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ashish gupta
#बनती नही बात बनती नहीं है कोई बात की बिगड़ जाती है हमें सुकून है कि वही हमें नखरे दिखाती है कभी पास आकर दिल को तसल्ली बक्स देती है तो कभी दूर होकर हमें बड़ा तरसाती है कहती है कि उसे भरोसा ही नहीं मोहब्बत की बातो में पर जाने क्यों हमसे ही दिल लगती है लबों से कभी इसके कभी इकरार के शब्द नही निकले पर उनकी आंखे बेइनहीः मोहब्बत नुमाया करती है ©ashish gupta #quotation *बनती नही बात * बनती नहीं है कोई बात की बिगड़ जाती है हमें सुकून है कि वही हमें नखरे दिखाती है कभी पास आकर दिल को तसल्ली बक्स द
~anshul
वो बार-बार मेरा साथ छोड़ने का ख़ौफ़ दिलाती है घर में बहुत से लोगों को बुलाकर रोना चाहती है मुझसे सारे रंग छीन कर बस शरीर ढकने एक सफेद कपड़ा देना चाहती है रात होते ही सुबह का सूरज देखने को तरसाती है रोज घुगरुओं की आवाज़ बन दिन भर दिमाग़ में बजती रहती है क्यों मेरी ज़िंदगी को मौत बहला-फुसला के अपने साथ ले जाना चाहती है? आख़िर क्यों मेरी ज़िंदगी मुझे अलविदा कहना चाहती है? #alone #Nojoto #Trending Satya (The Writer) Mohd Aszad L i k h a r i.... Beena Sunny kumar वो बार-बार मेरा साथ छोड़ने का ख़ौफ़ दिलाती ह
Krish Vj
जलकर राख हो ना जाऊँ, धारा से अलग हो ना जाऊँ ख्वाहिशों की इस आग में अब और ना जलाओ मुझे गिर गया राह में चलते-चलते हारा या जीता पता नहीं ज़ख्म खाए है यूँ ज़िन्दगी में,अब और ना सताओं मुझे बड़ी बेरहम है शायद यह ज़िन्दगी जो तरसाती है मुझे बड़ी 'तादाद' में है ग़म मेरे, अब ना इन्हें गिनाओं मुझे माटी का पुतला जहां बसेरा, एक सादगी सी रूह का गर गलत है राह मेरी, ज़िंदगी अब राह दिखाओ मुझे सूख गया है यह नयन सागर मेरा क्या कहूँ?अब तुझे रहम कर ज़िन्दगी 'कृष्णा' पर अब यूँ ना रुलाओ मुझे जलकर राख हो ना जाऊँ, धारा से अलग हो ना जाऊँ ख्वाहिशों की इस आग में अब और ना जलाओ मुझे गिर गया राह में चलते-चलते हारा या जीता पता नही
Anita Saini
Zindagi (READ IN CAPTION) कभी हँसाती है कभी रूलाती है जि़न्दगी कभी किसी से जोड़ती है जि़न्दगी कभी किसी को तोड़ती है जि़न्दगी कभी बिखर सी जाती है जि़न्दगी और कभी स
Nasin Nishant
बादलों के पार से आवाजें अब आती नहीं है बारिश तो होती है पर बूँदें अब तरसाती नहीं है मेरा ये शहर मैं छोड़कर चला जाऊँगा एकदिन जहाँ मेरी आँखों को किनारा तो मिला है पर वो अब लहरों से टकराती नहीं है । #MeraShehar बादलों के पार से आवाजें अब आती नहीं है बारिश तो होती है पर बूँदें अब तरसाती नहीं है मेरा ये शहर मैं छोड़कर चला जाऊँगा एकदिन जहाँ
मुखौटा A HIDDEN FEELINGS * अंकूर *
Maa MY FIRST poetry on MOM HOPE YOU LIKE माँ क्या है? माँ नूर है,हूर है माँ बेटे का गुरूर है। माँ दीप है,रूप है,धूप है। माँ नदी है,रती है सती है। माँ मन है,धून है, जूनून है। माँ दूर है,पास है,एहसास है। माँ अस्ल है,नस्ल है,वस्ल है। माँ प्यार है,व्यवहार है,संसार है। माँ सागर है,साहिल है,सैलाब है। माँ मंजिल है,रास्ता है,वास्ता है। माँ दौलत है,हसरत है,इनायत है। माँ चाहत है,आदत है,मोहब्बत है। माँ इबादत है,इज्ज़त है,इजाजत है। माँ सजदा है,मेहताब है,आफताब है। माँ अभेद्य है,अखंड है,प्रचंड है। माँ शब्द का अंत नही, माँ तो अनंत है। ~अंकुर (Dear Comrade) माँ क्या है? माँ नूर है,हूर है माँ बेटे का गुरूर है। माँ दीप है,रूप है,धूप है। माँ नदी है,रती है सती है। माँ मन है,धून है, जूनून है। माँ द