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Indian Kanoon In Hindi
White ट्राइब्यूनल की प्रक्रिया :- * दावा ट्राइब्यूनल को मोटर दुर्घटना से संबंधित केसों पर एकमात्र क्षेत्राधिकार प्राप्त है। * ट्राइब्यूनल निर्णय सुनाते समय यह स्पष्ट करती है कि मुआवजे की राशि कितनी होगी तथा किन लोगों के द्वारा उसका भुगतान किया जायेगा। * ट्राइब्यूनल का क्षेत्राधिकार- जहां दुर्घटना हुई हो। जहां दावेदार रहते हों। जहां बचाव पक्ष रहते हों। * ट्राइब्यूनल को दीवानी अदालत की शक्तियां प्राप्त होती हैं। * ट्राइब्यूनल मुआवजे की राशि पर ब्याज भी लगा सकती है। यह ब्याज दावे की तिथि से लेकर राशि के भुगतान तक के लिए लगाया जा सकता है । * यदि कोई व्यक्ति ट्राइब्यूनल द्वारा निर्धारित मुआवजे की राशि से संतुष्ट नहीं है तो वह ट्रायब्यूनल के निर्णय की तिथि से 90 दिन के भीतर उच्च न्यायालय में अपील कर सकता है, * यदि अपील 90 दिन के बाद की जाती है , उसे बिलंब के संतोषजनक कारण ट्रायब्यूनल को बताने होंगे। * यदि राशि 2,000 रुपए से कम की है तो उच्च न्यायालय अपील को दाखिल नहीं करेगा। * मुआवजे की राशि के लिए ट्राइब्यूनल से एक प्रमाणपत्र लेना होता है जो जिला कलेक्टर को संबोधित करता है । इस प्रमाणपत्र में मुआवजे की राशि अंकित होती है। कलेक्टर मुआवजे की राशि को ठीक उसी तरह इकट्ठा करने का अधिकार रखता है जिस तरह वह जमीन का राजस्व वसूलता है तथा दावेदार को उसके मुआवजे का भुगतान करता है। ©Indian Kanoon In Hindi ट्राइब्यूनल की प्रक्रिया :-
ट्राइब्यूनल की प्रक्रिया :-
read moreSHAILESH TIWARI
White हुस्न क्या है बुलबुला है मुझे तेरी रूह से प्यार है ये कागज़ के ग्रीटिंग कार्ड तो सब देते है मेरे हाथों मे मेरा दिल आज है ... तोड़ना , सहेजना चाहत है, अब तेरी अब दिल जो लग गया लग गया , सो लग गया ©SHAILESH TIWARI # हुस्न क्या है
# हुस्न क्या है
read moreRuhi
White जरुरी है क्या हर सफ़र पे चलना। सिर्फ़ एक रास्ता काफ़ी नही क्या।। कभी कभी बेमौसम बरसात भी होता है। हर मौसम का रंगीन होना ज़रूरी है क्या।। कभी दूरियों में भी प्यार दिखाया करो। हर बार मिल कर बताना ज़रूरी है क्या।। कभी आंखों में आंसू होना भी सही है। हर दिन मुस्कुराता जाए ये जरुरी है क्या।। कुछ ख्वाबों का अधूरा रहना भी सही है। हर सपनों का पूरा होना ज़रूरी है क्या।। फरिश्ता बन कर हज़ार ख़्वाब दिखाकर। झूठे वादे करना ज़रूरी है क्या।। रिश्तेदारी तो सब जानते हैं। ये बताओ सबको अपना कहना जरुरी है क्या।। बरसों पहले जो आइना टूटा था। आज वापस जुड़ने लगे तो मुश्किल है क्या।। तुमने तो मोहब्बत का अंजाम देखा है। ये बताओ दोबारा इश्क़ करना सही है क्या।। ©Ruhi ज़रूरी है क्या ?? #Thinking
ज़रूरी है क्या ?? #Thinking
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White न्यायिक मजिस्ट्रेटों के न्यायालय :- * प्रत्येक जिले में (एक महानगरीय क्षेत्र नहीं), प्रथम श्रेणी और द्वितीय श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेटों के कई न्यायालयों की स्थापना की जाएगी, और ऐसी जगहों पर, जैसा कि राज्य सरकार, उच्च न्यायालय से परामर्श के बाद हो सकता है अधिसूचना, निर्दिष्ट करें: * बशर्ते कि राज्य सरकार, किसी भी स्थानीय क्षेत्र के लिए उच्च न्यायालय से परामर्श करने के बाद, प्रथम श्रेणी या द्वितीय श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट के एक या एक से अधिक विशेष न्यायालयों को किसी विशेष मामले या विशेष श्रेणी के मामलों की जांच करने के लिए, और जहां किसी भी विशेष न्यायालय की स्थापना की जाती है, स्थानीय क्षेत्र के किसी भी अन्य न्यायाधिकरण के पास न्याय के मामले में किसी मामले या वर्ग के मामलों का परीक्षण करने के लिए न्यायिक अधिकार होगा, जिसकी न्यायिक दंडाधिकारी की विशेष अदालत की स्थापना की गई है। * उच्च न्यायालयों द्वारा ऐसे न्यायालयों के अध्यक्ष पद का नियुक्त किया जाएगा। * उच्च न्यायालय, जब भी इसे समीचीन या जरूरी समझने के लिए प्रतीत होता है, राज्य के न्यायिक सेवा के किसी भी सदस्य के प्रथम श्रेणी या द्वितीय श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट की शक्तियों को सिविल कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में कार्य कर रहा है। ©Indian Kanoon In Hindi न्यायिक मजिस्ट्रेटों के न्यायालय :-
