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Ravi Gupta
वो जो हर रोज़ नये ख्वाब सजाता है मेरे वो नहीं जानता की नींद में डर जाता हूं मैं जिस कहानी को बड़े शौक से पढ़ते हो ना तुम उस कहानी के तो आखिर में मर जाता हूं मैं ©Ravi Gupta #कहानी#
Anuj Ray
पहली नौकरी " पहली पहली नौकरी ,मिलते ही मुंबई में, लाइन लग जाती थी ,शादी के लिए छोकरी। पहले के लोग मुंबई ,जाते ही थे इसलिए, मुफ़्त में मिलती थी वहां, नौकरी और छोकरी। दो सौ की तनख्वाह में, कर लेते गुजर बसर, छोटी सी खोली में, घर बसा रहते थे डोंगरी। फिल्मों की सी ज़िन्दगी, फिल्मी लव स्टोरी, जाने का गम नहीं ,तू नहीं तेरी जगह दूसरी। ©Anuj Ray # पहली नौकरी "
Dilip Kumar
White 84 लाख योनियों में भटकने के बाद मनुष्य का शरीर मिलता है कृपया इसे सरकारी जॉब की तैयारी में बर्बाद ना करें आगे आपकी मर्जी ...…............................... #kumardil143@gmqil.com ......................................................... ©Dilip Kumar #Sad_shayri सरकारी नौकरी
रिपुदमन झा 'पिनाकी'
अजी नौकरी का भी अपना मज़ा है। जहां अपनी चलती नही कुछ रज़ा है। हुकम हाकिमों का बजाते रहो बस- यहांँ ज़िन्दगी हर घड़ी इक क़ज़ा है। दवाबों तनावों की बोझिल फ़ज़ा है। बिना पाप के भोगता नित सज़ा है। सवालों जवाबों से परहेज़ कर चल- यहाँ कोई सुनता नहीं इल्तिज़ा है। रहो जब तलक भी किसी नौकरी में। न कुछ और सोचो कभी ज़िन्दगी में। भुला दो सभी रिश्ते नाते जरूरत- लगा दो अरे आग अपनी ख़ुशी में। नियम हाकिमों के नए रोज बनते। कि साहब यहां ख़ुद ही उलझन में रहते। करें गलतियांँ हम तो सुनते हैं बातें - मगर इनकी ग़लती मुनासिब ही रहते। करो हर घड़ी सबकी तीमारदारी। जताए बिना अपनी कोई लचारी। न छुट्टी, न अर्जी, न आराम कुछ दिन- लगाए रखो नौकरी की बिमारी। ज़हन में ख़याल इसका ही जा-ब-ज़ा हो। अमल हुक़म हो चाहे बेजा बजा हो। चलेगी नहीं हुक्म उदूली एक भी - कि इसमें तुम्हारी न बेशक रज़ा हो। पड़ो चाहे बीमार या मर ही जाओ। मगर नौकरी अपनी पहले बचाओ। न जो कर सको तो अभी बात सुन लो- उठाओ ये झोला तुरत घर को जाओ। कभी कुछ न सोचो सिवा नौकरी के। नहीं तुम हो कुछ भी बिना नौकरी के। चलाता है घर बार यह नौकरी ही - करो रात - दिन हक़ अदा नौकरी के। रिपुदमन झा 'पिनाकी' धनबाद (झारखण्ड) स्वरचित एवं मौलिक ©Ripudaman Jha Pinaki #नौकरी
अज्ञात
White उम्मीद जैसी चिड़िया होती नहीं जहाँ में उम्मीद रखना सबसे ख़ुद से है बेईमानी.. कोई नहीं किसी का ठोकर लगे तो जाने मतलब का हाट है ये मतलब की हर रवानी.. मंजिल की फ़िक्र है तो ख़ुद को बुलंद कर ले बिन मोल तो जहाँ में मिलता नहीं है पानी.. फिर ख़ाक से उठे हैं फिर ख़ाक में मिलेंगे ये गुलबदन जलेगा तब क्या रहे निशानी.. कुछ भी नहीं है अपना ये फलसफ़ा पुराना थोड़ी सी कश्मोकश है फिर खत्म है कहानी.. ©अज्ञात #कहानी
Neeraj Kanwar
भूल गई वह स्त्रियां, अपनी ख्वाहिश .......। दूसरो की मर्जी है, सुनते-सुनते और निभाते निभाते....। ©Neeraj Kanwar #dhoop #स्त्री #कहानी #अपनी #कहानी #मन #की
Vikas sharma
Blue Moon कोई कह दे तो कह दे..कि मुस्काने से मिला इस बार भी ये दर्द ..ख़ुद को समझाने से मिला यूँ तो तोड़ आया था .रीति-रिवाजों की बंदिशे वो शख्स भी ज़माने की तरह.बहाने से मिला कहीं उतरता है. तो कहीं चढ़ जाता है रंग हथेली पे ये नाम तो.मेहंदी को मिटाने से मिला धरती और आसमान भी मिलते होते होंगे कहीं ये कैसा चाँद है जो..अमावस के आने से मिला हक़ीक़त मे टूट ही जाता है ख्वाबों का दर्पण जिंदगी का ये सबक..ग़ुलाब को पाने से मिला स्याही भी कलम की अब खत्म होने को जो है इस कहानी का अंत तो,इल्ज़ाम ख़ुद पे लगाने से मिला @विकास ©Vikas sharma #bluemoon कहानी
Bhawana dixit
Autumn अनकही सी कहानी है; ना राजा है ना रानी है! ©bhavna trivedi #कहानी