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Writer Abhishek Anand 96
कृष्ण की चेतावनी / रामधारी सिंह "दिनकर" रामधारी सिंह "दिनकर" » वर्षों तक वन में घूम-घूम, बाधा-विघ्नों को चूम-चूम, सह धूप-घाम, पानी-पत्थर, पांडव आये कुछ और निखर। सौभाग्य न सब दिन सोता है, देखें, आगे क्या होता है। मैत्री की राह बताने को, सबको सुमार्ग पर लाने को, दुर्योधन को समझाने को, भीषण विध्वंस बचाने को, भगवान् हस्तिनापुर आये, पांडव का संदेशा लाये। ‘दो न्याय अगर तो आधा दो, पर, इसमें भी यदि बाधा हो, तो दे दो केवल पाँच ग्राम, रक्खो अपनी धरती तमाम। हम वहीं खुशी से खायेंगे, परिजन पर असि न उठायेंगे! ©wrïtêr ãbhïßhêk æñæñd पार्ट 1 #SunSet
santosh bhatt sonu
कहना था कुछ, मगर बोलूं क्या…. एक राज दबा है होंठो तले अभी खोलूं क्या…. क्या तुम तैयार हो सुनने को मेरी दिल की ये आवाज क्या तुम चाहते हो की मैं बना लूँ तुम्हे हमराज। ….उफ्फ ये इशारे, ऐसा मत करो ना इशारों में बात करना मेरे वश् की बात नही है। थोड़ी थोड़ी करके करेंगे दोस्ती ये कोई आखिरी मुलाकात नही है। थोड़ा धीर रखो, मैं तुम्हारा ही हूँ मन जुड़ गया यही कहीं जो अब भागकर नही जाने वाला है कम कम खेलो नजरो से मेरे चुरा ना लेना दिल, बड़े नाज से इसे पाला है। हमराज पार्ट-1
Writer Abhishek Anand 96
पार्ट 1 इतिहास पे परी धुल है जिस वीर की आओ मैं तुम्हे सुनाऊँ कहानी उस दानवीर की, गंगा में बहा जननी ने छोड़ा उनका साथ राधेय ने रख सर पे आँचल दिया उसे माँ का भरपूर प्यार क्षत्रिय होते हुऐ भी मिला सुत कुल में स्थान शायद था विधी का यही विधान । जन्म से ही हो दुर्भाग्य भला उसे कौन जग में हरा पाएगा ना राज पाठ का लोभ था ना सत्ता सुख था चाहिए उसे बस उनका था शिकायत एक हीं छोड़ जात पात मिले सबको सम्मान एक समान लेकिन था ये मंजूर कहाँ गुरु द्रोंन को शिक्षा के ललक लिये गया वो द्रोंन के पास वहां भी नही छोड़ा उनका साथ भाग्य वहां , गुरु द्रोंन ने सबसे पहले बोलो वस्त्र नही है ©a æbhîßhêk ßïñgh पार्ट 1 #SunSet
Safeer Khan
बड़ा समंदर बनकर मैं खारा हो जाऊं, तो फिर मैं छोटी मीठे पानी की झील ही रह जाऊं। गर मैं भूल जाऊं दवाइयां माँ की, और याद न रहें गहराइयाँ जो कभी किसी ने अपनी जो हमें बयां की। हर रोज़ जो मैं अपने वक़्त में से , वक़्त अपनो को न दे पाऊं । सब याद रखूं दुनियादारी, और खुद कौन हूँ, बस यही भूल जाऊं। तो इससे अच्छा है मैं झील ही रह जाऊं। झील पार्ट 1