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Manjul mahoba
Anuj Ray
मिलना और बिछड़ना" कभी कुछ पुण्य किए होंगे उसका फल, और कभी कुछ पाप किए होंगे उसकी सज़ा। ©Anuj Ray # मिलना और बिछड़ना"
Anuj Ray
ख़्वाब और ख्याल" जब भी किसी के ख़्वाब दिल में आते हैं तो ,खुशियों के चार चांद लग जाते हैं। कभी धुंधली, कभी उजली सी,दिल में नसीब ए यार की ,तस्वीर बन जाते हैं। करके बेचैन निगाहों को उसी दिन से, मंज़िल ए यार का ,रस्ता भी बता जाते हैं। फिर वही तस्वीर निकाल के ख्वाबों से, आहिस्ता आहिस्ता ख्यालों में समा जाते हैं। ©Anuj Ray #ख़्वाब और ख्याल"
Lotus Mali
gaTTubaba
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. रंग कोई और बदलता हैं और बेरंग कोई और हो जाता हैं कर्म किसी और के और सजा कोई और भुगतता जाता हैं ©gaTTubaba #Holi रंग कोई और बदलता हैं और बेरंग कोई और हो जाता हैं कर्म किसी और के और सजा कोई और भुगतता जाता हैं
Mintu Ali
ग़म मिट गये, खुशी मिल गयी, फिर से जीने की एक उम्मीद मिल गयी। कुछ नया करने की चाह मिल गयी, हर पल मुस्कुराने की वजह मिल गयी। सपने सजाने की ख्वाहिश मिल गयी, तुम मिल गये, हर चीज़ मिल गयी ।...और पढ़ें ©Mintu Ali .और पढ़ें
Mddilkhus
होली में भाई के माल पर रंग लगाइए अच्छा ना कईलू तू अच्छा ना कईलू तू ©Mddilkhus शायरी और गजल शायरी और
paritosh@run
पापा की परियों पर खूब चुटकुले चलते हैं, पर कभी आपने सोचा है बेटियों को अपने ही माता पिता से मिलने वाले प्रेम को इतना glorify क्यो करने की जरूरत पड़ती है। बेटों को क्यो कभी ये साबित नहीं करना पड़ता कि वो अपने माता पिता के कितने दुलारे हैं? जवाब है कि उनको सदियो से ही जन्म से अधिकार और प्यार मिला है। घी का लड्डू टेढो मीठ जिनके लिए कहा गया हो उन्हें अपनी उपयोगिता साबित करने की जरूरत ही क्या है। वह लायक हो तब तो अच्छा है ही, पर यदि वह शराबी, जुआरी, बलात्कारी, हत्यारा, लुटेरा हो तब भी अंत में उसके हाँथ की मुखाग्नि पाकर माता पिता को स्वर्ग मिल जाता है। तमाम ग्रन्थ, व्रत, उपवास, प्रतीक पुत्र होने को अलौकिक और अदभुद सिद्ध करने में जुटे हैं। कुछ माता पिता जो कहते हैं " हम तो लड़का लड़की में कोई भेद नहीं करते" उनसे अगर कोई सम्पति में हिस्सा देने की बात कर दे तो उनकी परम्परा और संस्कृति खतरे में आ जाती है। वो दो बीघा जमीन बेच कर लड़की की शादी तो कर देंगे, लेकिन 1 बीघा बेच कर न उनको पढ़ा पाएंगे, न उनके नाम कर पाएंगे। आज भी बेटियां अपने ही अधिकारों से वंचित हैं तो इसके जिम्मेदार जितना समाज है उतना ही उनके माता पिता भी हैं। ©paritosh@run पापा की परी.