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Arjun Singh
यहां मतलब से, हर कोई अदब से पेश आता है, इसीलिए तो दिखावे के , लोगों को शहर खूब भाता है, ©Arjun Singh #शहर
Tripti varma
White एक शहर के नज़ारे ने नज़ाकत से कहा आसमां से की , तेरी खूबसूरती ने इस शहर को एक अलग नज़ारा दिया । ऐ आसमां अब इसका रखवाला भी तू ही है। ©Tripti varma # शहर
# शहर #कविता
read moreDev Rishi
नागवार शहर , अनजान शहर , कुछ नहीं बदला है इस शहर में फूलों की पत्तियां टुटकर बिखर चुकी है अभी भी देखो कैसे हंस रहा है ये शहर... ©Dev Rishi #शहर
Prakash Vats Dubey
हमें पता था तुम कहीं और के मुसाफिर थे! हमारा शहर तो बस यूँ हीं रास्ते में आया था!! ©Prakash Vats Dubey #शहर
हिमांशु Kulshreshtha
मन को भिगो दे कोई बात अब ऐसा कभी होता नहीं, पत्थरों के शहर में दिल भी लगता है पत्थर का हो गया एक तू क्या गया शहर सारा मेरे लिये अजनबी सा हो गया… ©हिमांशु Kulshreshtha पत्थर का शहर..
पत्थर का शहर.. #कविता
read morevish
White ख्वाबो का मेरा एक शहर था।। जिसमें मेरी ख्वहिशें जिंदा थी।। आंखें खुली तो पता चला।। वो ख्वाब दो पल का था।। ©vish # ख्वाबो का शहर
# ख्वाबो का शहर #Poetry
read moreManju kushwaha
White वो बच्चे जो निकले थे कभी कमाने के लिए फिर लौटे ही नहीं वापिस घर आने के लिए ll मन में इक ख़लिश दबाये लौटे जो कभी उस गली.. वो आए तो बस अपनी शानो-शौकत दिखाने के लिए ll वो जाले से लिपटा मकान जो सुन्दर घर हुआ करता अब वो ही करते हैं बातें उसे बेच जाने के लिए ll विरान पड़े हैं बाग बगीचे और गुलिस्तान सारे.... कि कोई आता ही नहीं उन्हें फिर से बसाने के लिए ll अब शौकीन हुए हैं सभी ऊँची ऊँची अट्टालिकाओं के जर्जर है गाँव का वो घर कौन आए उसे सजाने के लिए ll मंजू कुशवाहा ✍️🌹💞 ©Manju kushwaha #शहर