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Nirankar Trivedi
सड़कें हैं खामोश रात की कहानियाँ, जहाँ हर कदम पर बसी हैं अनजानी निशानियाँ। इनकी धूल में छुपे हैं सपनों के टुकड़े, जो हर गुजरते मुसाफ़िर से कहें कुछ किस्से। यहाँ की हवा में बसती है सफर की महक, हर मोड़ पर झलकता है जीवन का एक नयापन। टूटे हुए दिलों की गवाह हैं ये सड़कें, जो हर दिन सजाती हैं अपनी नई तकदीरें। कभी ये सुनसान होती हैं, कभी चहल-पहल, हर गुजरता वक़्त इन्हें देता है नया अक्स। इन सड़कों पर चलते हैं कई अरमान, जो हर रात ढूंढते हैं अपने मंज़िल के निशान। यहाँ की चुप्पी में भी है एक गहरी बात, सड़कें सिखाती हैं हमें हर दिन नया साथ। इन पर बिछड़े और मिले हैं कई लोग, सड़कें हैं जीवन का अनमोल संजोग। ©Nirankar Trivedi #sadak सड़कें हैं खामोश रात की कहानियाँ हिंदी कविता कविता कोश प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी कविता कविता
#sadak सड़कें हैं खामोश रात की कहानियाँ हिंदी कविता कविता कोश प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी कविता कविता
read moreSupriya Yewale
#HeartfeltMessage जेव्हा तुंही स्वतःवर प्रेम कारल तेव्हा तुम्ही काय आहे कळेल💯 #मराठीविचार
read moreश्यामजी शयमजी
White कुत्ते का पिल्ला बैठा नीम की शाम में आज बारिश होगी आपकी भी गांव में ©श्यामजी शयमजी #cg_forest कविता कविता
#cg_forest कविता कविता
read morenisha Kharatshinde
White किती आहे आयुष्य पुढे? किती आहे आयुष्य पुढे ना कुणास अजून कळलेले मग रुसवे फुगवे कशासाठी स्वछंदी जगावे आयुष्य उरलेले कुणी कुणास ना जन्मी पुरले नाती-गोती रमण्यासाठी काही रक्ताची,काही प्रेमाची आहे तोवर जगण्यासाठी कुणी कमी तर कुणी वाईट ज्याचे त्याचे मतभेद सारे करोडो चेहरे विभिन्न असताना का जगावे कुणी मनासारे असा घ्यावा अनुभव जगण्याचा क्षणालाही थांबावे वाटेल सुर्यास्त अन् सुर्योदयामधील प्रत्येक क्षण जगावा वाटेल इथेच जन्म अन् इथेच मरण देह ही क्षणीक नश्वर आहे साठा संचयही वाहून जाता सोबत पुरवेल ती माणूसकी आहे ✍️काव्यनिश ©nisha Kharatshinde किती आहे आयुष्य पुढे?
किती आहे आयुष्य पुढे? #Poetry
read moreGurudeen Verma
White शीर्षक- इस ठग को क्या नाम दे --------------------------------------------------------- बड़े नम्बरी होते हैं वो आदमी, जो करते हैं शोषण छोटे आदमी का, और छीन लेते हैं उधारी चुकाने के नाम पर, गरीब आदमी की जमीन और आजादी। लेते हैं काम छोटे आदमी को, कोल्हू के बैल की तरह दिनरात, एक वर्ष की मजदूरी बीस हजार देकर, जबकि होते हैं खर्च पाँच हजार एक माह में। लेता है ब्याज बहुत वो आदमी, छोटे आदमी को देकर उधार रुपये, बड़े ही ठाठ होते हैं इन आदमियों के, जिनके होते हैं मकां महलनुमा। होती है उनकी जिंदगी राजा सी, जिनके एक ही आदेश पर, हो जाते हैं सारे काम, और हाजिर नौकर चाकरी में। कमाता होगा इतने रुपये वह आदमी, मेहनत की कमाई से कभी भी नहीं, बनाता है वह अपनी इतनी सम्पत्ति, भ्रष्टाचार और दो नम्बर की कमाई से। लेकिन एक ऐसा आदमी भी है, जो लेता है बड़े आदमी से भी ज्यादा दाम, करता नहीं रहम वो अपने भाई पर भी, और कोसता है वह बड़े आदमी, इस ठग को क्या नाम दे।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #कविता
कविता
read moreSantosh Jangam
#shrirammandir कविता "राम नवमी उत्सव : परळी" कवितेचे सार म्हणजे राम नवमी उत्सव हा उत्साह, एकता आणि आनंदाने साजरा करणे आहे. त्याच्यात भक्तिचा #मराठीकविता
read moreANSARI ANSARI
Black कल कल छल छल। नदियां करती। भंवरे गुन गुन करते हैं। हर पल मेरा दिल । आहे भरता। हम तुम संग कब। खेलेंगे। ©ANSARI ANSARI आहे भरता
आहे भरता #विचार
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