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Anuj Ray
गुमसुम गुमसुम क्यों रहते हो" कहां उड़ गई वो मोतियों से हंसी, आजकल तो ठीक से, बात भी नहीं करते हो। लगता है बड़ी चोट लगी है दिल पर, इस तरह इतने ,गुमसुम गुमसुम क्यों रहते हो। हमें पता ना चला, छुपे रुस्तम निकले, इसीलिए तो दिल का दर्द ,अकेले ही पूरा सहते हो। कभी इतना भी हक़ नहीं दिया कि, बैठ के पास पौंछ दें आंसू ,सबसे अच्छा दोस्त रहते हो। ©Anuj Ray # गुमसुम गुमसुम क्यों रहते हो"
# गुमसुम गुमसुम क्यों रहते हो" #शायरी
read moreAnjali Singhal
"शौकीन हैं आँखें उनके दीदार की! तकते-तकते राह उनकी अब रहने लगीं बीमार सी!!" #AnjaliSinghal #Shayari nojoto
read moreNeel
White और पता है.... कुछ और भी लिखूंगा.... जानती हो क्या....?? तुलसी के पौधे जैसी तेरी पवित्रता... उसकी पत्तियों के हरे रंग जैसी तेरी मासूमियत और उसकी मंजरियों जैसा बिखरकर तेरा खिलखिलाना.... और लिखूंगा...किसी भी विषम परिस्थितियों में... तेरा वट वृक्ष हो जाना... उसके पत्तों के हरे रंग जैसा तेरा ठहराव और उसकी लताओं जैसा समर्पित हो तेरा जड़ हो जाना.... हां मैं लिखूंगा..... अनवरत.... सांस चलने तक.... सिर्फ तुझको लिखूंगा.... 🍁🍁🍁 ©Neel सिर्फ तुझको लिखूंगा 🍁
सिर्फ तुझको लिखूंगा 🍁 #लव
read moreदूध नाथ वरुण
तेरे दर पे ओ मां हम आ ही गए,तेरो पग में शीश झुकाने को। मत ठुकराना मेरी विनती मां, हम आए हैं तुझको मनाने को।। ©दूध नाथ वरुण #हम #आए #हैं#तुझको #मनाने #को
Anuj Ray
रेत के घर बनाते रहते हैं" तुम्हीं को इश्क़ मेरी जान,मोहब्बत तुम्हीं को कहते हैं। पकाते हैं खिचड़ी अधेड़ धुन में, ज़िन्दगी तुम ही को कहते हैं। डरते हैं ख़्वाब टूट के बह जाए न पानी में, फिर भी रेत के घर बनाते रहते हैं। ©Anuj Ray # रेत के घर बनाते रहते हैं"
# रेत के घर बनाते रहते हैं" #शायरी
read moreShashi Bhushan Mishra
रेत के घर बनाते रहते हैं, स्वप्न दिल में सजाते रहते हैं, टूट जाए नहीं कोई सपना, नींद पलकों पे लाते रहते हैं, रहे रौशन सदा अरमान मेरे, एक दीपक जलाके रहते हैं, अंधेरी रात में डर का साया, राम धुन गुनगुनाते रहते हैं, बड़ी दुश्वारियां भरा जीवन, राग भैरव सुनाते रहते हैं, दरीचा-ए-दिल में रहे रौनक, रूठे रहबर मनाते रहते हैं, रहे मदहोश न दुनिया गुंजन, यहाँ सब आते-जाते रहते हैं, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #रेत के घर बनाते रहते हैं#
Shashi Bhushan Mishra
White रेत के घर बनाते रहते हैं, स्वप्न दिल में सजाते रहते हैं, टूट जाए नहीं कोई सपना, नींद पलकों पे लाते रहते हैं, रहे रौशन सदा अरमान मेरे, एक दीपक जलाके रहते हैं, अंधेरी रात में डर का साया, राम धुन गुनगुनाते रहते हैं, बड़ी दुश्वारियां भरा जीवन, राग भैरव सुनाते रहते हैं, दरीचा-ए-दिल में रहे रौनक, रूठे रहबर मनाते रहते हैं, रहे मदहोश न दुनिया गुंजन, यहाँ सब आते-जाते रहते हैं, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #सब आते-जाते रहते हैं#