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rhythmic_expressions_

@# वो जानबूझकर रूठा था।

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White ☺️😊☺️😢😢

©rhythmic_expressions_ @# वो जानबूझकर रूठा था।

Himanshu Prajapati

#HeartBook ना खुशी थी ना वफ़ा था, मोहब्बत एक तरफा था, मेरे दिल में वह था लेकिन उसके दिल से मैं दफा था..! #36gyan #hpstrange

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ना खुशी थी ना वफ़ा था, 
मोहब्बत एक तरफा था,
मेरे दिल में वह था 
लेकिन
उसके दिल से मैं दफा था..!

©Himanshu Prajapati #HeartBook ना खुशी थी ना वफ़ा था, 
मोहब्बत एक तरफा था,
मेरे दिल में वह था 
लेकिन
उसके दिल से मैं दफा था..!
#36gyan #hpstrange

ललित कुमार सुमन

कभी हमें भी प्यार था

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White वह भी क्या दिन थे। सुबह सपनों से शुरू ओर रात ख्वाबों के साथ।। महीनों बाद भंवरे का गुलाब से मिलन होता।। सपना शून्य से अनंत तक का देखा।। निगाहों में हमेशा सपने संजोए। वक्त ने ऐसी करवट ली कि ।।सपने ओश की बूंद बन गए।। भंवरा बगीचा ही भूल गया।। अब न गुलाब याद आता ओर न महक

©lalit suman कभी हमें भी प्यार था

F M POETRY

#मगर था फरेबी.....

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White वो दिल में समाया था सच बोलकर.. 

मगर था फरेबी निकल भी गया..


यूसुफ़ आर खान...

©F M POETRY #मगर था फरेबी.....

Akash gautam s n

#covidindia करना चाहिए था

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हमे इकरार करना चाहिए था मुकम्मल प्यार करना चाहिए था ये सोचा था कि मर जायेंगे तुम बीन जो सोचा था तो मरना चाहिए था

©Akash gautam s n #covidindia करना चाहिए था

Shailendra Anand

मकर संक्रांति पर्व और विचार भक्ति से सजाया गया जिसे हम ईश कृपा प्राप्त होती है। कवि शैलेंद्र आनंद

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रचना दिनांक 14  जनवरी 2025
वार मंगलवार
 समय सुबह ग्यारह बजे
्भावचित्र ्
्निज विचार ्
्शीर्षक ्
छाया चित्र में जल ही जीवन में समुद्र में जलसृष्टि में ,
अलग पहचान और सोच का आयना नज़रिया सहज महज़ भण्डार है,,
 जहां चाह वहां राह दिखाने वाले मंगलमय रत्नों से खनिज पदार्थ से सजाया गया है।।
््
समन्दर में बहते हुए जल में प्रवाहित होने वाले तरंग में लहरों ,
में समुद्री नमक और तेल चित्रावलली ललितकलाचित्रणशैलीकलासाहित्य से,
 मनोररम सौंदर्य और जींव जगत के सुक्ष्म से सुक्ष्म पादप प्रजातियां पाई जाती है ।
जो जीवाणु और अनेक देशों में समुद्री तट पर स्थित पनडुब्बी और जहाज में पर्यटक में ,
मानसिक सम्प्रेषण शांति वार्ता से अन्य देशों में सामंजस्य स्थापित कर नव स्वपन कीओर ले जा रहे,
 मकर संक्रांति पर्व हर्षोल्लास पूर्वक विचार कर  मनाया जा रहा है।।
           
