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कवि राहुल पाल 🔵
Sonu Goyal
Krishnadasi Sanatani
शुभ और निशुभ, दो असुर भाइयों ने कड़ी तपस्या करके ब्रह्मा से एक वरदान प्राप्त किया कि कोई भी मनुष्य उन्हें नष्ट नहीं कर पाए। फिर उन दोनो ने सभी लोकों पर शासन करने के लिए इंद्र और देवों को हरा दिया। देवों ने मदद के लिए शिव से प्रार्थना की, जिन्होंने उन्हें पार्वती की सहायता लेने की सलाह दी। तब पार्वती ने असुरों से लड़ने के लिए दुर्गा का रूप धारण किया। युद्ध के मैदान में, असुरों ने सबसे पहले चण्ड और मुण्ड को देवी से लड़ने के लिए भेजा। दुर्गा ने तब काली (या कालरात्रि) का रूप धारण किया और चण्ड और मुण्ड को आसानी से हरा दिया इसलिए उन्हें चामुंडा नाम दिया गया। फिर, काली को मारने के लिए रक्तबीज नामक एक अन्य असुर को भेजा गया। उसे अपने खून की एक-एक बूंद के साथ तुरंत खुद का एक और रूप बनाने का वरदान प्राप्त था। उसे हराने के लिए, काली ने फिर अपनी जीभ को पूरे युद्धभूमि में इस तरह फैला दिया कि रक्तबीज के खून की एक बूंद भी जमीन पर ना गिरे। दुर्गा ने रक्तबीज पर हमला किया और काली ने उसके खून की एक भी बूंद जमीन पर गिरने नही दी। और इस तरह रक्तबीज की मृत्यु हुई। इसके बाद, शुभ और निशुभ को भी देवी ने मार गिराया। ©Krishnadasi Sambhavi शुभ और निशुभ, दो असुर भाइयों ने कड़ी तपस्या करके ब्रह्मा से एक वरदान प्राप्त किया कि कोई भी मनुष्य उन्हें नष्ट नहीं कर पाए। फिर उन दोनो ने स
दामिनी नारायण सिंह Quotes
KP EDUCATION HD
KP NEWS for the same for me to get the same for me ©कंवरपाल प्रजापति टेलर पूजा का समापन आरती के बगैर नहीं माना जाता है। वहीं, कल मंगलवार का दिन हनुमान जी का दिन माना जाता है। मंगलवार के दिन हनुमान जी की विशेष रूप स
Bheem Bheemshankar
घर की जिम्मेदारियों का इतना बोझ है घर छोड़ना पड़ता है । अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए घर से मूख मोडना पडता है ।। मंजील इतना आसान नहीं है मेरे दोस्त माता पिता के खुशियों के लिए अपना घर छोड़ना पड़ता है मेरे दोस्त । ©Bheem Bheemshankar मेरा असुर क्या है
Sonam kuril
जाने कैसे मार देते है इंसान ,इंसान को , क्या कांपते नही हाथ जब उठाते है हथियार वो , क्या हृदय कुंठित नहीं होता उनका , जाने कैसे उठा लेते है कटार वो , जाने कैसे नजर मिला पाते है वो खुद से , जाने कैसे छाती थोक गरजते है , व्यथित नहीं होता हृदय उनका , जाने कैसे खुद को कहते है इंसान वो , ये कैसी झूठी शान में जीते है , जो औरों को पैरों की धूल समझते है , क्या आत्मग्लानि नहीं होती इनको , जो लेलेते है किसी के भी प्राण वो , क्या आभास नहीं उन्हें उस पीड़ा का, या फिर है मृतक समान वो , क्या मानवता मर गयी है उनकी , या खुद को समझते है भगवान वो , हाड़, मॉस के पुतले होकर भी , इतना कुरूप रूप दिखाते है, जाने कैसी असुर प्रवत्ति इनकी , स्वयं को श्रेष्ठ बताते है , जाने ये कैसी विडंबना ईश्वर की , इतने कुकर्मों के पश्चात भी , इतना अहंकार जताते है , इंसान को इंसान न समझे , ये स्वयं ही यमराज बन जाते है | इंसान रूपी असुर