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DR. LAVKESH GANDHI
भूत पुराने खंडहरों में से आती एक अजीब डरावनी आवाज दिल काँप उठता सुन कर डरावनी भयानक आवाज #भूत# #भूतनियों_की_बाढ़ # #yqbaba #yqdidi #yqquotes
Diwan G
मैं भूतों को भी जीने का हक देता, ताकि मरके भी आदमी जीता रहे। ( मौत का खौफ खत्म हो जाता, हर किसी को आनंद आता। ) भूतेंसान #भगवान #भूत #इंसान #मौत #जिंदगी #आनंदहीआनंद
Parul Sharma
भूतकाल गया भूतपूर्व बना और फिर कभी लौट के ना आया पर इस भूत ने भूत बनकर सबको खूब डराया खूब रुलाया पारुल शर्मा #भूतकाल गया #भूतपूर्व बना और फिर कभी लौट के ना आया पर इस भूत ने #भूत बनकर सबको खूब डराया खूब #रुलाया पारुल शर्मा
Jairam Dhongade
भूतदया झाड कोणते? कुठली फांदी? जिथे बांधले घरटे! नीट ओळखे, खुप स्वछंदी, कसे पाखरा कळते? गाव कोणते? कुठला वार्ड? घराला नाव असते! मला कळेना, माणसाला हे, जरुरीचे का भासते? गोठ्यात बांधली, दुभती कैक गुरे, विलग वासरे! कसे नेमके? ओढते पान्हा, कसे आईला जाणते? पशु पाखरे, चरती रानी, हवे तेच ते कसे खाते? काय खायचे? काय विषारी? कसे नेमके कळते? देव आगळा, विश्व निर्मिले, निरनिराळे जीव ते! सोड माणसा! हाव आगळी, भूतदया खुणावते!! ® जयराम धोंगडे, नांदेड (९४२२५५३३६९) ©Jairam Dhongade #भूतदया
मेरे ख़यालात.. (Jai Pathak)
अतीत का भय ही भविष्य को प्रेत बनकर निगल लेता है। इसलिए सावधान रहें और सतर्क रहें 😄😄 ©Jai Pathak #भूतप्रेत
Parasram Arora
भूतकालिक स्मृतिया रास्ता रोके ख़डी हैँ सामबे औऱ तुम मुझे सिखा रहे हो किसी नए लोक की संस्कृति सम्भव लगता नहीं कि मैं बदल पाऊँगा अपनी पारम्परिक अभिव्यक्तीया ऱस नहीं हैँ अब मेरा किसी नई यात्रा में मैं भी पहुंच जाऊंगा कही न कही यही बैठे बैठे जैसे सभी लोग कही न कही पहुंच ही रहे है........ भूतकालिक स्मृतिया
Tarakeshwar Dubey
भूतहा घर '''''''''''''''''''''''''''' लंबे अरसे से, खाली पड़ा है, मानव रहित, कहलाता "भूतहा घर"। दोपहर, सांझ ढले, वहां जाने में, लगता है बड़ा डर। पड़ोसी बच्चों को सुनाते, प्रेतों की भयभीत कहानी। ताकि भूलवश वहां न जाएं, कर के कोई बचकानी। किसी डायन ने मार वहां, सात भूतों को रखा है। उन सातों ने मिल कर, ना जाने कितने बच्चे जना है। तब से वह घर खाली, हो गया है खंडहर। ना दरवाजे, ना खिड़कियां, ऊग आए है लंबे घने वृक्ष, झूमते आठो प्रहर। असंख्य विहगों ने, निर्मित कर लिया है, अपने घोसले वहां। संध्या बेला में, सुनाई देता है वहां, मधुर कलरव। सांझ ढले, सुनाई देती हैं, झिंगुरों की गुंजन। टहनियों पर चमगादड़, उल्टे लटके हुए, दूर से ही, दृष्टिगोचर होते हैं। बारिश आते ही, मेढकों की, टर्र टर्र सुनाई देती है। सभी महफूज है वहां, नीरव में, अभय, उत्पीड़न रहित, मानव रहित, भूतहा घर में। ©Tarakeshwar Dubey भूतहा घर #WatchingSunset