न्यायिक मजिस्ट्रेटों के न्यायालय :-
read moreशुभम द्विवेदी
जीना क्या है? कल किसी दार्शनिक की भांति एक मित्र ने जिज्ञासा जाहिर की मैं असमंजस में पड़ गया क्या जवाब दूँ सहसा मेरे अंतर्मन से जवाब आया कि नफरतों की बाज़ार में मोहब्बत की दुकान हो कोई निर्धन या धनवान हो पूरे सभी के अरमान हों बूढा या जवान हो राजा या प्रजा हो सबका का अपना झोपडी या मकाँ हो। साक्षर हो या निरक्षर विरोधी हो या पक्षधर बराबर सम्मान हो ख़ुद पे न गुमान हो। अंत में मैंने कहा यही तो जिंदगी है अहा!अहा!अहा! वह बोला वाह!!! ©शुभम द्विवेदी #rayofhopeजीना क्या है
#rayofhopeजीना क्या है
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White ट्राइब्यूनल की प्रक्रिया :- * दावा ट्राइब्यूनल को मोटर दुर्घटना से संबंधित केसों पर एकमात्र क्षेत्राधिकार प्राप्त है। * ट्राइब्यूनल निर्णय सुनाते समय यह स्पष्ट करती है कि मुआवजे की राशि कितनी होगी तथा किन लोगों के द्वारा उसका भुगतान किया जायेगा। * ट्राइब्यूनल का क्षेत्राधिकार- जहां दुर्घटना हुई हो। जहां दावेदार रहते हों। जहां बचाव पक्ष रहते हों। * ट्राइब्यूनल को दीवानी अदालत की शक्तियां प्राप्त होती हैं। * ट्राइब्यूनल मुआवजे की राशि पर ब्याज भी लगा सकती है। यह ब्याज दावे की तिथि से लेकर राशि के भुगतान तक के लिए लगाया जा सकता है । * यदि कोई व्यक्ति ट्राइब्यूनल द्वारा निर्धारित मुआवजे की राशि से संतुष्ट नहीं है तो वह ट्रायब्यूनल के निर्णय की तिथि से 90 दिन के भीतर उच्च न्यायालय में अपील कर सकता है, * यदि अपील 90 दिन के बाद की जाती है , उसे बिलंब के संतोषजनक कारण ट्रायब्यूनल को बताने होंगे। * यदि राशि 2,000 रुपए से कम की है तो उच्च न्यायालय अपील को दाखिल नहीं करेगा। * मुआवजे की राशि के लिए ट्राइब्यूनल से एक प्रमाणपत्र लेना होता है जो जिला कलेक्टर को संबोधित करता है । इस प्रमाणपत्र में मुआवजे की राशि अंकित होती है। कलेक्टर मुआवजे की राशि को ठीक उसी तरह इकट्ठा करने का अधिकार रखता है जिस तरह वह जमीन का राजस्व वसूलता है तथा दावेदार को उसके मुआवजे का भुगतान करता है। ©Indian Kanoon In Hindi ट्राइब्यूनल की प्रक्रिया :-
ट्राइब्यूनल की प्रक्रिया :-
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न्यायिक मजिस्ट्रेटों के न्यायालय :- * प्रत्येक जिले में (एक महानगरीय क्षेत्र नहीं), प्रथम श्रेणी और द्वितीय श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेटों के कई न्यायालयों की स्थापना की जाएगी, और ऐसी जगहों पर, जैसा कि राज्य सरकार, उच्च न्यायालय से परामर्श के बाद हो सकता है अधिसूचना, निर्दिष्ट करें: * बशर्ते कि राज्य सरकार, किसी भी स्थानीय क्षेत्र के लिए उच्च न्यायालय से परामर्श करने के बाद, प्रथम श्रेणी या द्वितीय श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट के एक या एक से अधिक विशेष न्यायालयों को किसी विशेष मामले या विशेष श्रेणी के मामलों की जांच करने के लिए, और जहां किसी भी विशेष न्यायालय की स्थापना की जाती है, स्थानीय क्षेत्र के किसी भी अन्य न्यायाधिकरण के पास न्याय के मामले में किसी मामले या वर्ग के मामलों का परीक्षण करने के लिए न्यायिक अधिकार होगा, जिसकी न्यायिक दंडाधिकारी की विशेष अदालत की स्थापना की गई है। * उच्च न्यायालयों द्वारा ऐसे न्यायालयों के अध्यक्ष पद का नियुक्त किया जाएगा। * उच्च न्यायालय, जब भी इसे समीचीन या जरूरी समझने के लिए प्रतीत होता है, राज्य के न्यायिक सेवा के किसी भी सदस्य के प्रथम श्रेणी या द्वितीय श्रेणी के न्यायिक मजिस्ट्रेट की शक्तियों को सिविल कोर्ट में न्यायाधीश के रूप में कार्य कर रहा है। ©Indian Kanoon In Hindi न्यायिक मजिस्ट्रेटों के न्यायालय
न्यायिक मजिस्ट्रेटों के न्यायालय
read moreहिमांशु Kulshreshtha
नहीं जानता क्या रिश्ता है मेरी रूह से तुम्हारी रूह का जो भी है ये, मगर खूब है ये अधूरा सा रिश्ता हमारा तन के रिश्ते, ना थे पहचान कभी मेरे इश्क की…. रूहों के मिलन से से होगा नायाब ये अधूरा सा रिश्ता हमारा ©हिमांशु Kulshreshtha क्या रिश्ता है..
क्या रिश्ता है..
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