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Rakesh Kumar Dogra
Difference of opinion/approach (एक) शनिवार इतवार है सोचता हूं कुछ घर के बचे हुए हैं काम निबटा लूं तो चलूं। (दो) Weekend है सोचना क्या है चल नशा करते हैं। एसी सोच वालों को "मकान" और "घर" में क्या अन्तर है समझा लूं चलूं। इफ्तिखार आरिफ मेरे खुदा मुझे इतना तो मोतबर कर दे मैं जिस मकान कें रहता हूँ उसको घर कर दे
Arif Asaas
ये जरूरी तो नही वो भी तुम्हें चाहे तुम्हारी फिक्र भी चाहत से कही ज्यादा है Arif Asaas आरिफ
Atul Singh Naruka
ऐ खुदा तेरी दुनियां कितनी अजीब है किसी ने टूटकर चाहा फिर भी पा न सका , कोई बिना चाहे भी कितना करीब है। जो उसके रोने पे मरते थे उनसे मीलों की दूरी है, जिनकी वजह से रोते है वो उनके हबीब है। आरिफ
Bebo life style 786 92
#RajasthanDiwas आरिफ अन्सेरी ©Bebo life style 786 92 आरिफ 01
Arif Ali Social worker
वो कहते है ना चांद के पार चलो चलो दिलदार चलो ©Arif Ali आरिफ अली #moonbeauty