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Parasram Arora
Unsplash उसकी तारीफ़ भी क़ी और कई बार उसकी शान मे तालिया भी बजाई इसके बावजूद किसी का दर्द तुमने कम होते हुए कभी देखा है क्या,=? ©Parasram Arora तारीफ और तालिया
तारीफ और तालिया
read moreParasram Arora
Unsplash वो दिन याद करो ज़ब ये आदमी पहले "आदम " था और स्त्री "ईव " थीं तब न आखर था न शब्द न लिपि न कोई आपस मे संवाद था तब केवल ध्वनि थीं तरंग थीं लय थीं इसके बाद वो ध्वनि कब संगीत बनी कब सरगम मे तब्दील हुई कोई नहीं जानता लेकिन वो "आदम " तब तक आदमी और वो ईव स्त्री मे रूपांतरित हो गए थे ©Parasram Arora आदम और ईव
आदम और ईव
read moreswati soni
White Ho jati hai kabhi kabhi ye qalum bhi khamosh sayad kisine bhut kuch jataya hoga jo hmesa likhne ko rahti thi aatur akhir kuch ehsas ne sikhaya hoga . #swati ki qalum se ✍️ ©swati soni #Deepthoughts #swatikiqalumse उत्कर्ष शुक्ल UK कवि आलोक मिश्र "दीपक" Jasmine of December Swati sharma विवेक ठाकुर 'शाद' Anshu writer
#Deepthoughts #swatikiqalumse उत्कर्ष शुक्ल UK कवि आलोक मिश्र "दीपक" Jasmine of December Swati sharma विवेक ठाकुर 'शाद' Anshu writer
read moreगुरु देव[Alone Shayar]
वेया ना किया कर अपने krishnkant भारत सोनी _इलेक्ट्रिशियन Rajan Singh BIKASH SINGH कवि आलोक मिश्र "दीपक" abhay maurya(pathik)
read moreनिर्भय चौहान
White हम कहानी हुए तुम कथानक हुए। हादसे जिंदगी में अचानक हुए । दिल से लावा उठा और फिर सो गया ऐसे किरदार सारे ही मानक हुए। ©निर्भय चौहान #sad_quotes कवि आलोक मिश्र "दीपक" katha (कथा ) mahi singh Madhusudan Shrivastava Kumar Shaurya
#sad_quotes कवि आलोक मिश्र "दीपक" katha (कथा ) mahi singh Madhusudan Shrivastava Kumar Shaurya
read moreParasram Arora
White हमारे आदर्शी को पस्तझनी देने मे समर्थ है हमानी विचलित चेतनाये तभी तों रेत मे मुंह छुपा कर रहती है हमारी अनसुलझी समस्याएं जबकि अंतकाल तक हम फेरते रहते है मुर्ख सपनो की मालाये शायद इसीलीये डूब चुके है हमारे भाव और ख़ो चुकी है संवेदनाये ©Parasram Arora आदर्श और संवेदनाये
आदर्श और संवेदनाये
read morekevat pk
White "मैं हूँ और वह है, मिलना चाहते हैं, पर दूरी इतनी है, जैसे धरती और आसमान।" "कभी लगता है, चूर-चूर हो जाऊँ, फिर लगता है, मिलना तो तय ही है।" ©kevat pk #मैं और वो
#मैं और वो
read moreParasram Arora
White अब सुख और सुकून की नींद कहा नसीब होती हैँ आज के इंसान को आदमी दिन भर व्यस्त रहता हैँ रोज़ी रोटी कमाने की ज़ददो ज़हद मे उसे सुकून और सुख की फ़िक्र करने.का वक़्त ही कहा मिलता हैँ? ©Parasram Arora सुख और सुकून
सुख और सुकून
read moreAuthor Munesh sharma 'Nirjhara'
रोशनी बिखेरता दीपक सीख यही सभी को देता है प्रयास छोटा सा भी लक्ष्य की ओर लेकर चलता है #Diwali #diwali2024
read moreSatish Kumar Meena
White इंसान का चिंतन और मनन वातावरण पर निर्भर करता है वो भी स्वयं के। ©Satish Kumar Meena चिंतन और मनन
चिंतन और मनन
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