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Priyanka atri Kaushik
सबको खुश करने के चक्कर में सबसे ज्यादा दुखी अक्सर इंसान खुद हो जाता है(इसीलिए जो जैसा उसके साथ वैसे ही रहो ) ©Priyanka atri Kaushik पुरानी यादें
ASHANJAL YADAV
जीवन भर का हाल पूंछने आज मुझे इक खत आया है जिसमें भी कुछ यूं लिक्खा है कैसे हो कुछ हाल सुनाओ - अशांजल यादव पुरानी यादें
devarshi
पुरानी यादें बचपन की क्यों याद आती है, आँसू निकाल के क्यों हमे सताती है। कितना सकून था ,कितना प्यारा था, जो भी था पर वो वक़्त हमारा था। जी भर के हँसो, जी भर के मौज करो, जी भर के खेलो, पड़ो , मस्ती भी रोज करो। वो छोटी सी बात पर दोस्तों से रूठ जाना, पर अगले ही पल सब कुछ भुल जाना। दोस्त आज भी हैं, पर फिर भी तन्हाई हैं, ना जाने क्यु किस्मत की रुसवाई हैं। जिस ओर चलता हूं, रास्ते रुक जाते हैं, मंजिल सामने होती हैं पर क्यु मोड़ मिल जाते हैं। ये क्या है और क्यों है समझ से परे हैं, टूटता है विश्वास, फिर भी अडिग खड़े है। ना जाने कैसी ये आज मजबुरी है, किस्मत की आज हमसे ये क्यों दूरी है। आएगा वक्त, अब उसका इंतजार करना है, कुछ भी हो जाये ,अब डरना बेकार है। आएगा वक़्त अपना,फिर से खुशहाली होगी, किस्मत के सूखे पत्ते छतेगे, फिर से हरियाली होगी। फिर से आएंगे वो प्यारे दिन जो आज याद आते है, उसी समय की प्रतिदिन हजारों पल प्रतीक्षा करते है। पल पल हैं समय की परीक्षा, इससे निजात पाना हैं, मुस्कराना हैं, मुस्कराना हैं, और फिर सिर्फ मुस्कराना है। मुस्कराने के पल की प्रतीक्षा में देवर्षि कुमार सक्सेना पुरानी यादें
Shailesh Aggarwal
याद आ रही हैं फिर से ,मुझको पुरानी बातें कितने सुकुं के दिन थे ,कितनी सुकूं की रातें।। याद आ रही हैं----------- कोई वास्ता नहीं था अपना किसी भी गम से खुशहाल जिंदगी थी माना की पैसे कम थे रंजिश ना बैर दिल में सब लोग सीधे सादे।। कितने सूकुं के दिन थे कितनी सूकु की रातें याद आ रही हैं ------------- इक तंग सी गली में छोटा सा इक मकां था थोड़ा सा टूटा फूटा प्यारा वो आशियां था कागज के फूल लेकर दीवारों पे सजाते।। कितने सुकू के दिन थे कितनी सूकू की रातें याद आ रही हैं -------------- सबसे था मिलना जुलना ना वक्त की कमी थी थी ख्वाइशे भी छोटी आसान जिंदगी थी तन्हाइयों के संग में अब जिंदगी बिताते।। कितने सूकूं के दिन थे कितनी सुकू की रातें याद आ रही हैं फ़िर से----------- ©Shailesh Aggarwal पुरानी यादें
Nilam Agarwalla
पुरानी यादें आज भी, मुझसे मिलने आती हैं जब भी मैं तन्हा होता हूं। तसल्ली मुझे बंधाती है, जब भी उदास होता हूं। बहुत अच्छी लगती है जब मेरे संग चलती है। सफर जिन्दगी का लगता है बड़ा सुहाना जब मेरे संग हंसती है। #पुरानी यादें
Sooraj Singh
कभी साथ बैठो, तो *कहूं दर्द क्या है* । अब यूं दूर से पूछोगे तो, "सब खैरियत ही कहेंगे* ।। पुरानी यादें
Tilak Gondavi
याद हमको आज फिर गुजरा जमाना आ गया। खिलती कलियों के सहाऱे मुस्कुराना आ गया। बडे दिन के बाद खोली थी हमने वो डायरी, सामने आँखों के उनका खत पुराना आ गया। पुरानी यादें।
Anand Prakash Nautiyal tnautiyal
इस बिल्डिंग से पहले यहाँ पर एक घर हुआ करता था, कई दिलों का एक छोटा सा, संसार हुआ करता था, मटके का पानी, आग की अँगीठी ,आँगन में शोर हुआ करता था, नीम और आम की छाँव में, मन भाव विभोर हुआ करता था, इस बिल्डिंग से पहले यहाँ एक घर हुआ करता था. मिट्टी की खुशबू सब ओर,और पानी का कुँवा हुआ करता था, हँसी के ठहाकों के खेल, खेत खलियानों में धुआँ हुआ करता था, इस बिल्डिंग से पहले यहाँ एक घर हुआ करता था. जिम्मेदारी निभाने का शौक था, कोई स्टेटस नही हुआ करता था, हम सबसे मिलने जाते थे, कोई फेसबुक नही हुआ करता था. इस बिल्डिंग से पहले यहाँ एक घर हुआ करता था, कई दिलों का एक छोटा सा संसार हआ करता था. #पुरानी यादें#