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Vaishali Kahale
Vaishali Kahale
Spn Lohra
पण्डित राहुल पाण्डेय
**अचार में कितना सारा एडजस्टमेंट है। आम का स्वभाव खट्टा है...गुड़ का स्वभाव मीठा है...मेथी का स्वभाव कड़वा है...मिर्च का स्वभाव तीखा है...नमक की प्रकृति लवणता है...धनिये की प्रकृति कसैली है...फिर भी अचार ने कितना अच्छा एडजस्टमेंट कर लिया है। सभी को अच्छा लगता है और मीठा भी लगता है , उसी प्रकार जिंदगी में सबके साथ एवं सभी के स्वभाव के साथ एडजस्टमेंट करना सीख लें तो सबको कितने अच्छे लगेंगे इस तरह मुश्किल जीवन को भी मधुर तरीके से जिया जा सकता है... महादेव ** ©पण्डित राहुल पाण्डेय **अचार में कितना सारा एडजस्टमेंट है। आम का स्वभाव खट्टा है...गुड़ का स्वभाव मीठा है...मेथी का स्वभाव कड़वा है...मिर्च का स्वभाव तीखा है...नम
Vaishali Kahale
Divyanshu Pathak
व्यवहारिकता भूल गए सब सहनशक्ति को खो बैठे ! पर्व और अब उत्सव सारे अपने मूल रूप को खो बैठे ! होली के हुड़दंग मिटाकर गीत गोठ सब खो बैठे ! प्यार भरे दिल सूख गए सब और अपनापन खो बैठे ! भाव मनभरे भूल गए सब जीवन रस को खो बैठे ! यंत्र बने फ़िरते दिखते सब मूल चेतना खो बैठे ! 💕☕सुप्रभातम मित्रो💕🙏 : आज से 10 - 12 वर्ष पहले हमारे गाँव में जो होली खेली जाती थी आज मुझे बैसा कुछ नही दिखाई दिया । हाँ मेरी मित्र मण्डली आ
Pnkj Dixit
🌷खुशी या ग़म 🌷 "उदित सब सामान रख लिया न बाबू , हरी मिर्च का अचार , घी का डिब्बा.... ओर " "उफ्फ ममा ! बच्चा नहीं हूँ मैं , आईआईटी टॉपर हूँ .. ओर ... ओर इन सबकी कोई जरूरत नहीं है, बाजार से सब मिल जाएगा ।" "पर बाबू ! माँ के हाथ ..... " "अरे बस करो ना तुम भी । गधे की तरह लाद दोगी क्या ? मेरा बेटा पढ़ने जा रहा है कोई मजदूरी करने नहीं ।" .... उदित ! तू निकाल इन सबको । "पापा रहने दो ना , ममा ने कितने प्यार से बनाया है भैया के लिए ... भैया की पसंद है न ये , क्यों भैया , है न ।" "तू चुप रह चुहिया , तू तो बोलिए भी मत .... साथ चलने वाली थी और पकड़ लिया ये बिस्तर । " अब मेरी हेल्प कौन करेगी ? सॉरी भैया ! मुझे क्या पता था जरा-सी लापरवाही इतना बड़ा रोग लगा देगी ।... ओए सुन हीरो ! आई एम सो हेप्पी , मेरे भाई ने डिस्ट्रिक्ट में नाम कमाया है । अच्छा चल जल्दी कर बेटा ; ये वाली ट्रेन निकल गई तो पूरे चार घंटे इंतजार करना पड़ेगा । सुनो ! ज्योति को आधे घंटे बाद दवाई दे देना । अब हम चलते हैं । किरन बेटे और सूरज को छोड़ने चौखट तक आई । "बाय ममा, बाय दीदी" ख्याल रखना अपना । चारपाई पर लेटे-लेटे ही ज्योति ने भाई को निहारा , हाथ उठाकर "बाय" बोलने की ताकत उसमें नहीं बची थी । जब तक बाप-बेटे आंखों से ओझल नहीं हो गए किरन चौखट के सहारे खड़ी होकर देखती रही ; फिर उसने ज्योति की तरफ देखा । बेटी की आंखों से आंसुओं का झरना फूटता हुआ उसके सूख चुके गालों से होते हुए तकिए को भीगो रहा था । किरन के सब्र का बांध टूट गया । वह निढाल - सी होकर वहीं चौखट के पास बैठ गई और मुँह में साड़ी का पल्लू ठूंस लिया । बेजान आंखों से टप-टप आँसू गिरने लगे । किरन समझ नहीं पा रही थी कि आखिर इस पल को वो क्या नाम दें ... खुशी या ग़म । २३/०७/२०१९ 🌷👰💓💝 ...✍ कमल शर्मा'बेधड़क' 🌷खुशी या ग़म 🌷 "उदित सब सामान रख लिया न बाबू , हरी मिर्च का अचार , घी का डिब्बा.... ओर " "उफ्फ ममा ! बच्चा नहीं हूँ मैं , आईआईटी ट
Samar Shem
जरूर पड़े 👇👇👇👇👇👇👇 #Article_15_my (#रिव्यू) पूरी मूवी एक #सिस्टम को दिखाती है ... एक ऐसा सिस्टम जो बहुत पहले से चला आ रहा है और वह अभी भी उसी
AB
" प्रिय वंदना " :- मात्र वंदना नहीं वह पूर्ण अवस्था हो जो पानी की तरह ढल जाती हो हर सांचे में,.. प्रिय Եяυє ωՕɾԺՏ ( वन्दु - चंदू / तितिया ) सबसे पहले तो माफ़ी दिल से विशेष मैं आपका जन्मदिन भूल गयी, कान पकड़ के, माफ़ी थोड़ी सी व्यवस्ता चल रह