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Pooja Udeshi

शायर, लेखक और कवि

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शायर, लेखक, कवि की लेखन मे 
क्या बात होंगी 
मिली है विरासत मे जिसे वो स्वग़ात  होंगी 
दिल की बात 
उतर जाती है पन्नों पर और सफर तय 
करती है दिल 
की गहराइओ तक, छट जाते है धुंदले बादल 
जो नहीं देख 
पाती है आँखे, खोल कर दिल के किवाड़ 
मिट जाते है 
अधेरे होती है रोशनी, ज्ञान की जो प्रेरित 
करती है समाज 
को अच्छे बन कर जीने की, वो उतर जाता 
है दिलो, दिमाग़ 
मे, कहलाता है शायर उमदा इस समाज मे शायर, लेखक और कवि

Akanksha Nandan

#लेखक और कवियों पर एक बड़ा प्रश्न चिन्ह क्या वास्तव में हम कवि और लेखक हैं?

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Krishna Soni

क्यों ना हर दिन आजादी के लिए शहीद हो चुके वीरो के नाम करा जाए। क्यों ना हर एक सड़क ,हर एक मार्ग ,हर एक शहर ,हर एक नोट हमे हमारे आजादी के नायक #Love #Hindi #poem #yourquote #Shayari #kavita #कविता #bhagatsingh

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रख मुछो पर ताव उसने शहादत पाई है,
भरी जवानी उसने भारत माँ पर जो लुटाई है,
लिए सपना आजादी का वो फाँसी तक जा पहुँचा,
और ए इंसान तू जीते जी उसकी कुर्बानी भूल चुका।

रख आजादी की आस वो दो दो हाथ कर बैठा,
सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान बोल बैठा,
ना रख हाथ पे हाथ , वो शहादत दे बैठा,
मत भूल ए इंसान तेरे लिए वो कुर्बान हो बैठा।

नमन ए वीर बाबा भगत सिंह जी 🙏

कवि - श्री कृष्णा सोनी
 (संस्थापक जज़्बात दिल से)

©Jzbaat❤️se क्यों ना हर दिन आजादी के लिए शहीद हो चुके वीरो के नाम करा जाए।
क्यों ना हर एक सड़क ,हर एक मार्ग ,हर एक शहर ,हर एक नोट हमे हमारे आजादी के नायक

Sunita D Prasad

#अभिव्यक्ति एक कला.... भाषा के प्रारूप से पहले खोज लिए थे हमने साधन..अभिव्यक्ति के ! १) अभिव्यक्ति की श्रृंखला में.. #yqbaba #yqdidi #yqpowrimo

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#अभिव्यक्ति एक कला....

भाषा के प्रारूप से पहले 
खोज लिए थे हमने
साधन..अभिव्यक्ति के ! 

१)
अभिव्यक्ति की श्रृंखला में..
रखना चाहूँगी सर्वप्रथम
उन अनाम चित्रकारों को 
दिया था उकेर, जिन्होंने..
अनुभवों और संवेदनाओं को
कंदराओं के 
निष्प्राण पाषाणों पर....।
वे अभिव्यक्ता..
हैं उन भित्ति चित्रों में.. आज भी..!
वे प्रस्तर..
हैं लेते निश्वास..आज भी..!

२)
फिर इस श्रृंखला में....
रखना चाहूँगी 
प्रेम में लिखे गए
उन असंख्य प्रेम-पत्रों को 
जो हैं प्रमाण..
प्रेमियों की भावप्रवणता के..!
और जिनको..
करते ही स्पर्श,
हो उठती हैं स्पंदित
मृत शिराएँ हृदय की..
आज भी..!

३)
इसी श्रृंखला में.... 
रखना चाहूँगी
प्रत्येक लेखक और कवि को 
जिसने..
असीम अभिव्यक्ति के 
लेशमात्र में ही..
रख लिया स्वयं को
अस्तित्वमय..!
और कर लिया 
अपनेआप को
सदा के लिए स्थापित
एक कलाकार के रूप में..।।

वस्तुतः...
अभिव्यक्ति एक कला जो ठहरी
और अभिव्यक्ता एक कलाकार..!!

--सुनीता डी प्रसाद💐💐 #अभिव्यक्ति एक कला....

