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Krishna Kumar
बहुत नाज था हमे खुद पर कि सब हमारी कदर करते हैं, दुख में जब खुद को अकेला पाया तब पता चला हमें सब मतलबी थे हमारी कदर करने वाले ©Krishna Kumar #naj
Netra Jha
**इश्क़ का उसूल है जब अश्क बन जाता है इश़्क, तब दिल को ये दर्द बेइंतहां देता है, जब ये ताज़महल बन जाता है, फिर जाकर सुकुन इसे आता है**..!!NAJ📝 #NAJ
Netra Jha
**आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम् भास्कर दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोस्तुते ** अर्थ--- हे आदिदेव आपको मेरा प्रणाम है, हे मेरे भास्कर दिवाकर प्रसन्न हों आपको मेरा प्रणाम है , प्रभाकर आपको मेरा नमस्कार है.. **जो स्वयं उर्जा का स्तोत्र है जो दृष्टि का मूल उद्देश्य है, जो है अचल, अटल भू पालक, जो अतुलनीय है जो है सर्व जीव का एकमेव जीवन दायक, स्वयं परमात्मा का परिचायक, उस साक्षात ईश्वर को मेरा हृदय से है अनंत नमन, नमन, नमन🙏🙏 **..!!NAJ📝 #NAJ
Netra Jha
**अक़िदा ही है जिसकी वज़ह से दुनिया मौज़ूद है, वरना इस दुनिया में खुदा की ईबादत कौन करता**..!!NAJ📝 #NAJ
Netra Jha
** जिंदगी गुलज़ार है ये ईश्वर के रहम की देन है जिंदगी गुलज़ार है ये मां- बाप के संस्कारों की देन है जिंदगी गुलज़ार है ये देश की सीमा पर खड़े सिपाहियों की देन है, जिंदगी जो गुलज़ार है आजकल सबकी वो इस मोबाईल देव 🙏की देन है**..!!NAJ📝 #NAJ
Netra Jha
**मिसाल मिलनी नामुमकीन है मेरी मेरा अक्स भी मुझ जैसा नहीं है देखने में तो लगते हैं खुशहाल हर किसी को मगर हक़िकत में खुशियों से मेरा कोई वास्ता नहीं है**..!!NAJ📝 #NAJ
Netra Jha
**रूठे हुए को चलो मनाएं जिंदगी के बचे लम्हों को चलो सुलझाएं क्या रखा है रिश्तों को उलझाने में हर दिल की गहराई में अपनी जगह बनाएं**..!!NAJ📝 #NAJ
Netra Jha
**माँ - बाप, गुरू, हमारे बड़े और हमारे हितैषी अगर हमें सही राह दिखाने के लिये हमसे कभी कुछ कटु भी कहते हैं तो उसके पिछे शिक्षा रहती है जिंदगी की, उनका मकसद हर हाल में हमें खुश देखना होता है| हम भी उन्हें खुश रखने के लिये, उनके तजुर्बों से सिखायी उनकी बातों पर अमल कर, उनको मान दें, ताकि हम भी और बाकी सब भी खुश रह सकें | इस संसार में कोई भी जीव बेवजह किसी को पीड़ा नहीं देता सबका एक ही मकसद होता है "सर्वे भवन्तु सुखिनः" **..!!NAJ📝 #NAJ
Netra Jha
**हर रोज़ खुद को मैं खुद से छुपाकर उठती हुं चेहरे पर मुस्कान को सजाकर उठती हुं बेटी हुं बहु हुं पत्नि हुं माँ हुं खुद को सब समझाकर उठती हुं ख़्वाब भरे हैं आँखों में मेरे ,मैं उन्हें तकिये के नीचे दबाकर उठती हुं कर्तव्य का ताज सजा रहता है मेरे दिमाग पर दिनभर के सारे काम की लिस्ट बनाकर उठती हुं निभाना पड़ेगा आख़िरी सांस तक गृहणी का कर्तव्य, खुद को ये समझाकर उठती हुं मेरे सपने सिर्फ मेरे अपने हैं इनको सबसे छुपाकर उठती हुं हर किसी को खुश रख सकुं इस आशा से चेहरे पर कई नक़ाब लगाकर उठती हुं**..!!NAJ📝 #NAJ