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ranjit Kumar rathour
एक सम्मान उसे जिससे रिश्ता रहा हमारा सुबह के अभिवादन का चैत की दोपहरी मे एक ग्लास पानी पिलाने का चेहरे उदासी क़ो पहली नजर मे पढ़ लेने का चौक डस्टर या फिर जरुरी फ़ाइल क़ो पहुंचाने का थे उनसे हमारे भी वादे सालो गुजारें रिश्तो क़ो निभाने का हम उऋण नहीं हुए हो भी नहीं सकते कर्ज से लेकिन एक फर्ज तो बनता था सो रत्ती भर सही निभाया हां बस निभाया ©ranjit Kumar rathour एक ग्लास पानी
एक ग्लास पानी #कविता
read moreGeeta Sharma
गहरे पानी सा किरदार 💯 video #Youtubeshorts #TrendingSong #viralshorts #EXPLORE #fullScreenvideo #Motivation video #Bhagwan #GoodMorning #wishes #bhaktisong
read moreMonu Saini
White लिख दिया करता हु अक्सर अपने दर्द को खुशियों की कलम से जानने को की... मुझे समझता कोन है?? सभी ने पढ़ा तो केवल हॉट हिले, मोन रहकर भी जिसकी आंखे बोल गई। जरा बताओ यार.. वो अजनबी सा अपना कोन है ?? ©Monu Saini #Sad_Status अजनबी सा अपना
#Sad_Status अजनबी सा अपना
read moreमुसाफ़िर क़लम
उदास फिरता है मोहल्ले में बारिश का पानी, कश्तियाँ बनाने वाले बच्चे इश्क़ कर बैठे हैं! ©मुसाफ़िर क़लम बारिश का पानी..! # हिंदी शायरी
बारिश का पानी..! # हिंदी शायरी
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- चलो राह के आज काँटें चुरा लें उन्हें दिल की महफ़िल में फिर से बिठा लें कभी चाँद के ही बहाने से छत पर जो आओ नज़र प्यास हम भी मिटा लें न ज़न्नत से हैं कम कदम ये तुम्हारे अगर हो इजाज़त तो दुनिया बसा लें बहुत हो गई है चूँ चाँ ज़िन्दगी में यही कह रहा दिल कि पर्दा गिरा लें बिछड़ जायेंगे दो घड़ी बाद फिर से कोई कह दे उनसे गले से लगा लें बड़ी बद नज़र हैं ज़माने की नज़रें बचाकर नज़र आज घूँघट उठा लें सफ़र की थकन से मुसाफ़िर हैं बेसुध चलो उनको थोडा सा पानी पिला लें लगी आग जो तन बदन में हमारे उसे प्रीत से ही चलो हम बुझा लें मिला जो अभी तक हमें चाहतों में उसे धड़कनों में कहीं तो छुपा लें बहुत बढ़ रही है तपन सूर्य की अब जमीं पे कहीं एक पौधा लगा लें प्रखर तो यही रात दिन सोचता है । नहीं अब किसी की कभी बददुआ लें महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- चलो राह के आज काँटें चुरा लें उन्हें दिल की महफ़िल में फिर से बिठा लें
ग़ज़ल :- चलो राह के आज काँटें चुरा लें उन्हें दिल की महफ़िल में फिर से बिठा लें #शायरी
read moreShishpal Chauhan
White बारिश की छोटी-सी बूंद चांदी जैसी चमक रही है, पत्ते पर गिरकर स्वयं को भाग्यशाली कह रही है। वह सोच रही है कि अभी मेरा वजूद जिंदा है, मेरा दिल सूखे पत्ते पर फिदा है। मैं मिट्टी में मिलने से बच गई, खुशी मन में समा गई। आसमान से गिरी और धरती पर आ गई, पहले पहल मैं घबरा गई, हताशा मन से भाग गई। धन्यवाद ऊपर वाले को देती हूं, जीवन में हार न मानो ये सबको कहती हूं। ©Shishpal Chauhan # पानी की बूंद _ और पत्ता
# पानी की बूंद _ और पत्ता #मोटिवेशनल
read moreहिमांशु Kulshreshtha
White अब मैं तुम में बस तुम सा हो गया हूँ क्या कहूं अब मैं कैसा हो गया हूँ ©हिमांशु Kulshreshtha तुम सा..
तुम सा.. #शायरी
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