भाषा के प्रारूप से पहले 
खोज लिए थे हमने
साधन..अभिव्यक्ति के ! 

१)
अभिव्यक्ति की श्रृंखला में..

JALAJ KUMAR RATHOUR

पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे। शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं, #जलज #AdhureVakya

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उलझन इस बात की है कि पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे।
शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं, बैठा रहता था।मेरी हर उदासी को हंसी में बदलने वाली तुम आज कल मेरी आंखों में नमी का कारण बनती हो।जैसे इंद्रधनुष आसमान को खूबसूरत बनाता है वैसे ही मुझे तुम्हारा साथ खूबसूरत नजर आता था।अब जब भी घर आता हूं तो तुमसे मुलाकात की ऐसी तड़प होती है जैसी तड़प  छुट्टियों में नानी के घर से आने के बाद ,स्कूल में जाने के लिए किसी बच्चे को होती है।मुझे आज भी तुम्हारी जरूरत है जैसे आसमानी झूले पर बैठे किसी शक्श को होती है किसी का हाथ थामने की। मैं बचपन में जब भी अंग्रेजी स्कूल के बच्चों को देखता था तो उनकी अंग्रेजी से बहुत प्रभावित होता था और मन में एक प्रकार की घृणा भी होती थी।क्युकी उनकी अंग्रेजी की दो लाइन हमारी हिंदी के याद किए कई श्लोकों से ज्यादा तारीफें बटोर लेती थीं।पर जब तुम्हे पहली बार देखा था तो अंग्रेजी से मुझे पहली बार प्रेम हुआ था और शायद तुमसे भी।फ्यूचर टेंस के सहारे तुम्हारे संग मैं अपना भविष्य देखने लगा था।इन डायरेक्ट  स्पीच के सहारे मैने कई बार बताना चाहा था कि तुम मेरी पोएम रूपी जीवन का सेंट्रल आइडिया थीं।जैसे हर लेखक और कवि का उसके द्वारा कही गई पंक्तियों से एक आशय होता है वैसे मेरी भी हर बात का एक आशय होता था। जिसमें तुम्हारे संग जीवन बिताने का मेरा एक निश्चय रूपी मतलब छिपा था।
...#जलज कुमार

©JALAJ KUMAR RATHOUR पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे।
शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं,

JALAJ KUMAR RATHOUR

पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे। शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं, #जलज

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पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे।
शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं, बैठा रहता था।मेरी हर उदासी को हंसी में बदलने वाली तुम आज कल मेरी आंखों में नमी का कारण बनती हो।जैसे इंद्रधनुष आसमान को खूबसूरत बनाता है वैसे ही मुझे तुम्हारा साथ खूबसूरत नजर आता था।अब जब भी घर आता हूं तो तुमसे मुलाकात की ऐसी तड़प होती है जैसी तड़प  छुट्टियों में नानी के घर से आने के बाद ,स्कूल में जाने के लिए किसी बच्चे को होती है।मुझे आज भी तुम्हारी जरूरत है जैसे आसमानी झूले पर बैठे किसी शक्श को होती है किसी का हाथ थामने की। मैं बचपन में जब भी अंग्रेजी स्कूल के बच्चों को देखता था तो उनकी अंग्रेजी से बहुत प्रभावित होता था और मन में एक प्रकार की घृणा भी होती थी।क्युकी उनकी अंग्रेजी की दो लाइन हमारी हिंदी के याद किए कई श्लोकों से ज्यादा तारीफें बटोर लेती थीं।पर जब तुम्हे पहली बार देखा था तो अंग्रेजी से मुझे पहली बार प्रेम हुआ था और शायद तुमसे भी।फ्यूचर टेंस के सहारे तुम्हारे संग मैं अपना भविष्य देखने लगा था।इन डायरेक्ट  स्पीच के सहारे मैने कई बार बताना चाहा था कि तुम मेरी पोएम रूपी जीवन का सेंट्रल आइडिया थीं।जैसे हर लेखक और कवि का उसके द्वारा कही गई पंक्तियों से एक आशय होता है वैसे मेरी भी हर बात का एक आशय होता था। जिसमें तुम्हारे संग जीवन बिताने का मेरा एक निश्चय रूपी मतलब छिपा था।
...#जलज कुमार

