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Mansha Sharma
🍁मन के भाव 🍁 जुदा मकसद जिंदगी का तुम्हे ना भूलाना था हमे तेरी नजरों से कभी दूर ना जाना था हमे तो तुम्हारी जिंदगी मे कमल सा खिल जाना था मगर हमे यह मालूम ना था अगले ही पल जुदा हो जाना था सितम यह कैसा हुआ तू मेरा होकर भी मेरा ना हुआ बहुत समझाया अपने दिल को यह दर्द सदा ना रहेगा ना सदा रहेगी यह जिंदगी जिसने तुझे भूला दिया ऐ दिले नादान क्यों करता है उसकी बंदगी अब ना कोई मनशा ना कोई शिकवा ही रहा बस एक बार तेरे हाथो मे मेरे हाथ को छूने का अहसास रहा जुदाई का वक्त हमे बेकरार करता रहा हम तो नजर आयेगे दीवार की बनकर तस्वीर शायद यही लिखी थी हमारी तकदीर कमल की पंखुड़ियों के जैसे हम बिखर गये मिलने से पहले ही बिछड़ गये तुम खुश रहना अपनी जिंदगी मे कहीं विरानो मे मै खो जाती हूं तुमसे दूर हो कर मै सदा के लिए मौत की नींद सो जाती हूं स्वरचित _सुरमन_✍️ 3/6/22 ©Mansha Sharma #मन के भाव #सुरमन_✍️ #जुदा #UskeHaath #nojato
Poet Kuldeep Singh Ruhela
White #एक दिन चला जाऊंगा तुम सबसे जुदा होकर फिर बुलाने पर भी किसी के न आऊंगा में कभी जीते जी पढ़ लिया करो मेरी शायरी को मेरे यारो नही तो भूत बनकर सबको सताने आ जाया करूंगा ! ©Poet Kuldeep Singh Ruhela #Dosti #एक दिन चला जाऊंगा तुम सबसे जुदा होकर फिर बुलाने पर भी किसी के न आऊंगा में कभी जीते जी पढ़ लिया करो मेरी शायरी को मेरे यारो
Dalip Kumar 'Deep'
Shayer tera ©Dalip Kumar Deep 🥀🥀✍🏿जान बुझ के थोड़े ही कोई जुदा होता है🙂🍂🍂
Aarzoo smriti
White जिस दिन तुम जुदा हो जाओगी, मौत न भी आई तो... खुद को खुद में ही दफ़ना देंगें। तुम्हारे हिज़्र-ए-ग़म में बेखबर होकर, दर्दों की तपिश में... अपनी साँसों को भी जला देंगे। ©Aarzoo smriti #जिस दिन तुम जुदा हो जाओगी
healthdoj
( prahlad Singh )( feeling writer)
White ll वो लपट मेरे आंखो की जलती आग में दिखती है में उड़ कर इस आसमां में रौशन हो होकर दिखता है ll ©( prahlad Singh )( feeling writer) होकर दिखता है#nightthoughts
सत्यमेव जयते
यूँ तो पहले भी हुए उस से कई बार जुदा लेकिन अब के नज़र आते हैं कुछ आसार जुदा गर ग़म-ए-सूद-ओ-ज़ियाँ है तो ठहर जा ऐ जाँ कि इसी मोड़ पे यारों से हुए यार जुदा दो घड़ी उस से रहो दूर तो यूँ लगता है जिस तरह साया-ए-दीवार से दीवार जुदा ये जुदाई की घड़ी है कि झड़ी सावन की मैं जुदा गिर्या-कुनाँ अब्र जुदा यार जुदा कज-कुलाहों से कहे कौन कि ऐ बे-ख़बरों तौक़-ए-गर्दन से नहीं तुर्रा-ए-दस्तार जुदा कू-ए-जानाँ में भी ख़ासा था तरह-दार 'फ़राज़' लेकिन उस शख़्स की सज-धज थी सर-ए-दार जुदा ©सत्यमेव जयते यूँ तो पहले भी हुए उस से कई बार जुदा
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Blue Moon ग़ज़ल किसी के प्यार का दीपक जलाता आज भी हूँ मैं । वफ़ा करके भी उससे क्यों जुदा सा आज भी हूँ मैं ।।१ बुझाना चाहता हूँ मैं वफ़ा का आज वह दीपक । मगर मजबूर हूँ उनका ठिकाना आज भी हूँ मैं।।२ मिलेंगे वो गली में तो बदल मैं रास्ता दूँगा । खबर ही थी नहीं ये की निशाना आज भी हूँ मैं ।।३ न जाने क्यूँ कदम मेरे खिचें यूँ ही चले जाते । कोई बतला मुझे ये दे मिटा क्या आज भी हूँ मैं ।।४ जुदा होकर भी उनसे क्या कहूँ दिल की तमन्ना को दिया सा राह में ये दिल जलाता आज भी हूँ मैं ।।५ खिलौना वह समझकर जिस तरह मुझ से यहाँ खेलें । उन्हीं से यार अब रिश्ता निभाता आज भी हूँ मैं ।।६ सुना दो तुम प्रखर अब तो खबर उस बेवफ़ा की कुछ । यहाँ जिसके लिए आसूँ बहाता आज भी हूँ मैं ।।७ १६/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल किसी के प्यार का दीपक जलाता आज भी हूँ मैं । वफ़ा करके भी उससे क्यों जुदा सा आज भी हूँ मैं ।।१ बुझाना चाहता हूँ मैं वफ़ा का आज वह दीपक । म