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अनिल कसेर "उजाला"
हर तरफ बस दिखता बातिल मुझे, न दिखे कोई इंसान के क़ाबिल मुझे, अब नहीं है ज़माने में मुहब्बत 'उजाला', लगे हत्या में इसके हैं सभी शामिल मुझे। ©अनिल कसेर "उजाला" क़ाबिल मुझे
क़ाबिल मुझे
read moreAnuradha T Gautam 6280
#दयावान मुझे नहीं चाहिए धन और दौलत,महल अटारी मेरे कोई काम नहीं मुझे इंसान चाहिए किसी का अहसान नहीं ईमान निभा सको पर सच्चा मेहरबान वही
read moreLalit Saxena
हमने ख़ुद को ज़िंदा जलते देखा है रोशन दिन आँखों में ढलते देखा है सांस-सांस पीर कसमसाती रहती मुर्दा सपने पांवपांव चलते देखा है उगते सूरज के जलवे देखे हर दिन उदास शाम को भी उतरते देखा है ख़्वाहिशें, सारे ही रंग उतार देती है उम्रदराज़ को भी, मचलते देखा है दरवाजे पर नहीं कोई दस्तक हुई हर सुब्ह उन्हें वैसे गुज़रते देखा है दिन बुरे हों, तो ये दरिया भी सूखे बुलंदियों को भी, बिखरते देखा है ©Lalit Saxena ग़ज़ल
ग़ज़ल
read moreRAVI PRAKASH
White हमेशा खुश रहना चाहिए, क्योंकि परेशान होने से कल की मुश्किल दूर नही होती बल्कि.... आज का सुकून भी चला जाता ©RAVI PRAKASH #sad_quotes हमेशा खुश रहना चाहिए,
#sad_quotes हमेशा खुश रहना चाहिए,
read morepramod malakar
मैं हिन्दू हूं ........... मुझे खुशहाली नहीं भ्रष्टाचारी चाहिए , मुझे सुरक्षा नहीं अत्याचारी चाहिए । सनातन और संस्कृति से क्या लेना , मुझे जेहादी विचार चाहिए ।। अकबर से कटा , औरंगजेब से कटा , 1947 का फिर से खून कि धार चाहिए । स्तन काटा , गुप्तांग काटा , हमें कटता - तड़फता परिवार चाहिए । मैं सो रहा हूं गहरी नींद में , मुझे जगाने के लिए सर पर तलवार चाहिए । दफ़न होने के लिए मुझे , श्मशान नहीं कब्रिस्तान चाहिए ।। मैं हिन्दू हूं ........... मुझे भारत हिन्दू राष्ट्र नहीं मुस्लिमिस्तान चाहिए , मुझे खुशहाली नहीं , अत्याचारी सरकार चाहिए । मुझे जेहादी विचार चाहिए ।। @@@@@@@@@@@@@ प्रमोद मालाकार की कलम से 24.11.24 ©pramod malakar #मुझे जेहादी विचार चाहिए।
#मुझे जेहादी विचार चाहिए।
read moredharmendra kumar yadav
White मज़ाक था या सच जाने क्या सोचकर आया था मेरा अज़ीज़ मुझको गिफ्ट में आईना लाया था वो आसूं सिर्फ आसूं नहीं बाग़ी भी हो सकते थे पर क्या शख्स रहा था वो जो फिर भी निभाया था जिससे ज्यादातर नाराज़ ही रहता रहा ये दिल उसको ही अपने बुरे दिनों में अपने साथ पाया था वो मेरी जान से जिक्र की है कि वो मेरी होती जो मुझे उन दिनों बर्बाद ओ बेकार बताया था ©dharmendra kumar yadav ग़ज़ल
ग़ज़ल
read moreGourav (iamkumargourav)
White दिल को क़रार मिले ऐसी तक़दीर चाहिए थी मुझे तो यार बस उसकी एक तस्वीर चाहिए थी वो रहे अपनी दुनियाँ में मशगूल, मुझे कोई ग़म नहीं हो जाए कभी मुलाक़ात, क़िस्मत बे-नज़ीर चाहिए थी वो के सादा-दिल है उसपर मख़मली आवाज़ उसकी मिज़ाज़ को मेरे ऐसी ही कोई दिल-गीर चाहिए थी ये नवम्बर का महीना और तपन ऐसी मौसम तो अब तलक अकसीर चाहिए थी तुम के यार रहते हो ख़ल्वत में "गौरव" हुलिए से तो तुमको होना बे-पीर चाहिए थी ©️iamkumargourav ©Gourav (iamkumargourav) दिल को क़रार मिले ऐसी तक़दीर चाहिए थी मुझे तो यार बस उसकी एक तस्वीर चाहिए थी वो रहे अपनी दुनियाँ में मशगूल, मुझे कोई ग़म नहीं हो जाए कभी मुलाक़
दिल को क़रार मिले ऐसी तक़दीर चाहिए थी मुझे तो यार बस उसकी एक तस्वीर चाहिए थी वो रहे अपनी दुनियाँ में मशगूल, मुझे कोई ग़म नहीं हो जाए कभी मुलाक़
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