©JALAJ KUMAR RATHOUR पता नहीं जीवन के किस मोड़ पर हम फिर मिलेंगे।
शायद स्कूल के उस नीम के पेड़ के नीचे या उस चौराहे पर जहां तुम्हारा इंतजार करता सोलह साल का मैं,

भारतीय शाकाहार संघ अकोला

रमेश तोरावत जैन ---           एक परिचय रमेश तोरावत जैन पशु रक्षा आंदोलन के मुख्य सूत्रधार है। अकोला में बीते पच्चीस वर्षो से उन्होंने शा

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It was raining outside रमेश तोरावत जैन ---


          एक परिचय


रमेश तोरावत जैन पशु रक्षा आंदोलन के मुख्य सूत्रधार है। अकोला में बीते पच्चीस वर्षो से उन्होंने शाकाहार के प्रचार प्रसार में जो अभूतपूर्व योगदान दिया है वो तारीफे ऐ काबिल है। उन्होंने कई अवैध कत्लखानो को बंद कराया है और अहिंसा धर्म को बुलंद करने में अपनी ऊर्जा व्यय की है। अकोला के 83 कत्तलखानों की बंदी की मांग को ले कर उन्होंने जो आवाज उठायी थी उस की चर्चा विधानसभा के गलियारों तक हुई थी। इस के अलावा उन के कई और आंदोलन शहर में चर्चा का विषय बने थे उन में से प्रमुख है सरकार को चुल्लू भर पानी भेजना, शाकाहारी बनो बनाओ अभियान, विकल्प अभियान के अंतर्गत कसाइयो को रोजगार उपलब्ध कराना। उन के कार्यो की महिमा इतनी बड़ी की विविध भारती ने उन्हें अपने रेडियो स्टेशन पर आमंत्रित कर उन से हुयी बातचीत को प्रसारित किया। पशु रक्षा आंदोलन के साथ साथ रमेश तोरावत जैन एक गुणी लेखक और कवि भी है।उन की रचनाये सोशल मिडिया पर खूब रूचि से पढ़ी जाती है। उन का लेखन इतना सिद्धहस्त है की पाठक अंत तक रुकता ही नही। वे इंसानी भावनाओ को बड़ी ही कुशलता से अपनी कलम से कागज पर उतारते है।उन की कविताये दिल के भीतर तक उतर जाती है।यद्यपि वे मंच से कवि सम्मेलनों में कविता पाठ नही करते तद्यपि उनकी कविताओ का श्रोताओ को इंतजार रहता है। जीवन के रंगो को बखूबी उकेरती उनकी अदभुत् कविताये किसी भी इंसान को भीतर तक आंदोलित कर देती है। रमेश तोरावत जैन के पूर्वज मूल रूप से राजस्थान के उदयपुर जिले के ( सलूंबर ) है।करीब 80 साल पहले राजस्थान से अकोला आये श्री बीसा नागेन्द्र ( नागदा ) दिंगबर जैन समाज से ताल्लुक रखने वाले इन के पूर्वजो ने अपने मधुर और स्नेहपूर्ण व्यवहार से एक अलग ही छवि निर्माण की है। रमेश तोरावत जैन को कई राजनैतिक दलो में शामिल होने का न्यौता मिलता रहता है मगर ये विनम्रता से इंकार कर देते है।ये परम् मुनि भक्त है और साधू संतो की सेवा इनका विशेष शगल है।


सौ. नेहा अरुण शर्मा


       नागपुर रमेश तोरावत जैन ---


          एक परिचय


रमेश तोरावत जैन पशु रक्षा आंदोलन के मुख्य सूत्रधार है। अकोला में बीते पच्चीस वर्षो से उन्होंने शा

कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद

लेखक या कवि

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लेखक या कवि

लिखकर  जो  खुद  की   दास्ताँ   लोगों   को   बताता है

करें  सब उसके शब्दों का स्वागत यही तो  वह चाहता है

जाता  है  कभी  कभी  जिसे  पढ़कर  श्रोता भावों में खो

जिसके शब्दों में आदमी आम जीवन की झलक पाता है

कवि अजय जयहरि कीर्तिप्रद लेखक या कवि

Saurav K. Jha

 #कलाकार #कवि #लेखक #मुन्नियाँ
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