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Amit Seth
Shaarang Deepak
Shaarang Deepak
Shailendra Anand
White रचना दिनांक 7,,,,,4,,,,2024 वार,,, रविवार समयकाल,,,सुबह पांच बजे ््््छाया चित्र में भावचित्र खिंचती हुई घटनाओं से अवगत नवयुगल दम्पत्ति आकृति चिन्हित दिलों में जगह दिल और दिमाग और देश प्रेम है््््् ्््देश दिल दिमाग दिवाना जूनून जोश और उत्साह में आकर सब कुछ है,, है वो वन्दना है या इतिहास में देखने वाले आत्ममंथन करना ही जिंदगी है्््् ््््जो मैं जिंदगी का आयना नजरिया बदल रहे परिवेश परिवर्तन अपने आप में एक क़ान्तिकारी कदम साबित हो रहे है ्् जो विनाश काले विपरीत बुद्धि साबित हो सकते है ,, क्योंकि मन में भय खौफ दहशत का बोलबाला है,,।। चाहे जो भी हो सकता है,, लेकिन तंत्र लोकतंत्र की रक्षा में नींव की तरह संघर्ष जरुरी है,।। आज चेहरे पर और नीतियों पर सवाल कटाक्ष कथन सच्चाई से असल मुद्दे से कोसों दूर भागते नजर आ रहे है,, आज कितने ही मतदाता जागरूकता अभियान संवाद से और हकीकत से दिग्भ्रमित है ,, र और आधारहीन जनसंवाद तर्कसंगत अभिव्यक्ति अनुवाद अन्तर्मन केपरिद़ष्य से दूर है।। आज जनचेतना अभियान में भारतीय नागरिक वोट मुल्याकन में आगे बढ़ो बुद्धिजीवियों में मानवता और इंसानियत और भारत प्रजातांत्रिक व्यवस्था और संविधान की रक्षा संस्कृति को सुरक्षा प्रदान करना ही आज की स्वतंत्रता की दुसरी लड़ाई का शंखनाद हो चुका है।। यही आम नागरिक की आजादी का एक स्वतंत्रता संग़ाम का रणभूमि आजादी है अभिमत की रक्षा करना ही जिंदगी है।। ््््््् ्््््कवि शैलेंद्र आनंद ्््् 7,,,,,, अप्रैल,,,,2024,,,,,, अब जागो भारत जागो भारतियों जागो देश को आगे बढ़ाया जाना ही असली आज़ादी है।। ©Shailendra Anand #Couple देश और समाज दिल की आवाज सुनकर देश में अवाम में खुशहाली लाना ही असली आज़ादी है ्््निजधिचार मतदाता जागरूकता अभियान कवि शैलेंद्र आनंद ्
Sangeeta Kalbhor
श्वासांचा श्वासांना पडता विळखा.. कोणी सांगितले तुला मला काही वाटत नाही मन पेटलेले असल्यावर तन मुळी पेटत नाही हवा असतो मला नित्य सोहळा तनामनाचा थरार अनुभवायचा असतो प्रत्येक क्षणाचा लपेटून घ्यायचे असते तुला उबदार श्वासात नको असतो थोडाही दुरावा प्रणयी सुवासात विळख्यात तुझ्या अखंड डुंबून माळावा सुगंध भिडता नजरेला नजर यौवनाचा भलताच गंध कडाडावी शलाका रे तुझ्या हळुवार स्पर्शाने मी माळावा अवघा वसंत किती किती हर्षाने श्वासांचा श्वासांना पडता विळखा मंत्रमुग्ध व्हावे मला जे जे सांगायचेय ते न सांगता तुला कळावे सरसावून यावास तू मला घेण्या मिठीत सखया सामावता तुझ्या बाहूत क्षणही नको जावा वाया...... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor श्वासांचा श्वासांना पडता विळखा.. कोणी सांगितले तुला मला काही वाटत नाही मन पेटलेले असल्यावर तन मुळी पेटत नाही हवा असतो मला नित्य सोहळा तनाम
Dk Patil
Dhanraj Gamare
cjcjffjfjfjfjfjpfjfjfkgkfgfkfkfk ©Dhanraj Gamare जागतिक महिला दिनाच्या निमित्ताने गझल काव्य संध्या व बुककट्टा टीम ( पिंपरी चिंचवड) यांच्या संयुक्त विद्यमाने आयोजित दुसरे कवी संमेलन २०२४