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Rashmi
भाग्यशाली वे हैं जो वर्तमान कार्य के प्रति कड़ी मेहनत और समर्पण से अपना भविष्य बेहतर बनाते हैं ©I'm Rashmi भाग्यशाली
पथिक..
भाग्यशाली है हम जो चल फिर रहें है कभी सोच कर देखो उनके बारे में जो खुद चल भी नहीं सकते उनकी आरजू बस खड़े होने की है और हम अभी भी तकलीफ का रोना रो रहें है कभी सोच कर देखो उनके बारे में जो देख भी नहीं रहें है, फिर भी ख़ुश है, और जी रहें है, उनकी आरज़ू बस देख पाने की है, और हम देख कर भी अंधे बने जा रहें है भाग्यशाली है हम जो सुन पा रहें है कभी सोच कर देखो उन बाधिरों के बारे में जो सिर्फ सुनने की दुवा किये जा रहें है हम हर दृष्टि से सशक्त है, हर कार्य आसानी से कर पा रहें है, कभी सोच कर देखो उनके बारे में, जिनके हाथ पाँव शरीर से जुदा है, क्या कठिन जीवन उनका है, या हमारा कभी सोच कर देखो इस ज़िन्दगी के बारे में जो न मिल पायेगी शायद दोबारा फिर क्यों हम ये नहीं समझ पा रहें है, हम खुशकिश्मत है, जो हर वक़्त हर पल को महसूस कर पा रहें है ................................ पथिक ©पथिक भाग्यशाली इंसान
Hiren. B. Brahmbhatt
जियो उसे जी भरकर क्यूं की , जीवन बहुत छोटा है , पकड़ कर रखो प्रेम को क्यूं की, वो बहुत ही दुर्लभ है , दबा कर रखो उसे क्यूं की , क्रोध बहुत ख़राब है, सामना करो उस भय का क्यूं की, वो बहुत भयानक है, संजो कर रखो उस स्मृतियों को, क्यूं की वो बहुत सुखद है, अगर मन की शांति आप के पास है, तो समझ लेना भाग्यशाली , आपसे ज्यादा कोई , और नहीं है .. #शांति #भाग्यशाली
Sukhdev Panday
अगर आप का पति आपको चाहता है, तो आप भाग्यशाली हैं और सिर्फ आपको ही चाहता है तो आप सौभाग्यशाली हैं । ©Sukhdev Panday भाग्यशाली पत्नी
Sukhdev Panday
अगर आप की पत्नी आपसे शांतिपूर्वक बात करती है तो आप भाग्यशाली हैं,और प्रेमपूर्वक बात करती है तो आप सौभाग्यशाली हैं । जो कि असंभव ही है 😃😂 ©Sukhdev Panday भाग्यशाली पति
Parasram Arora
कितने भाग्यशाली हो तुम क्योंकि तुम्हे मिली है ये जिंदगी क़ी दूधिया रौशनी विरासात मे और ये विराट सा प्रस्फुटन और सृजन क़ी शांति नित्य नूतन चिर अभिनव स्वपन.... जहाँ नही हो पाता ऊर्जा का क्षरण सब तरफ से बरसता है तुमपर आशीर्वाद और स्वास्ती का वरदान और तुम नही जान पाते कभी विवशतासो का अर्थ शास्त्र और बाध्यताओं का अवसाद नही जानते तुम अनिष्ट और विनाश का. क्या होता है प्रकोप नही जानते तुम कि कैसे पल जाता है आदमी क्षुदरतआओ क़ी भीड़ मे लालसाओ क़ी परिधि मे परिग्रह के दुशचकर मे नही जानते तुम उस आदमी को ज़ो बंदीगृह क़ी काल कोठरीयों मे रहता है.. ज़ो ख्वाहिशों क़ी ज़ज़िरो मे जकड़ा है. मोह और ईर्षा क़ी बेड़ियों मे बँधा है.... और ज़ो स्वतःत्रता क़ी विधायक परिभाषा से भी अभी तक अपरिचित है ©Parasram Arora भाग्यशाली हो तुम.....