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एक इबादत
"हाथों की लकीरों में जो नही उससे इश़्क कमाल का हुआ है कैसे कर दूं अब इनकार उस इश़्क से जो मेरी लाडली से मुझे बेशमार हुआ है" हाथों से लकीरें यही कहती है के ज़िंदगी जो है मेरी तुझी में अब रहती है लबों पे लिखी है मेरी दिल की ख़्वाहिश
एक इबादत
सादगी का श्रृंगार देख तेरा आज खुदा भी शरमा जायें हो जो करीब तेरे देख तुझे वो अपना होश गवा जायें मेरी मोहब्बत हो तुम "लाडली" मेरे प्यार का रंग इतना चढे़ तुझपर आज रहो किसी और के संग मगर हरपल याद मेरी तुझे सतायें..!! Miss you pgl😘😍 हाथों से लकीरें यही कहती है के ज़िंदगी जो है मेरी तुझी में अब रहती है लबों पे लिखी है मेरी दिल की ख़्वाहिश
एक इबादत
चाहते है तुमको हम इस तरह कि देख मोहब्बत हमारी मोहब्बत को भी मोहब्बत से मोहब्बत हो जायेगी..!! हाथों से लकीरें यही कहती है के ज़िंदगी जो है मेरी तुझी में अब रहती है लबों पे लिखी है मेरी दिल की ख़्वाहिश
Rani
तेरे मेरे प्यार का, वो अफ़साना याद है, कांधे पे तेरी मेरा, सर टिकाना याद है, ज़माने से दूर तेरा, महफूज़ आगोश याद है। हाथों से लकीरें यही कहती है के ज़िंदगी जो है मेरी तुझी में अब रहती है लबों पे लिखी है मेरी दिल की ख़्वाहिश
Vandana
कभी-कभी मेरी तन्हाईयों में भी डूब जाया करो,, कभी मेरी खुशबू से भी खींचे चले आया करो,, कभी मेरी इन आंखों में बहक कर तो देखो, कभी मुझे ख्यालों में सोच कर मुस्कुराया तो करो,, अपने जज्बातों की तड़प से मुझे भिगाया तो करो, अपनी हर ख्वाहिश में मुझे शामिल तो करा करो,, मैं हर लम्हा जीती हूं तुम्हारे लिए तुम कुछ पल मेरे लिए भी जी लिया करो,, तू जो मेरे संग चलने लगे तो मेरी राहें धड़कने लगे देखूँ जो ना इक पल मैं तुम्हें तो मेरी बाहें तड़पने लगे हाथों से, लकीरें यही कहती हैं के ज़
Mukesh Birla (गुर्जर श्री)
मेहनत से सजती है, मेहनत से सँवरती है। मेहनत ही जिंदगी में खुशियां भरती है।। कभी फूल कभी काँटे, कभी ठोकरों से भरी राहे मिलती है। सबकुछ टिका है मेहनत पर यारो। फिर भी पूछते है कुछ लोग, तुम्हारे हाथो की लकीरें क्या कहती है।। "मुकेश बिर्ला" #हाथो की लकीरें क्या कहती है#
Lalit Patil Gurjar
बो मेरे हाथ की लकीरों को, उसके हाथ की लकीरों से मिलती हैं, ओर बस यही कहती है अंतर इनमें नही तुम में है। #लकीरें #कुछ #कहती #हैं
Shakuntala Sharma
ऐ इंसान तू अपने कर्म कर । बाकी खुदा पर छोड़ दे । खुदा नेक बंदो पर हमेशा मेहरबान होता है। चाह देर से ही सही । नानी भी यही कहती है। उम्मीद छोड़कर किया गया ' हर कर्म खुदा की बन्दिगी से कम नही । नानी भी यही कहती है। ©Shakuntala Sharma # नानी भी यही कहती है।
Anuj Ray
गांवों में आज भी है , हर घर में मिलती निरोग काया। क्योंकि हर आंगन में , वहां बैठी मिलेगी ,घर का वैध तुलसी छाया। जिसकी कृपा से सुख की हवा बहती है,"मेरी नानी भी यही कहती है"। ©Anuj Ray नानी भी यही कहती है
Manoj
की मेरा बचपन है तू , जो में नहीं कर पाई वो तुझे करना है मेरे सपनो को तुझे जीना है । दूर रखे गमों से खुदा तुझे लगे मेरी बचे हुए उम्र भी तुझे । ©Manoj नानी भी यही कहती है ।