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digital pramila
Rishu singh
White मुझे लगता है ऑनलाइन मां को मदर्स डे बोलने से बेहतर है आप उस दिन तो मां को आराम दे ही सकते है आपने व्हाट्सएप पर फेसबुक पर बोल दिया दुनिया को सुना दिया और जो घर में आपके लिए खाना बना रही है आपके कपड़े धूल रही है उन्हे पता ही नहीं होता है की आज क्या है इस लिए अच्छा बर्ताव करे मां के साथ वो हमारे लिए हर दिन सब कुछ करती है सारा काम इसी लिए मां को योद्धा कहा गया है वो हमारे लिए हमी से लड़ जाती है ❤️ मां का कोई एक नहीं होता मां से ही हर दिन होता है मां के बिना तो सोचा ही नहीं जा सकता 🙏🏻🙏🏻जीवन जीने के बारे में ❤️ ©Rishu singh #mothers_day मुझे लगता है ऑनलाइन मां को मदर्स डे बोलने से बेहतर है आप उस दिन तो मां को आराम दे ही सकते है आपने व्हाट्सएप पर फेसबुक पर बोल दि
Poonam Pathak Badaun
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
मनहरण घनाक्षरी :- लोभ मोह माया छोडो , आपस में नाता जोड़ो । त्यागो अभी हृदय से , दुष्ट अभिमान को । नही अब सिर फोड़ो ,बैरी ये दीवार तोड़ो , चलो सब मिलकर, करो मतदान को । ये तो सब लुटेरे हैं , करते हेरे-फेरे हैं पहचानते है हम , छुपे शैतान को । मतदान कर रहे , क्या बुराई कर रहे, रेंगता है मतदाता , देख के विधान को ।।१ वो भी तो है मतदाता, क्यों दे जान अन्नदाता , पूछने मैं आज आयी , सुनों सरकार से । मीठी-मीठी बात करे , दिल से लगाव करे, आते हाथ सत्ता यह , दिखता लाचार से । घर गली शौचालय, खोता गया विद्यालय, देखे जो हैं अस्पताल , लगते बीमार से। घर-घर रोग छाया , मिट रही यह काया , पूछने जो आज बैठा , कहतें व्यापार से ।।२ टीप-टिप वर्षा होती , छत से गिरते मोती , रात भर मियां बीवी , भरते बखार थे । नई-नई शादी हुई , घर में दाखिल हुई , पूछने वो लगी फिर , औ कितने यार थे । मैने कहा भाग्यवान , मत कर परेशान , कल भी तो तुमसे ही , करते दुलार थे । और नही पास कोई , तुम बिन आँख रोई, जब तेरी याद आई , सुन लो बीमार थे ।।३ २८/०३/२०२४ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR मनहरण घनाक्षरी :- लोभ मोह माया छोडो , आपस में नाता जोड़ो । त्यागो अभी हृदय से , दुष्ट अभिमान को । नही अब सिर फोड़ो ,बैरी ये दीवार तोड़ो , चलो
Ravendra
Ravendra
Ravendra
Ravendra
Ravendra
Ravendra