। मोहब्बत के फसाने तू हमें ना सुना ऐ बेजाने दिल। नफरत को भी मोहब्बत से गले लगाना हमें आता है। ©Hidayat Ali Khan हिदायत #freebird