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Sushant Kumar Singh
तुम्हारे खुश होने के अंदाज से लगता है, कुछ टुटा है बड़ी खामोशी से तेरे अन्दर.. 🖋️🖋️🖋️सुशान्त सिंह तुम्हारे खुश होने के अंदाज से लगता है, कुछ टुटा है बड़ी खामोशी से तेरे अन्दर.. #बातें #स्टेटस #प्यार #इंतेज़ार #यादें #तन्हाई #nojoto #tiktok
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नेहा उदय भान गुप्ता
दादा दादी पढ़े अख़बार, बन ठन कर पोता चलाता हैं लैपटॉप। कुछ ऐसा ही हैं आज की पीढ़ी में, अपना यें जनरेशन गैप।। नहीं समझते आज के नासमझ बच्चें, बड़े बूढ़ों की प्यारी सीख। यूट्यूब गूगल क्रोम से लेते हैं, अपनी नेह शिक्षा अपनी सीख।। नई पीढ़ी के बच्चों को कौन बताएं, रेडियो, अखबार और टेलीविजन की बातें। फेसबुक, इंसटा व वॉट्सएप पर ही, राग वो अपना हैं गातें।। दादा दादी, नाना नानी सब की कहानी हुई अब बहुत पुरानी। एक था राजा एक थी रानी, की भी रह गई अपनी अधूरी कहानी।। अपनों के संग बैठें हुए, बीत गई ना जानें कितनी सदियां। हम दो हमारे दो के चक्कर में, सुनी रह गई अपनी बगियां।। बड़े बूढ़ों के संग अब, नहीं बताते अपनें दर्द और गम सारे। हल्की सी चोट और बुखार पर, लगा देते हैं यें स्टेटस प्यारे।। पीढ़ी दर पीढ़ी के साथ ही, लुप्त हो गए अब संस्कार हमारे। नया जोश नया ख़ून इनका, नहीं सीखतें बड़े बूढ़ों के अनुभव सारे।। आधुनिकता के साथ ही, ले आएं संस्कारों में भी जनरेशन गैप। कौन बताएं कौन समझाए, अपनों की कमी को नहीं पूरा करेगा रैप।। दादा दादी पढ़े अख़बार, बन ठन कर पोता चलाता हैं लैपटॉप। कुछ ऐसा ही हैं आज की पीढ़ी में, अपना यें जनरेशन गैप।। नहीं समझते आज के नासमझ बच्चें,
नेहा उदय भान गुप्ता😍🏹
दादा दादी पढ़े अख़बार, बन ठन कर पोता चलाता हैं लैपटॉप। कुछ ऐसा ही हैं आज की पीढ़ी में, अपना यें जनरेशन गैप।। नहीं समझते आज के नासमझ बच्चें, बड़े बूढ़ों की प्यारी सीख। यूट्यूब गूगल क्रोम से लेते हैं, अपनी नेह शिक्षा अपनी सीख।। नई पीढ़ी के बच्चों को कौन बताएं, रेडियो, अखबार और टेलीविजन की बातें। फेसबुक, इंसटा व वॉट्सएप पर ही, राग वो अपना हैं गातें।। दादा दादी, नाना नानी सब की कहानी हुई अब बहुत पुरानी। एक था राजा एक थी रानी, की भी रह गई अपनी अधूरी कहानी।। अपनों के संग बैठें हुए, बीत गई ना जानें कितनी सदियां। हम दो हमारे दो के चक्कर में, सुनी रह गई अपनी बगियां।। बड़े बूढ़ों के संग अब, नहीं बताते अपनें दर्द और गम सारे। हल्की सी चोट और बुखार पर, लगा देते हैं यें स्टेटस प्यारे।। पीढ़ी दर पीढ़ी के साथ ही, लुप्त हो गए अब संस्कार हमारे। नया जोश नया ख़ून इनका, नहीं सीखतें बड़े बूढ़ों के अनुभव सारे।। आधुनिकता के साथ ही, ले आएं संस्कारों में भी जनरेशन गैप। कौन बताएं कौन समझाए, अपनों की कमी को नहीं पूरा करेगा रैप।। दादा दादी पढ़े अख़बार, बन ठन कर पोता चलाता हैं लैपटॉप। कुछ ऐसा ही हैं आज की पीढ़ी में, अपना यें जनरेशन गैप।। नहीं समझते आज के नासमझ बच्चें,