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Bandhu Sahni
दोस्तों नमस्कार मैं हूं एक भारतीय नागरिक और मैं आप सभी दोस्तों को सभी मित्रों को भारत के सभी नागरिकों को अपने दिल से हार्दिक अभिनंदन करता हूं। ©Bandhu Sahni मानवीय सरोकार
"Vibharshi" Ranjesh Singh
हर बदलाव का आंकलन करता हूं कौन कब बदला है उसकी भी खबर रखता हूं वैसे तो चेहरे सब मासुम लगते हैं इसलिए सबके इरादों पे नज़र रखता हूं रसायन शास्त्र के विपरीत, यहां लोगों के समीकरण कभी भी बदल सकते है इसलिए किसी को अपना बनाने से पहले थोड़ी सी सब्र रखता हूं #NojotoQuote मानवीय प्रतिक्रिया
Bhanu Pratap
सभी व्यक्तियों को सजा से डर लगता है, सभी मौत से डरते हैं, बाकी लोगों को भी अपने जैसा ही समझिए, खुद किसी जीव को ना मारें और दूसरों को भी ऐसा करने से मना करें। मानवीय रहें
SHAYARA BANO
नफरत से भरी मेरी निगाहें, और नफरत पर ही फिदा हूं मैं। आंसू बहा रही इंसानियत कितना बेरहम ,बेहया हूं मैं। प्रकृति से लड़कर खुद के लिए इजाद कर ली आराम की चीज़ें, अनेक जानें ली, प्रकृति को रौंदा कितना वहशी ,दरिंदा हूं मै। जिससे है मेरा वजूद उसी से जुदा हूं मैं। 05/04/2023 ©SHAYARA BANO #मानवीय क्रूरता
नंदन.
कर्म प्रधान विश्व रचि राखा । जो जस करहि सो तस फल चाखा ॥ वर्तमान समय में उक्त पंक्ति का गलत व्याख्या किया गया है, या यूं कहूं की इसकी आधी व्याख्या की गई है। कर्म करने से परिणाम की प्राप्ति होती है वह परिणाम कर्म की दिशा और दशा सुनिश्चित करती है, अर्थात कर्म के गर्भ से सिद्धांत की उत्पत्ति होती है। जिससे कर्म की और अधिक संगठनात्मक और संरचनात्मक विकास हो पाती है। परंतु आज कर्म की प्रधानता के आढ़ में सिद्धांतों की महत्ता को धूमिल किया जा रहा है। यही हमारी मानव सभ्यता के अवनति की प्रथम सीढ़ी सिद्ध होती है। . नंदन ©M.N.Sahitya Sangh,Katihar Mn75 #मानवीय #विचार #हिन्दीदिवस
NEERAJ SIINGH
इंस्टाग्राम वाली या फेसबुक वाली बेरोजगार और धीरे धीरे अपना मानसिक संतुलन खोती देश की भीड़ आज देश की सबसे बड़ी समस्या है जिसका प्रभाव हर चीज पर पड़ रहा है जो की किसी भयावह मानवीय आपदा से कम नहीं है #neerajwrites भयावह मानवीय आपदा
Pushpendra Pankaj
मानवीय जीवन-धारा आज मानवीय जीवन-धारा,समुन्दर सा खारा पानी है , अपनी धुन मे मस्त बावरी ,बेसुध और अभिमानी है । सत्संग,प्रवचन,विचार-गोष्ठियाँ,इसके लिए बेमानी हैं, इसका मूल स्वभाव लालची,कहने को महादानी है ।। पुष्पेन्द्र "पंकज" ©Pushpendra Pankaj #samandar मानवीय जीवन-धारा
Divesh
प्रेम जैसी सहज भावना शहर के यांत्रिक जीवन में आकर सरसता खो बैठती है और उपयोगितावादी उद्देश्यो को प्राप्त करने का सफल प्रयास करती है। ©Divesh मानवीय संवेदनाओं का वस्तुकरण