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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल :- तुम्हें दिल की धड़कन बना लूँ । न देखे कोई मैं छुपा लूँ ।।१ सजा कर तेरी माँग को मैं । तुम्हें दिल की रानी बना लूँ ।।२ दफन कितने अरमान दिल में । ठहर तो जरा मैं मिटा लूँ ।।३ बुरा ही कहेगा जमाना । अगर गोद में जो उठा लूँ ।।४ खिलेंगे सुमन भी चमन में । कदम इश्क़ में जो बढ़ा लूँ ।।५ इजाजत हमें तुम अगर दो । नज़र से नज़र मैं मिला लूँ ।।६ प्रखर हर्ज तुमको नहीं तो । उसे देख कर मुस्कुरा लूँ ।।७ २२/०४/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- तुम्हें दिल की धड़कन बना लूँ । न देखे कोई मैं छुपा लूँ ।।१ सजा कर तेरी माँग को मैं । तुम्हें दिल की रानी बना लूँ ।।२ दफन कितने अरमान द
Sudha Tripathi
साधना जैसे मन को शांति और स्थिरता देता वैसे ही किताबों का अध्ययन ज्ञान से भर देता पढ़ो पढ़ो और खूब पढ़ो कि पढ़ो पढ़ो और खूब पढ़ो.... जीवन की सुगमता का कारण, पुस्तकों को बतलाकर चरित्र निर्माण हेतु नैतिकता सिखलाकर, रात्रि विश्राम से पूर्व जो स्वाध्याय कर लेता उनको किताबों का अध्ययन ज्ञान से भर देता पढ़ो पढ़ो और खूब पढ़ो की पढ़ो पढ़ो और खूब पढ़ो.... सर्वांगीण विकास है करती, सामाजिकता की राह दिखाकर सुख आनंद भंडार भर देती,ज्ञान सुधा की नित्य बहाकर कठिन सवालों को सुलझाएं जो,नित्य अध्ययनकर्ता उनको किताबों का अध्ययन ज्ञान से भर देता कि पढ़ो पढ़ो और खूब पढ़ो पढ़ो पढ़ो और खूब पढ़ो.... बचपन से आखरी साँसो तक, राह हमें दिखाती राष्ट्र निर्माण कर पुनर्जागरण कर, संस्कृति संरक्षित करती नवचेतना का संचार कर, युग परिवर्तन कर देता वैसे ही किताबों का अध्ययन, ज्ञान से भर देता पढ़ो पढ़ो और खूब पढ़ो पढ़ो पढ़ो और खूब पढ़ो.... ©Sudha Tripathi #BooksBestFriends 31. साधना जैसे मन को शांति और स्थिरता देता वैसे ही किताबों का अध्ययन ज्ञान से भर देता पढ़ो प
Ravendra
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल :- वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी । पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१ छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं । करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थी ।।२ हटे कैसे नज़र मेरी हँसी रुख से । जिसे अब देख तर जाने की जल्दी थी ।।३ न था अपना कोई उसका मगर फिर भी । उसे हर रोज घर जाने की जल्दी थी ।।४ सँवरना देखकर तेरा मुझे लगता । तुझे दिल में उतर जाने की जल्दी थी ।।५ बताती हार है अब उन महाशय की । उन्हें भी तो मुकर जाने की जल्दी थी ।।६ नशे की लत उसे ऐसी लगी यारों । जैसे उसको भी मर जाने की जल्दी थी ।।७ सही से खिल नहीं पाये सुमन डाली । जमीं पे जो बिखर जाने की जल्दी थी ।।८ लगाये आज हल्दी चंदन वो बैठे । न जाने क्यों निखर जाने की जल्दी थी ।।९ किये सब धाम के दर्शन प्रखर ऐसे । खब़र किसको निकर जाने की जल्दी थी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- वो आती लौट पर जाने की जल्दी थी । पुकारो मत उधर जाने की जल्दी थी ।।१ छुपा लेता खुशी सारी सभी से मैं । करूँ क्या आँख भर जाने की जल्दी थ
Mukesh Poonia
हारने के बाद कहानी खत्म नहीं होती फिर से एक नया अध्ययन शुरू होता है . ©Mukesh Poonia #snowpark ₹हारने के बाद #कहानी #खत्म नहीं होती फिर से एक नया #अध्ययन शुरू होता है
Vikrant Rajliwal Show