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Aavran
तू क्यूँ घबराया और व्याकुल सा रण छोड़ भागने मे है आकुल सा मैं ही परम सत्य, मै ही हूं झूंठ मैं ही हूं चरणामृत में, हूं मैं जूंठ ऊपर उठा दृष्टि, अंबर भी हूं मै हर गोचर सा आडम्बर हूं मै मुझसे से है रीति और रति मैं हूं नश्वर और हूं श्वास गति नभ सा हूं व्यापक, हूं कंकण मैं सहस्र सदी सा और हूं क्षण मैं मोह सा मादक, क्रोध की ज्वाला हूं मैं ही हूं भूख तेरी, और निवाला हूं कुछ और समझ न आये तो सुन मैं ही हूं ब्रम्हांड, मैं ही तो ग्वाला हूं तुम हरो भले न प्राण किसी के पर मैं न मोह में आने वाला हूं है अधर्म जहां, सदा रहा वो रण मेरा मैं ही उसका निर्णायक हूं ऊठा धनुष, चढा प्रत्यंचा,भेद न कर मैं ही हूं पापी जग में और पुण्य सदा ऐ पार्थ, तू धर्म ध्वजा का वाहक बन होगा श्रापित इसमें कुल मेरा है अधर्म जहां, सदा रहेगा रण मेरा।। ©Aavran #Krishna bhakti Kalki Hinduism #aavran #life #lifeisbeautiful #lifequotes #Krishna-Arjun #dharma
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दिखता शून्य, समर में भरा हुआ अवचेतन है मन, कुछ डरा हुआ किससे युद्ध करूं मै पार्थ तुम सुलझाओ, मन का स्वार्थ। रणभेरी जो हमने आज उकेरी कल अपने ही मिटते होंगे बहेंगे अश्रु और होगी लाशों की ढेरी। धनुष धर्म की ओर उठा है है नजर तो, फिर भी अपनों ने ही फेरी। लहू बहेगा, श्वेत वस्त्र का होगा मातम क्रंदन मय होगी हर रात घनेरी। मुक्त करो, है अर्ज दास की पाप प्रलय सा हर पन्नों मे होगा सर्वस्व नाश में होगी न देरी। Contd....... ©Aavran Krishna and Arjun Samvad #Krishna Hinduism #आवरण #जिंदगी #इनदिनों #मोहब्बत #Love #life #lifeisbeautiful
Avinash Jha
कुरुक्षेत्र की धरा पर, रण का उन्माद था, दोनों ओर खड़े, अपनों का संवाद था। धनुष उठाए वीर अर्जुन, किंतु व्याकुल मन, सामने खड़ा कुल-परिवार, और प्रियजन। व्यूह में थे गुरु द्रोण, आशीष जिनसे पाया, भीष्म पितामह खड़े, जिन्होंने धर्म सिखाया। मातुल शकुनि, सखा दुर्योधन का दंभ, किंतु कौरवों के संग, सत्य का कहाँ था पंथ? पांडवों के साथ थे, धर्म का साथ निभाना, पर अपनों को हानि पहुँचा, क्या धर्म कहलाना? जिनसे बचपन के सुखद क्षण बिताए, आज उन्हीं पर बाण चलाने को उठाए। "हे कृष्ण! यह कैसी विकट घड़ी आई, जब अपनों को मारने की आज्ञा मुझे दिलाई। क्या सत्य-असत्य का भेद इतना गहरा, जो मुझे अपनों का ही रक्त बहाए कह रहा?" अर्जुन के मन में यह विषाद का सवाल, धर्म और कर्तव्य का बना था जंजाल। कृष्ण मुस्काए, बोले प्रेम और करुणा से, "जो सत्य का संग दे, वही विजय का आस है। हे पार्थ, कर्म करो, न फल की सोच रखो, धर्म की रेखा पर, अपना मनोबल सखो। यह युद्ध नहीं, यह धर्म का निर्णय है, तुम्हारा उद्देश्य बस सत्य का उद्गम है। ©Avinash Jha #संशय #Mythology #aeastheticthoughtes #Mahabharat #gita #Krishna #arjun
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read moreSavitri Parveen Kumar
White राधा का मन..............काश मैं भी मुरली बन जाती कान्हा के अधरों से लगती धन्य भाग्य मेरे हो जाते किस्मत मेरी खूब संवरती ....... ©Savitri Parveen Kumar #Krishna
I am MiraJ
बेवजह खुश रहिए, वजह बहुत महंगी है…! ©I am MiraJ #Life #Reality #Fact #Nojoto #Thoughts Arjun Rawat पार्थ Sh@kila Niy@z Sangeet... Sethi Ji KRISHNA life quotes in hindi