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BANDHETIYA OFFICIAL

#Thinking #शाम ! लव शायरियां लव सैड शायरी लव शायरी लव शायरी लव कोट्स Shiya Tyagi –Varsha Shukla gudiya Milly dinesh Rathore

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White जो सुबह में है,
वो शाम में होना चाहिए।
लाल सूरज, लम्बी परछाईं,
फिर भूला,भूला न कहाए इसलिए।

©BANDHETIYA OFFICIAL #Thinking #शाम ! लव शायरियां लव सैड शायरी लव शायरी लव शायरी लव कोट्स Shiya Tyagi   –Varsha Shukla  gudiya  Milly  dinesh Rathore

Deependra Dubey

#Thinking शायरी शायरी शायरी

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White हमें राहों में उनकी तलाश थी
जो हमारी राहों में
कांटो की जगह फूल बिछा सके।
ज़िन्दगी को उन्हीं राहों में
खुशी से चला सके।
ज़िंदगी उनसे कुछ नहीं मांगती
बस ज़िंदगी का दो पल,
 ख़ुशी बिता सके।

©Deependra Dubey #Thinking शायरी शायरी शायरी

BANDHETIYA OFFICIAL

a-person-standing-on-a-beach-at-sunset वक्त -ए-शाम ढल ही गया,
लेके जाम ढल ही गया।
ढल भी जाए आई रात,
अंधेरे गम जज्बात ,
हो लहजे -आम ढल ही गया।
खाली हो जाता  मैखाना भी,
टूट यहां जाता पैमाना भी,
क्या इंतजाम ,ढल ही गया !

©BANDHETIYA OFFICIAL #SunSet #शाम

Sangam Pipe Line Wala

शायरी attitude शेरो शायरी शायरी लव शायरी दोस्ती शायरी

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अनुजा तुझे मेरी उम्र लग जाए 
देखे जो तू सपने वो सच हो जाए 
रब ना करे तेरी जिंदगी में ग़म आए 
तू खुशियों में खेलती रहे हरपल सदा 
तेरे जन्मदिन पर चाँद तारे जमींपर आए 
दुआ करता रहूँगा जबतक मेरी सांस चले 
तेरा मेरा है जो भी रिश्ता मुक्कुमल हो जाए...

©Sangam Pipe Line Wala  शायरी attitude शेरो शायरी शायरी लव शायरी दोस्ती शायरी

queen

शाम कि चाये

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बहोत ठंड हे तो कोन कोन खाएगा ☕☕☕

©Sanaya शाम कि चाये

MDS GK question

शायरी शेरो शायरी शायरी लव शायरी लव दोस्त शायरी

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Shruti Rathi

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No Way

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Avinash Jha

White याद आती है वो शाम

याद आती है वो शाम, जब सूरज ढलता था,
आंगन में बैठकर, चाय का कप सजता था।
हवा में थी खुशबू, मिट्टी की सौंधी-सौंधी,
हर कोने में थी ख़ुशी, हर बात थी मीठी-मीठी।

गली में बच्चों की हंसी, और पतंगों का खेल,
उन दिनों का हर लम्हा, जैसे कोई सुंदर मेल।
दादी की कहानियां, जो दिल को बहलाती थीं,
वो गाने, जो माँ गुनगुनाती थीं।

सांझ के दीपक, जो अंधेरे को मिटाते थे,
हमारे सपनों में उजाले भर जाते थे।
खुला आकाश, तारे गिनने का जुनून,
जैसे हर रात थी कोई अनोखा सुकून।

वो दोस्ती, जिसमें दिखावा न था,
हर बात में बस अपनापन था।
मिट्टी के घरों में भी, खुशियों का वास था,
कम साधनों में भी, भरपूर उल्लास था।

अब वक़्त बदला, पर दिल वही ठहरा है,
उन बीते पलों का जादू आज भी गहरा है।
याद आती है वो शाम, वो मासूम दिन,
जिनमें छिपा था सच्चा जीवन का संगम।

©Avinash Jha #याद #शाम
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