हिन्दूस्तान में आदिकाल भक्तिकाल में मानसिक हलचल अंतर्गत आई 
अभिव्यक्ति अनुवाद जनसंख्या में वृद्धि और कमी विषय नहीं है,,
विषय विश्व में आप और हम के बीच हिन्दूस्तान की संस्कृति सभ्यता और इतिहास चाहे,
 स्वामी विवेकानंद जी शिकागो में 13।
1वर्ष पुर्व अपने उद्बोधन में अपनी संस्कृति और सभ्यता इतिहास विद्वता से 
सारे विश्व में अपना दर्शन और प्रेम का आयना नज़रिया सहज महज़ प्रेम को 
 अभिव्यक्त करने वाले शुन्य पर आधारित ईश्वर सत्य की आवृत्ति प्रवृत्ति निरन्तर प्रगति में देश सर्वोपरि है।।
माना कि हिन्दूस्तान में कई राजा,सम़ाट सतयुग से कलयुग तक देवता और असुर के मध्य संग़ाम हुआ है ्तब धर्म और अधर्म पाप और पुण्य के बीच सतयुग त्रेता द्वापर युग परिवर्तन में सहस्त्रों वर्षों तक अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक समुदाय का विवरण शास्त्र पुराण कथा साहित्य कथन सच्चाई में उपलब्ध है।।््
रहा सवाल कलयुग में कल कारखानों में ,श्रम और रोजगार में सर्वहारा वर्ग में दलित आदिवासी जीवन में वन जंगल पहाड़ धरती जल जीवन में विचरण करने वाले लोगों में अशिक्षा अंधश्रद्धा मंहगाई खात जात है जैसी मुल समस्या पर ध्यान देना चाहिए।।
््नाकि आम आदमी में मानसिक रूप से जीवन व्यतीत करते हैं आनेवाली पीढ़ी को राह दिखाने वाले खुशियों का आयना नज़रिया बदला जा सकता है,,
यही सही मौका मिला है आपकी पोस्ट पढ़ने के बाद लिखने का बाकि आप समझदार है।।
,, ना हिन्दू बनेगा ना मुसलमान बनेगा,
 इन्सान की औलाद है इंसान बनेगा,।।
  देश में संविधान है तो देश आगे बढ़ेगा,,
विवाद है तर्क वितर्क तथ्य तर्क तथ्यों पर आधारित अदालत में न्याय पाओ मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने पहले इन्सान बनाया है।।
यही यथार्थ सत्य है इन्सान से प्रेम करने वाले अच्छे ख्यालात रहे,,
यही सही और सटीक उत्तर भारत प्रजातांत्रिक देश में अवाम में खुशहाली और उसके परिणाम में सत्य कोण पूर्व मुख में सुर्य विराजमान हैं।।
््कवि शैलेंद्र आनंद

©Shailendra Anand   मकर संक्रांति पर्व और विचार भक्ति से सजाया गया जिसे हम ईश कृपा प्राप्त होती है।
कवि शैलेंद्र आनंद

ranjit Kumar rathour

उसे लगता मै अच्छा था

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a-person-standing-on-a-beach-at-sunset वों अच्छी नहीं है दिखने मे 
बहुत मामूली सी है 
छोटा कद है उसका 
आकर्षक भी नहीं है 
बाते भी अच्छी नहीं करती 
बहुत साधारण लगती है 
कुछ भी खास नहीं है 
लेकिन कुछ तो है जो
बांकी औरो मे नहीं है 
उसने कहा नहीं कुछ 
लेकिन लड़ बैठतीं थी 
बांकी कि हिम्मत नहीं थी 
वों चढ़ बैठतीं थी 
मन कि हर बात मुझसे कहती 
उसे लगता मै अच्छा हुँ 
मै ऐसा भी नहीं था 
जो उसे लगा उतना भी सही नहीं था 
एक दिन वों करीब ख़डी थी 
मै खुद को रोक नहीं पाया 
न कोई विरोध न नाराजगी 
फिर लगा ये वों तो नहीं 
हां वों ही था हां वों ही था

©ranjit Kumar rathour उसे लगता मै अच्छा था

Nurul Shabd

#तू #नहीं था 

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theABHAYSINGH_BIPIN

#good_night बैठे-बैठे उदास मन से उसे सोच रहा, गैर-महफ़िलों में खुद को व्यस्त कर रहा। भैया-भाभी, मम्मी-पापा को सुन रही होगी, तकिए के ओट मे

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White बैठे-बैठे उदास मन से उसे सोच रहा,
गैर-महफ़िलों में खुद को व्यस्त कर रहा।

भैया-भाभी, मम्मी-पापा को सुन रही होगी,
तकिए के ओट में चादर भिगो रही होगी।

कितने अरमानों को सजाया था दिल ने,
दोनों दिलों में अधूरी मोहब्बत दम तोड़ रही है।

उठ रहे हैं दिल में ना जाने कितने सवाल,
दो जवां दिलों में ख्वाहिशें दफ़्न हो रही हैं।

रोशन हो रही थी मुहब्बत चंद की रोशनी में,
यह कैसी घड़ी है जहां उम्मीदें बिखर रही हैं।

परवान चढ़ने पर था ख्वाबों सा मुंतजिर,
जैसे चांद से चकोर अलग हो रही है।

©theABHAYSINGH_BIPIN #good_night 

बैठे-बैठे उदास मन से उसे सोच रहा,
गैर-महफ़िलों में खुद को व्यस्त कर रहा।

भैया-भाभी, मम्मी-पापा को सुन रही होगी,
तकिए के ओट मे

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मन में बहुत कुछ था

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