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Vicky Tiwari

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Deepti Garg

#ग्रामीण आंचल की महिलाएंdilkikalamse ❤✍🏼deeptigarg #yqbaba #yqdidi #कविता

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Vidhi

मैं अब तक जिंदा हूँ
क्योंकि मैं छत्तीसगढ़ी औरत नहीं
मैं अब तक लड़ रही,
क्योंकि मेरे लड़ने को फेमिनिस्म का आशीर्वाद है
नक्सलवाद का ठप्पा नहीं लगा मुझ पर
जब मैंने अपनी देह दबोचने वाले का गला दबाया...
     #YQbaba #YQdidi #आदिवासी #शहरी #ग्रामीण #औरत #शोषण #प्रतिरोध #राजनीति #feminism #नक्सलवाद

Dhanush TL

गुरुर नही है मुझमे ।।
पर जिद्द्दी कमाल हु

©Dhanush TL #र्दद #ग्रामीण #ह्रदय #द्रोपदी

रामेश्वर गावंडे

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क़लमकार आदित्य

थोड़ी बदमाशियां भी है थोड़ी सादगियां भी हैं
थोड़ा अल्हड़पन भी है थोड़ा नयापन भी है
बिठूर के घाटों के ग्रामीण अंचल संग आर्यनगर और स्वरूपनगर का शहरीपन भी है
यहां Local item है ढेर सा तो branded की भी कोई कमी नहीं है
ये मेरा कानपुर है कानपुर ऐ दोस्त जिसको उत्तरप्रदेश की आर्थिक राजधानी होने की जीत मिली है
भाषा में थोड़ा लखनवीपन है तो ग्रामीण भाषाओं का चुहुलपन भी है
खाने को मिठास में कानपुरिया जलेबी तो तीखेपन में समोसे और खस्ता भी है
जो IIT है यहां science दानों के लिये तो ICAI यहां commerce प्यारों के लिये है
ये मेरा कानपुर है कानपुर ऐ दोस्त जिसको हर प्रमुख चीजों की सौगात मिली है #MeraShehar 
#मेरा_शहर
#nojoto_our_pride

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11 ।।श्री हरिः।। 2 - भगवान की पूजा एक साधारण कृषक है रामदास। जब शुक्र तारा क्षितिज पर ऊपर उठता है, वह अपने बैलों को खली-भूसा देने उठ पड़ता है। हल यदि सूर्य निकलने से पहले खेत पर न पहुँच जाय तो किसान खेती कर चुका। दोपहर ढल जाने पर वह खेत से घर लौट पाता है। बीच में थोड़े-से भुने जौ या चने और एक लोटा गुड़ का शर्बत - यही उसका जलपान है। जाड़े के दिन सबसे अच्छे होते हैं। उन दिनों जलपान में हरी मटर उबाल कर नमक डाल कर घर से आ जाती है खेतपर और गन्ने का ताजा रस आ जा

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 11

।।श्री हरिः।।
2 - भगवान की पूजा


एक साधारण कृषक है रामदास। जब शुक्र तारा क्षितिज पर ऊपर उठता है, वह अपने बैलों को खली-भूसा देने उठ पड़ता है। हल यदि सूर्य निकलने से पहले खेत पर न पहुँच जाय तो किसान खेती कर चुका। दोपहर ढल जाने पर वह खेत से घर लौट पाता है। बीच में थोड़े-से भुने जौ या चने और एक लोटा गुड़ का शर्बत - यही उसका जलपान है। जाड़े के दिन सबसे अच्छे होते हैं। उन दिनों जलपान में हरी मटर उबाल कर नमक डाल कर घर से आ जाती है खेतपर और गन्ने का ताजा रस आ जा

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 4 - अकाम 'असंकल्पाज्जयेत् कामम्' काम जानामि ते मूलं संकल्पात् सम्भविष्यसि।

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
4 - अकाम

'असंकल्पाज्जयेत् कामम्'

काम जानामि ते मूलं संकल्पात् सम्भविष्यसि।

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10 ।।श्री हरिः।। 2 - मा कर्मफलहेतुर्भूः 'आप रक्षा कर सकते हैं - आप बचा सकते हैं मेरे बच्चे को। वह वृद्धा क्रन्दन कर रही थी।' आप योगी हैं। आप महात्मा हैं। मेरे और कोई सहारा नहीं है।' उस वृद्धा का एकमात्र पुत्र रोगशय्या पर पड़ा था। आज तीन महीने हो गये, कुछ पता नहीं चलता कि उसे हुआ क्या है। उसे भूख लगती नहीं, मस्तक में भयंकर पीड़ा होती है। पड़े-पड़े कराहता तो क्या, आर्तनाद किया करता है।

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 10

।।श्री हरिः।।
2 - मा कर्मफलहेतुर्भूः

'आप रक्षा कर सकते हैं - आप बचा सकते हैं मेरे बच्चे को। वह वृद्धा क्रन्दन कर रही थी।' आप योगी हैं। आप महात्मा हैं। मेरे और कोई सहारा नहीं है।'

उस वृद्धा का एकमात्र पुत्र रोगशय्या पर पड़ा था। आज तीन महीने हो गये, कुछ पता नहीं चलता कि उसे हुआ क्या है। उसे भूख लगती नहीं, मस्तक में भयंकर पीड़ा होती है। पड़े-पड़े कराहता तो क्या, आर्तनाद किया करता है।

Anil Siwach

|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9 || श्री हरि: || 1 - बद्ध कौन? 'बद्धो हि को यो विषयानुरागी' अकेला साधु, शरीरपर केवल कौपीन और हाथमें एक तूंबीका जलपात्र। गौर वर्ण, उन्नत भाल, अवस्था तरुणाई को पार करके वार्धक्यकी देहली पर खडी। जटा बढायी नहीं गयी, बनायी नहीं गयी; किन्तु बन गयी है। कुछ श्वेत-कृष्ण-कपिश वर्ण मिले-जुले केश उलझ गये हैं परस्पर।

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|| श्री हरि: || सांस्कृतिक कहानियां - 9

|| श्री हरि: ||
1 - बद्ध कौन?
 
'बद्धो हि को यो विषयानुरागी'

अकेला साधु, शरीरपर केवल कौपीन और हाथमें एक तूंबीका जलपात्र। गौर वर्ण, उन्नत भाल, अवस्था तरुणाई को पार करके वार्धक्यकी देहली पर खडी। जटा बढायी नहीं गयी, बनायी नहीं गयी; किन्तु बन गयी है। कुछ श्वेत-कृष्ण-कपिश वर्ण मिले-जुले केश उलझ गये हैं परस्पर।
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